पिछले कुछ दिनों से पशु आहार की कीमतों में बढ़ोतरी से पोल्ट्री उद्योग के
सामने मुसीबत खड़ी हो गई है। सोयाखली की कीमत में करीब 1,000 रुपये प्रति
क्विंटल की बढ़ोतरी होने से बहुत से पोल्ट्री फार्म मालिक चिंतित हैं। अंडे
की उत्पादन लागत 3 रुपये प्रति अंडा है, जबकि मुर्गी पालकों को अपने फार्म
पर कीमत 2.65 से 2.70 रुपये मिल रही है। नामाकल स्थित राष्ट्रीय अंडा
समन्वय समिति (एनईसीसी) के उपाध्यक्ष पी तमिल अरसन ने कहा कि अंडों की
कीमतों में गिरावट और मुर्गी दाने की कीमतों में बढ़ोतरी से छोटे उद्यमियों
को यह धंधा छोडऩा पड़ सकता है। गौरतलब है कि नामाकल भारत का सबसे बड़ा
पोल्ट्री क्लस्टर है, जहां रोजाना 3.2 करोड़ अंड़ों का उत्पादन होता है।
ब्रॉइलर की फार्म गेट कीमत में भारी गिरावट आई है। इसकी कीमत अगस्त में 70 रुपये थी, जो अक्टूबर में घटकर 55 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है। मुर्गीपालक नवरात्र के बाद मांग सुधरने और इस कारोबार में हित में बिचौलियों के अपना कुछ मुनाफा छोडऩे की उम्मीद कर रहे हैं। मुर्गीपालकों को दोहरा झटका लगा है क्योंकि अंडों के साथ ही चिकन के दाम भी पिछले कुछ सप्ताह के दौरान तेजी से घटे हैं। अक्टूबर में अंडों और ब्रॉइलर की औसत कीमतें पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले क्रमश: 10 फीसदी और 25 फीसदी घटी हैं। कारोबारी इसकी वजह मांग और आपूर्ति में अंतर पैदा होने को बता रहे हैं।
दिल्ली के एक कारोबारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए बताया कि बड़े आपूर्तिकर्ताओं की उपस्थिति बढऩे से ब्रॉइलर की कीमतों में गिरावट आई है। बड़े कारोबारी बड़े पैमाने पर उत्पादन से कम लागत का फायदा उठाते हैं और सस्ते उत्पादों से बाजार को पाट देते हैं। इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में वेंकीज, सुगना फूड्स, सीपी फूड्स और शालीमार ब्रीडिंग्स आदि शामिल हैं। हालांकि जीन संवर्धित बीजों से बनी सोयाखली और कृषि पर इसके असर को लेकर चिंताएं हैं। लेकिन केंद्र के आमंत्रण पर पिछले सप्ताह देश का दौरा करने वाले एक जैव-तकनीक विशेषज्ञ और ग्रीनहाउस कम्यूनिकेसंस के अध्यक्ष डेविड ग्रीन ने सोयाबीन की कीमतों को कम रखने का एक समाधान दिया था।
उनके मुताबिक बड़ी आबादी वाले देश उन जीन संवर्धित फंसलों का आयात कर रहे हैं, जिनका कोई नुकसानदेह असर नहीं होता है। जीएम बीजों के इस्तेमाल का फैसला किसानों पर छोड़ा जाना चाहिए और यूरोप एïवं विश्व के अन्य हिस्सों से जीन संवर्धित सोया पशु आहार का आयात फायदेमंद साबित हुआ है। छोटे पोल्ट्री फार्मों की तादाद बढऩे से पिछले साल के मुकाबले इस साल अंडों की कीमतों में गिरावट का रुझान रहा है। पेपे फाम्र्स के निदेशक अरसन पशु आहार की कीमतों में बढ़ोतरी से चिंतित हैं और वह सोया खली की जगह ग्वार खली, बिनौला या सरसों खली का इस्तेमाल करने के बारे में विचार कर रहे हैं। इससे उनकी प्रति किलोग्राम लागत 1 रुपये कम हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस उद्योग में घटते मुनाफे के कारण बैंक ऋण देने के अनिच्छुक हैं। (BS hindi)
ब्रॉइलर की फार्म गेट कीमत में भारी गिरावट आई है। इसकी कीमत अगस्त में 70 रुपये थी, जो अक्टूबर में घटकर 55 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है। मुर्गीपालक नवरात्र के बाद मांग सुधरने और इस कारोबार में हित में बिचौलियों के अपना कुछ मुनाफा छोडऩे की उम्मीद कर रहे हैं। मुर्गीपालकों को दोहरा झटका लगा है क्योंकि अंडों के साथ ही चिकन के दाम भी पिछले कुछ सप्ताह के दौरान तेजी से घटे हैं। अक्टूबर में अंडों और ब्रॉइलर की औसत कीमतें पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले क्रमश: 10 फीसदी और 25 फीसदी घटी हैं। कारोबारी इसकी वजह मांग और आपूर्ति में अंतर पैदा होने को बता रहे हैं।
दिल्ली के एक कारोबारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए बताया कि बड़े आपूर्तिकर्ताओं की उपस्थिति बढऩे से ब्रॉइलर की कीमतों में गिरावट आई है। बड़े कारोबारी बड़े पैमाने पर उत्पादन से कम लागत का फायदा उठाते हैं और सस्ते उत्पादों से बाजार को पाट देते हैं। इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में वेंकीज, सुगना फूड्स, सीपी फूड्स और शालीमार ब्रीडिंग्स आदि शामिल हैं। हालांकि जीन संवर्धित बीजों से बनी सोयाखली और कृषि पर इसके असर को लेकर चिंताएं हैं। लेकिन केंद्र के आमंत्रण पर पिछले सप्ताह देश का दौरा करने वाले एक जैव-तकनीक विशेषज्ञ और ग्रीनहाउस कम्यूनिकेसंस के अध्यक्ष डेविड ग्रीन ने सोयाबीन की कीमतों को कम रखने का एक समाधान दिया था।
उनके मुताबिक बड़ी आबादी वाले देश उन जीन संवर्धित फंसलों का आयात कर रहे हैं, जिनका कोई नुकसानदेह असर नहीं होता है। जीएम बीजों के इस्तेमाल का फैसला किसानों पर छोड़ा जाना चाहिए और यूरोप एïवं विश्व के अन्य हिस्सों से जीन संवर्धित सोया पशु आहार का आयात फायदेमंद साबित हुआ है। छोटे पोल्ट्री फार्मों की तादाद बढऩे से पिछले साल के मुकाबले इस साल अंडों की कीमतों में गिरावट का रुझान रहा है। पेपे फाम्र्स के निदेशक अरसन पशु आहार की कीमतों में बढ़ोतरी से चिंतित हैं और वह सोया खली की जगह ग्वार खली, बिनौला या सरसों खली का इस्तेमाल करने के बारे में विचार कर रहे हैं। इससे उनकी प्रति किलोग्राम लागत 1 रुपये कम हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस उद्योग में घटते मुनाफे के कारण बैंक ऋण देने के अनिच्छुक हैं। (BS hindi)
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