आर एस राणा
नई
दिल्ली। चालू पेराई सीजन में गन्ने की बंपर खेती से चीनी के रिकार्ड
उत्पादन ने किसानों की मुश्किले बढ़ा दी है। गन्ना किसानों का चीनी मिलों
पर बकाया बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है जोकि अभी तक का
सर्वाधिक है। समय पर पैमेंट नहीं मिलने से गन्ना किसानों को भारी आर्थिक
दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल
में हुई बढ़ोतरी के साथ ही रिकवरी ज्यादा आने से जहां चालू पेराई सीजन में
चीनी का रिकार्ड उत्पादन 310-315 लाख टन होने का अनुमान है, वहीं विश्व
बाजार में कीमतें कम होने से निर्यात पड़ते भी नहीं लग रहे हैं। इसीलिए
घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें उत्पादन लागत की तुलना में काफी नीचे बनी
हुई हैं। जिसका असर गन्ना किसानों के बकाया भुगतान पर पड़ रहा है।
सबसे ज्यादा बकाया उत्तर प्रदेश की मिलों पर
पहली
अक्टूबर 2017 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2017-18 में अभी तक चीनी मिलों
पर किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 20,000 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है तथा
इसमें सबसे ज्यादा बकाया उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर है। उत्तर प्रदेश
की चीनी मिलों ने चालू पेराई सीजन में 27 अप्रैल तक राज्य के किसानों से
32,511.95 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है। मिलों को गन्ना खरीदने के 14 दिन
के अंदर किसानों को भुगतान करना होता है, अत: राज्य की चीनी मिलों पर
किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 10,372.22 करोड़ रुपये हो गई है।
यूपी में खेतों में 20 फीसदी बचा हुआ है गन्ना
किसान
शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि सरकार ने 14 दिनों में
गन्ना किसानों के भुगतान का वायदा अपने घोषणा पत्र में भी किया था, लेकिन
गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया लगातार बढ़ रहा है। गन्ना मिलें
किसानों को पर्चियां भी समय पर नहीं दे रही हैं जबकि अभी भी लगभग 20 फीसदी
गन्ना खेतों में खड़ा है। समय से खेत खाली नहीं होंगे तो किसान अगली फसल की
बुवाई कैसे करेंगे। इसलिए हमारी सरकार से अपील है कि गन्ना मिलों पर सख्त
कार्यवाही कर तुरंत पर्चीयां और पेमेंट दिलवाना सुनिश्चित करें।
गन्ने की बुवाई हुई थी ज्यादा
कृषि
मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में गन्ने की बुवाई बढ़कर 49.95 लाख
हैक्टेयर में हुई थी, जबकि इसके पिछले साल किसानों ने 45.64 लाख हैक्टेयर
में गन्ने की बुवाई की थी।
चीनी के रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
सूत्रों
के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का रिकार्ड 310 से 315 लाख टन उत्पादन
होने का अनुमान है जबकि पिछले साल केवल 203 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में पहली
अक्टूबर 2017 से मध्य अप्रैल तक चीनी का रिकार्ड उत्पादन 299.80 लाख टन हो
चुका है जबकि अभी भी चीनी मिलों में पेराई चल रही है।
उत्पादन लागत से नीचे आ चुके हैं दाम
इस्मा
के अनुसार बंपर उत्पादन होने के कारण चीनी की कीमतों में लगातार गिरावट
बनी हुई है तथा पिछले 4 से 5 महीने में ही इसके भाव में करीब 9 रुपये प्रति
किलो की गिरावट आ चुकी है। चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर उत्पादन लागत
की तुलना में करीब 8 रुपये प्रति किलो नीचे आ गए हैं।
निर्यात पड़ते नहीं
एसएनबी
इंट्रप्राइजेज के प्रबंधक सुधीर भालोठिया ने बताया कि बंपर उत्पादन से
घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में भारी गिरावट आई है। सोमवार को उत्तर
प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर 2,650 से 2,730 रुपये और
महाराष्ट्र में 2,500 से 2,600 रुपये प्रति क्विंटल रहे। दिल्ली में इस
दौरान चीनी के भाव 2,950 रुपये प्रति क्विंटल रहे। विश्व बाजार में चीनी के
दाम नीचे होने के कारण निर्यात पड़ते भी लग रहे हैं। विश्व बाजार में
सोमवार को व्हाईट चीनी का भाव 370 से 375 डॉलर प्रति टन रहा। उन्होंने
बताया कि जब तक चीनी का निर्यात नहीं होगा, तब तक भाव में सुधार की उम्मीद
नहीं है।
केंद्र द्वारा उठाये गए कदम नाकाफी
केंद्र
सरकार ने चीनी के आयात को रोकने के लिए जहां आयात शुल्क को बढ़ाकर 100
फीसदी कर दिया है, वहीं निर्यात शुल्क को भी शून्य किया हुआ है। इसके अलावा
20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति भी दी हुई है लेकिन विश्व बाजार में
भाव कम होने से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
चीनी पर सैस लगा सकती हैं केंद्र सरकार
घरेलू
बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार इस पर सैस
लगा सकती है। सूत्रों के अनुसार चीनी पर एक से डेढ़ रुपये प्रति किलो की दर
से सैस लगाने की योजना है तथा इस पर 4 मई को प्रस्तावित जीएसटी काउंसिल की
बैठक में फैसला हो सकता है।.................. आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें