आर एस राणा
नई दिल्ली। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने रबी विपणन सीजन 2016-17 के लिए चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 300 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 3,475 रुपये प्रति क्विंटल करने की सिफारिष की है।
चना की पैदावार बढ़ाने के लिए सीएसपी ने एमएसपी में ज्यादा बढ़ोतरी की सिफारिष की है जबकि रबी विपणन सीजन 2015-16 के लिए चना का एमएसपी 3,175 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। हालांकि पिछले रबी में प्रतिकूल मौसम से चना की फसल प्रभावित हुई थी जिससे पैदावार में काफी कमी आई थी, इसी वजह से उत्पादक मंडियों में चना के भाव एमएसपी से उपर ही बने हुए हैं।
केंद्र सरकार द्वारा दालों पर स्टॉक लिमिट लगाने के साथ ही स्टॉकिस्टों और स्टोरियों पर षिंकजा कसने से चना की कीमतों में गिरावट आई है। दिल्ली के लारेंस रोड़ पर चना के भाव घटकर 5,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा दैनिक आवक 50 ट्रकों की हुई। मध्य प्रदेष की इंदौर मंडी में चना के भाव 4,700 रुपये, महाराष्ट्र की नागपुर मंडी में 5,000 रुपये, अकोला मंडी में 5,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2015-16 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान 1.52 लाख टन चने का आयात हो चुका है जबकि वित्त वर्ष 2014-15 में 4.18 लाख टन चने का आयात हुआ था।
चना की बुवाई का सीजन षुरु हो चुका है लेकिन उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेष राजस्थान और उत्तर प्रदेष में सितंबर महीने में हुई सामान्य से कम बारिष के कारण खेतों में नमी की मात्रा कम है जिससे इसकी बुवाई में भी कमी आने की आषंका है। आगामी दिनों में चना की तेजी-मंदी केंद्र सरकार के रुख के साथ ही कुछ हद तक उत्पादक राज्यों में मौसम की स्थिति पर भी निर्भर करेगी।
रबी में चना की पैदावार में भारी कमी आई थी, साथ ही फसल की कटाई के समय बेमौसम बारिष से प्रति हैक्टेयर उत्पादकता के साथ ही क्वालिटी भी प्रभावित हुई थी। हालांकि आस्ट्रेलिया में चना की नई फसल आनी षुरु हो गई है तथा अनुकूल मौसम से आस्ट्रेलिया में चना की पैदावार भी पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है लेकिन भारत की आयात मांग ज्यादा होने से आस्ट्रेलियाई चना के भाव भी तेज बने हुए है। उद्योग के अनुसार नवंबर महीने में आस्ट्रेलिया से एक लाख टन चना भारतीय बंदरगाह पर पहुंचेगा।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में चना की पैदावार घटकर 71.7 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी रिकार्ड पैदावार 95.3 लाख टन की हुई थी।.......आर एस राणा
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