आर एस राणा
नई
दिल्ली। विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है, जबकि रुपये की तुलना
में डॉलर की मजबूती से निर्यातकों को पड़ते भी अच्छे लग रहे हैं। इसलिए
कपास के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। सिंचाई के लिए पानी की कमी
के कारण उत्तर भारत के राज्यों में कपास की बुवाई तय लक्ष्य से कम होने की
आशंका है।
विदेशी बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती
नार्थ
इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि विश्व बाजार में
भारतीय कपास सबसे सस्ती है, साथ ही रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत बना हुआ है
इसलिए निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है। शुक्रवार को न्यूयॉर्क के वायदा
बाजार में कपास का भाव सुधरकर 85.03 सेंट प्रति पाउंड हो गया, पिछले
कारोबारी दिवस के मुकाबले इसमें 0.6 सेंट प्रति पाउंड की बढ़ोतरी दर्ज की
गई। चालू फसल सीजन में अभी तक करीब 60 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास के
निर्यात सौदे हो चुके हैं तथा मांग अभी भी अच्छी बनी हुई है, अत: कुल
निर्यात 70 लाख गांठ के करीब होने का अनुमान है। एक डॉलर की कीमत डॉलर
67.60 रुपये से उपर बनी हुई है।
भाव में और बढ़ोतरी संभव
उन्होनें
बताया कि शुक्रवार को अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 42,000 से
42,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहा। निर्यातकों की अच्छी
मांग को देखते हुए मौजूदा भाव में और भी 500 से 1,000 रुपये प्रति कैंडी की
तेजी आने का अनुमान है।
निर्यात का लक्ष्य ज्यादा
कॉटन
एडवाईजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुसार चालू सीजन में कपास का निर्यात 67 लाख
गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन में 58 लाख गांठ का ही निर्यात
हुआ था। चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन 377 लाख गांठ होने का
अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 345 लाख गांठ का हुआ था। चालू सीजन
में उत्पादक मंडियों में अभी तक करीब 325 से 330 लाख गांठ कपास की आवक हो
चुकी है।
बुवाई में कमी की आशंका
सिरसा स्थित
केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र (सीआईसीआर) के प्रभारी दिलीप मोंगा ने बताया
कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में नहरी पानी की उपलब्धता कम होने के कारण
बुवाई पिछे चल रही है। इन राज्यों के कई क्षेत्रों में अगले एक-दिनों में
बारिश होने का अनुमान है अत: बारिश हुई तो फिर बुवाई की स्थिति में सुधार आ
सकता है, अगर बारिश नहीं हुई तो बुवाई तय लक्ष्य के 80 फीसदी क्षेत्रफल
में ही होने का अनुमान है। वैसे उत्तर भारत में कपास की बुवाई का समय 31 मई
तक है।
उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में हरियाणा में 15 मई तक
3.72 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई ही हुई है जबकि बुवाई का लक्ष्य 6.48
लाख हैक्टेयर का तय किया हुआ है। इसी तरह से पंजाब में बुवाई 1.68 लाख
हैक्टेयर में ही हुई है जबकि बुवाई का लक्ष्य 4 लाख हैक्टेयर तय है।
राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में चालू खरीफ में इसकी बुवाई
1.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। .............. आर एस राणा
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