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26 अक्टूबर 2015

आंध्रप्रदेष और महाराष्ट्र में हल्दी की पैदावार में कमी की आषंका


निर्यातकों की मांग से भाव में तेजी आने का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों आंध्रप्रदेष और महाराष्ट्र में बारिष की कमी से हल्दी की फसल को नुकसान हो रहा है, इससे नए सीजन में हल्दी की पैदावार पहले अनुमान से करीब 10 लाख बोरी (एक बोरी-70 किलो) कम होने की आषंका है। त्यौहारी सीजन के कारण हल्दी में घरेलू मसाला कंपनियों की मांग तो अच्छी बनी हुई है, साथ ही इस समय निर्यात मांग भी अच्छी है जिससे मौजूदा कीमतों में तेजी आने का अनुमान है।
आंध्रप्रदेष की निजामाबाद मंडी में हल्दी के भाव 8,400 रुपये प्रति क्विंटल तथा दैनिक आवक 500 बोरी की हुई। तमिलनाडु की इरोड मंडी में हल्दी के भाव 8,500 रुपये प्रति क्विंटल तथा दैनिक आवक 3,500 बोरी की हुई। सेलम मंडी में हल्दी के भाव 9,200 रुपये और नांनदेड़ मंडी में 9,000 से 9,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
हल्दी का उत्पादन मुख्यतः आंध्रप्रदेष, तमिलनाडु, तेलंगाना और महाराष्ट्र में होता है। तेलंगाना और तमिलनाडु में तो सितंबर में बारिष हुई थी लेकिन आंध्रप्रदेष और महाराष्ट्र के हल्दी उत्पादक क्षेत्रों में बारिष नहीं हो रही है, जबकि इस समय फसल को पानी की जरुरत है, ऐसे में हल्दी की फसल को नुकसान हो रहा है, तथा इसका असर प्रति हैक्टेयर उत्पादकता पर पड़ेगा।
जानकारों के अनुसार नए सीजन में हल्दी की पैदावार 60 लाख बोरी होने का अनुमान था लेकिन अब लगता है कि पैदावार करीब 50 लाख बोरी की ही होगी। इस समय उत्पादक राज्यों में करीब 30 से 35 लाख बोरी हल्दी का स्टॉक बचा हुआ है जबकि नई फसल तक करीब 12 से 15 लाख बोरी की खपत हो जायेगी। ऐसे में करीब 20 से 22 लाख बोरी का ही बकाया स्टॉक बचेगा, जबकि पैदावार कम होने का अनुमान है। देष में हल्दी की सालाना खपत करीब 64 से 68 लाख बोरी की होती है। ऐसे में आगामी दिनों में हल्दी की कीमतों में तेजी की ही संभावना है। वैसे भी त्यौहारी सीजन के कारण इस समय हल्दी में घरेलू मसाला कंपनियों के साथ निर्यातकों की अच्छी मांग बनी हुई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में हल्दी का भाव 3.31 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका भाव 3.52 डॉलर प्रति किलो था।भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान हल्दी के निर्यात में 8 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 24,500 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 22,699 टन का ही हुआ था। वित वर्ष 2014-15 के दौरान हल्दी का निर्यात बढ़कर 86,000 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 77,500 टन का हुआ था।.........आर एस राणा

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