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21 अक्टूबर 2015

जीरा निर्यात में आ सकती है कमी

भारत से जीरा निर्यात में कमी आने का अनुमान है, क्योंकि कमजोर आर्थिक रुझानों की वजह से अंतरराष्टï्रीय बाजारों में मांग 50 प्रतिशत तक घटी है। चीनी युआन और दक्षिण अमेरिकी मुद्राओं की कीमतों में आई गिरावट का सीधा असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। व्यापार सूत्रों के अनुसार भारत का निर्यात 2015-16 के दौरान 75,000-85,000 से अधिक नहीं रहने के आसार हैं। हालांकि इस साल दुबई में चावल और मसालों के कई कारोबारियों ने चूक कर दी है जिससे जीरे की मांग में गिरावट आई है। इंडियन स्पाइस एंड फूडस्टफ एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (आईएसएफईए) के चेयरमैन भास्कर शाह ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय बाजार में वित्तीय स्थिति मजबूत नहीं है जिससे इस साल भारतीय जीरे के लिए मांग सीमित हो गई है।

इसके अलावा भारतीय जीरे के साथ गुणवत्ता को लेकर भी कुछ समस्याएं हैं और इससे जुड़ी शिकायतें मिलने से जीरे की गुणवत्ता  को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में देश ने करीब 43,000 टन जीरे का निर्यात किया जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 80,000 टन जीरे का निर्यात किया गया था। भारत ने वर्ष 2014-15 में करीब 1,55,000 टन का निर्यात किया गया जबकि चालू वित्त वर्ष में 75,000-85,000 टन का निर्यात होने की संभावना है जो पिछले वर्ष के मुकाबले 45 फीसदी कम है।

मसाला बोर्ड के वाइस चेयरमैन शाह ने कहा, 'मौजूदा परिदृश्य में भारतीय जीरा निर्यात वर्ष 2015-16 के दौरान 85,000 टन रहने का अनुमान है।'  स्पाइसेक्जिम के प्रबंध निदेशक योगेश मेहता ने कहा, 'जीरा निर्यात पिछले छह महीनों में घटा है क्योंकि लगभग सभी बड़े खरीदारों को पता है कि वर्ष 2015 में जीरे की भारतीय फसल पिछले 3 सालों के मुकाबले काफी कम होगी।' वर्ष 2014 में कमजोर मॉनसून और बेमौसम बारिश से 2014-15 में जीरा उत्पादन 25-27 फीसदी तक प्रभावित होगा।

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