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30 अक्टूबर 2015

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से घटा


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2015-16 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से 11.05 फीसदी कम हुआ है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात 12,308.89 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 13,837.68 करोड़ रुपये का हुआ था।
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2015-16 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान मात्रा के हिसाब से बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल से अगस्त के दौरान 16.78 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 14.35 लाख टन का हुआ था। चालू वित्त वर्ष में देष से बासमती और गैर बासमती चावल के कुल निर्यात में वित्त वर्ष 2014-15 के मुकाबले 8 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
उत्पादक मंडियों में धान की दैनिक आवक बढ़ रही है तथा सरकारी एजेंसियों के साथ ही प्राइवेट कंपनियों की खरीद अच्छी बनी हुई है। नरेला मंडी में पूसा 1,121 बासमती धान का भाव 1,700 से 1,900 रुपये तथा पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव 4,000 रुपये और रॉ का भाव 4,400 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2015-16 के लिए कॉमन ग्रेड धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी 1,410 रुपये और ग्रेड ए धान का एमएसपी 1,450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। भारतीय खाद्य निगम यानि एफसीआई ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2015-16 में अभी तक 82.48 लाख टन चावल की एमएसपी पर खरीद की है। अभी तक खरीद गए चावल में हरियाणा की हिस्सेदारी 24.70 लाख टन और पंजाब की 56.49 लाख टन है। केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2015-16 में 300 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य तय किया है तथा केंद्रीय पूल में पहली सितंबर को 138.92 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद था जोकि तय मानकों से ज्यादा है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ 2015-16 में धान की बुवाई बढ़कर 374.09 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 373.86 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन 2015-16 में 906.1 लाख टन चावल की पैदावार होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 880.2 लाख टन का उत्पादन हुआ था।..................आर एस राणा

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