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12 अक्टूबर 2015

बुवाई में कमी की आषंका से जौ में तेजी


आर एस राणा
नई दिल्ली। माल्ट कंपनियों के साथ ही पषुआहार वालों की मांग बढ़ने से जौ की कीमतों में तेजी देखी गई। वैसे भी इस समय उत्पादक मंडियों में जौ की दैनिक आवक पहले की तुलना में घट रही है, हालाकि विष्व बाजार में दाम कम होने के कारण भारत से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे है। यही कारण है कि जो कीमतों में भारी तेजी नहीं आ पा रही है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेष और हरियाणा में अगस्त-सितंबर महीने में बारिष सामान्य से काफी कम हुई है जबकि जौ की बुवाई का सीजन चल रहा है। माना जा रहा है कि खेतों में नमी की मात्रा कम होने के कारण जौ की बुवाई में कमी आने की आषंका है। हरियाणा के जिन जिलों में जौ का उत्पादन होता है वहीं चालू मानसून सीजन में सबसे कम बारिष हुई है जबकि जौ की बुवाई ज्यादातर असिचिंत क्षेत्रफल में ही होती है। बुवाई में कमी आने की आषंका के कारण ही इस समय माल्ट कंपनियों के साथ-साथ पषुआहार वालों की मांग भी अच्छी है। मौजूदा मांग को देखते हुए इसकी कीमतों में अभी और भी सुधार आने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में जौ की पैदावार 16.3 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 18.3 लाख टन की हुई थी।
राजस्थान की राजसमंद मंडी में जौ का भाव 1,300 से 1,350 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा मंडी में दैनिक आवक 2.5 टन की हुई। राज्य की बांसवाड़ा मंडी में देसी जौ का भाव 1,130 से 1,150 रुपये प्रति क्विंटल रहे। मध्य प्रदेष की सिंघरौली मंडी में जौ का भाव 1,200 से 1,300 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा मंडी में दैनिक आवक 1.2 टन की हुई। गुजरात की दाहोद  मंडी में जौ का भाव 1,200 से 1,250 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा मंडी में दैनिक आवक 0.6 टन की हुई।.....आर एस राणा

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