गन्ना किसानों के खातों में आएगी सब्सिडी
काफी विचार विमर्श के बाद गन्ना किसानों को राहत देने के लिए खाद्य मंत्रालय समाधान तलाशने के काफी करीब पहुंच गया है। इसके तहत लाखों गन्ना किसानों को सरकार की ओर से सीधे सब्सिडी मिल सकती है। इससे मिलों को भी कुछ सहूलियत होगी। मंत्रालय इस योजना पर काम कर रहा है कि कि फसल वर्ष 2015-16 से गन्ना किसानों के बैंक खाते में ही सब्सिडी हस्तांतरित की जाए।
पहली दफा आजमाया जा रहा यह कदम अगर कामयाब होता है तो सरकार कपास जैसी अन्य फसलों के लिए भी इसे लागू करेगी। इसमें सरकार मिलों या अन्य मध्यस्थों के बजाय सब्सिडी या प्रोत्साहन सीधे किसानों को ही मुहैया कराएगी। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मिलों को गन्ना बेचने वाले किसानों को मंत्रालय प्रति क्विंटल गन्ने पर 47.50 रुपये का प्रत्यक्ष भुगतान करने की योजना बना रहा है, लिहाजा मिलों को इस साल के लिए तय 230 रुपये प्रति क्विंटल के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में केवल 182.50 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना किसानों को अदा करना होगा। मगर ये सब्सिडी उन्हीं मिलों को गन्ना बेचने वाले किसानों को दी जाएगी, जो चीनी के अलावा एथेनॉल, बिजली और अन्य उत्पाद भी बनाती होंगी।
अधिकारियों ने बताया कि केंद्र चीनी विकास कोष (एसडीएफ) जैसे विकल्प पर विचार कर सकता है या फिर इसके लिए धन की व्यवस्था करने को चीनी पर प्रति क्विंटल 50 रुपये का उपकर लगाया जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि यह मिलों के लिए भी राहत का काम करेगा, जिन्हें वर्ष 2015-16 सत्र में 40 लाख टन का अनिवार्य निर्यात करना है। इस प्रस्ताव पर औपचारिक रूप से एक कैबिनेट नोट भी तैयार हो रहा है, हालांकि सब्सिडी की रकम तय करने के फैसले पर वित्त मंत्रालय की सलाह के बाद ही मुहर लगेगी। मौजूदा चलन के मुताबिक अभी केंद्र द्वारा गन्ने पर तय एफआरपी की पूरी रकम मिलों को ही अदा करनी पड़ती है। चालू सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का एफआरपी 230 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। (BS Hindi)
काफी विचार विमर्श के बाद गन्ना किसानों को राहत देने के लिए खाद्य मंत्रालय समाधान तलाशने के काफी करीब पहुंच गया है। इसके तहत लाखों गन्ना किसानों को सरकार की ओर से सीधे सब्सिडी मिल सकती है। इससे मिलों को भी कुछ सहूलियत होगी। मंत्रालय इस योजना पर काम कर रहा है कि कि फसल वर्ष 2015-16 से गन्ना किसानों के बैंक खाते में ही सब्सिडी हस्तांतरित की जाए।
पहली दफा आजमाया जा रहा यह कदम अगर कामयाब होता है तो सरकार कपास जैसी अन्य फसलों के लिए भी इसे लागू करेगी। इसमें सरकार मिलों या अन्य मध्यस्थों के बजाय सब्सिडी या प्रोत्साहन सीधे किसानों को ही मुहैया कराएगी। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मिलों को गन्ना बेचने वाले किसानों को मंत्रालय प्रति क्विंटल गन्ने पर 47.50 रुपये का प्रत्यक्ष भुगतान करने की योजना बना रहा है, लिहाजा मिलों को इस साल के लिए तय 230 रुपये प्रति क्विंटल के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में केवल 182.50 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना किसानों को अदा करना होगा। मगर ये सब्सिडी उन्हीं मिलों को गन्ना बेचने वाले किसानों को दी जाएगी, जो चीनी के अलावा एथेनॉल, बिजली और अन्य उत्पाद भी बनाती होंगी।
अधिकारियों ने बताया कि केंद्र चीनी विकास कोष (एसडीएफ) जैसे विकल्प पर विचार कर सकता है या फिर इसके लिए धन की व्यवस्था करने को चीनी पर प्रति क्विंटल 50 रुपये का उपकर लगाया जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि यह मिलों के लिए भी राहत का काम करेगा, जिन्हें वर्ष 2015-16 सत्र में 40 लाख टन का अनिवार्य निर्यात करना है। इस प्रस्ताव पर औपचारिक रूप से एक कैबिनेट नोट भी तैयार हो रहा है, हालांकि सब्सिडी की रकम तय करने के फैसले पर वित्त मंत्रालय की सलाह के बाद ही मुहर लगेगी। मौजूदा चलन के मुताबिक अभी केंद्र द्वारा गन्ने पर तय एफआरपी की पूरी रकम मिलों को ही अदा करनी पड़ती है। चालू सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का एफआरपी 230 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। (BS Hindi)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें