चाय उद्योग के लिए यह साल उत्साहजनक नहीं रहा है। कमजोर फसल, लचर निर्यात
और कीमतों में उतार-चढ़ाव आदि से यह उद्योग प्रभावित हुआ है। हालांकि चाय
उत्पादक यह मानकार राहत महसूस कर रहे हैं कि दिसंबर एवं मार्च तिमाहियों की
समाप्ति पर चाय की मांग बढ़ेगी, जिससे कीमतें भी ऊपर जाएंगी। अगस्त तक असम
में उत्पादन 33.97 करोड़ किलोग्राम था, जो पिछले साल 35.66 करोड़
किलोग्राम रहा था। पश्चिम बंगाल की हालत भी कमोबेश ऐसी ही रही जहां इस साल
उत्पादन 19.11 करोड़ किलोग्राम रहा। यानी कुल मिलाकर उत्तर भारत में चाय
उत्पादन में 1.27 करोड़ किलोग्राम की कमी दर्ज की गई।
हालांकि चाय उद्योग इस बात से हैरान है कि उत्पादन कम होने के बाद भी इसकी कीमतों पर असर नहीं पड़ा है। उत्तर भारत में औसत नीलामी मूल्य जनवरी-अगस्त में 136.29 किलोग्राम था, जो पिछले साल 145.17 किलोग्राम रहा था। इस क्षेत्र में कोलकाता और गुवाहाटी दो केंद्र कीमतों का रुझान दर्शाते हैं। कोलकाता में औसत कीमत 152.16 रुपये प्रति किलोग्राम था (पिछले साल 161.30 रुपये प्रति किलोग्राम) जबकि गुवाहाटी में कीमतें पिछले साल के 144.80 रुपये के मुकाबले 136.84 रुपये प्रति किलोग्राम है। सिलीगुड़ी में कीमतें कम होकर 118 रुपये किलोग्राम रह गई हैं, पिछले साल 127 रुपये प्रति किलोग्राम थीं। देश में चाय की कीमतें पिछले साल के 125.74 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले 118.52 रुपये किलोग्राम है।
दार्जिलिंग चाय एक मात्र अपवाद रही है। अगस्त में इसकी औसत नीलामी कीमत 310 रुपये प्रति किलोग्राम थी। पिछले साल इसकी कीमत 301 रुपये प्रति किलोग्राम थी। भारतीय चाय संघ के सचिव अरिजित राहा ने हालांकि कहा कि नीलामी में चाय की गुणवत्ता कमोबेश बरकरार है। कोलकाता नीलामी केंद्र में कुल 7.45 किलोग्राम चाय की नीलामी की पेशकश की गई थी। पिछले साल यह आंकड़ा 7.4 करोड़ टन था। गुवाहाटी में यह मात्रा 6.9 किलोग्राम थी, जो पिछले साल 6.47 करोड़ किलोग्राम थी।
कुल मात्रा में 50 प्रतिशत चाय की आपूर्ति नीलामी के जरिये जबकि शेष की आपूर्ति निजी बिक्री के तहत होती है। दक्षिण भारत में भी हालत ठीक नहीं है। हालांकि यहां उत्पादन पिछले साल के बराबर ही रहा है, लेकिन औसत मूल्य 85 रुपये से कम होकर 79 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है। अगस्त तक चाय निर्यात के आंकड़े भी बहुत उत्साहवद्र्धक नहीं रहे हैं। अगस्त से जनवरी के बीच भारत से चाय का निर्यात 12.59 करोड़ टन रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 12.9 करोड़ टन रहा था। हालांकि उत्पादकों का मानना है कि चाय उत्पादन में इस साल आई कमी का असर कीमतों में अक्टूबर से मार्च के बीच देखने को मिलेगा। मैकलॉयड रसेल इंडिया के प्रबंध निदेशक आदित्य खेतान कहते हैं, 'चाय की मांग बढ़ रही है। पिछले साल के मुकाबले निर्यात भी अधिक रहेगा जिसका मतलब है कि पिछला भंडार भी कम ही रहेगा। BS Hindi
हालांकि चाय उद्योग इस बात से हैरान है कि उत्पादन कम होने के बाद भी इसकी कीमतों पर असर नहीं पड़ा है। उत्तर भारत में औसत नीलामी मूल्य जनवरी-अगस्त में 136.29 किलोग्राम था, जो पिछले साल 145.17 किलोग्राम रहा था। इस क्षेत्र में कोलकाता और गुवाहाटी दो केंद्र कीमतों का रुझान दर्शाते हैं। कोलकाता में औसत कीमत 152.16 रुपये प्रति किलोग्राम था (पिछले साल 161.30 रुपये प्रति किलोग्राम) जबकि गुवाहाटी में कीमतें पिछले साल के 144.80 रुपये के मुकाबले 136.84 रुपये प्रति किलोग्राम है। सिलीगुड़ी में कीमतें कम होकर 118 रुपये किलोग्राम रह गई हैं, पिछले साल 127 रुपये प्रति किलोग्राम थीं। देश में चाय की कीमतें पिछले साल के 125.74 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले 118.52 रुपये किलोग्राम है।
दार्जिलिंग चाय एक मात्र अपवाद रही है। अगस्त में इसकी औसत नीलामी कीमत 310 रुपये प्रति किलोग्राम थी। पिछले साल इसकी कीमत 301 रुपये प्रति किलोग्राम थी। भारतीय चाय संघ के सचिव अरिजित राहा ने हालांकि कहा कि नीलामी में चाय की गुणवत्ता कमोबेश बरकरार है। कोलकाता नीलामी केंद्र में कुल 7.45 किलोग्राम चाय की नीलामी की पेशकश की गई थी। पिछले साल यह आंकड़ा 7.4 करोड़ टन था। गुवाहाटी में यह मात्रा 6.9 किलोग्राम थी, जो पिछले साल 6.47 करोड़ किलोग्राम थी।
कुल मात्रा में 50 प्रतिशत चाय की आपूर्ति नीलामी के जरिये जबकि शेष की आपूर्ति निजी बिक्री के तहत होती है। दक्षिण भारत में भी हालत ठीक नहीं है। हालांकि यहां उत्पादन पिछले साल के बराबर ही रहा है, लेकिन औसत मूल्य 85 रुपये से कम होकर 79 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है। अगस्त तक चाय निर्यात के आंकड़े भी बहुत उत्साहवद्र्धक नहीं रहे हैं। अगस्त से जनवरी के बीच भारत से चाय का निर्यात 12.59 करोड़ टन रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 12.9 करोड़ टन रहा था। हालांकि उत्पादकों का मानना है कि चाय उत्पादन में इस साल आई कमी का असर कीमतों में अक्टूबर से मार्च के बीच देखने को मिलेगा। मैकलॉयड रसेल इंडिया के प्रबंध निदेशक आदित्य खेतान कहते हैं, 'चाय की मांग बढ़ रही है। पिछले साल के मुकाबले निर्यात भी अधिक रहेगा जिसका मतलब है कि पिछला भंडार भी कम ही रहेगा। BS Hindi
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