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28 फ़रवरी 2015

किसान संगठन


भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) पंजाब के अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल ने कहा कि केंद्र सरकार चुनाव के समय किए गए वायदो से मुकर रही है। भाजपा ने चुनाव के समय स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने की बात कही थी लेकिन अभी तक उसे लागू नहीं किया गया है। इसी तरह से सरकार भूमि अधिग्रहण बिल में संषोधन कर किसानों की उपजाउ भूमि के अधिग्रहण का रास्ता साफ कर रही है। हम इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे। देषभर की किसान यूनियन 19 मार्च को नई दिल्ली में पंचायत करने का रही हैं जिसमें आगे की रणनीति तय की जायेगी।

किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी एम सिंह ने कहा कि सरकार ने बजट में किसान ऋण को बढ़ाकर 8.5 लाख करोड़ रूपये तो कर दिया तथा ब्याज में कोई कमी नहीं की। ऋण में बढ़ोतरी से किसान और कर्जवान हो जायेगा और उसकी जमीन बैंकों के पास गिरवी हो जायेगी तथा देष के किसानों की आर्थिक स्थिति और दयनीय हो जायेगी।

बजट में केंद्र ने कृशि कर्ज के लक्ष्य को बढ़ाकर 8.5 लाख करोड़ किया


किसान संगठनों का कहना वायदा खिलाफी कर रही है सरकार
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बजट में किसानों के लिए वर्श 2015-16 के लिए कृशि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर 8.5 लाख करोड़ रूपये कर दिया। हालांकि ब्याज की दरों का पिछले बजट के बराबर ही रखा है। किसान संगठनों का कहना है कि कृशि ऋण का लक्ष्य बढ़ाने से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। सरकार किसानों की सच्ची हितेशी है तो फिर स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करें, देषभर के किसान संगठन दिल्ली में 19 मार्च को पंचायत कर सरकार से किसानों के हितों की मांग करेंगे।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 2015-16 का आम बजट पेष करते हुए कहा कि कृशि ऋण हमारे मेहनती किसानों को सहारा देते हैं इसलिए बजट में कृशि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर 8.5 लाख करोड़ किया गया है तथा उम्मीद है कि बैंक इस लक्ष्य को पार कर लेंगे। किसानों को तीन लाख रूपये तक का फसली ऋण सात फीसदी की ब्याज दर पर मिलता है। किसानों द्वारा ऋण का समय पर भुगतान करने से ब्याज दर में तीन फीसदी की कमी हो जाती है। चालू वित वर्श में कृशि ऋण वितरण का लक्ष्य 8 लाख करोड़ रूपये है तथा सितंबर तक 3.7 लाख करोड़ रूपये का बैकों द्वारा ऋण वितरण भी किया गया है।
वित मंत्री ने कहा कि किसानों को प्रभावी और अड़चनरहित कृशि ऋण प्राप्त हो इसके लिए सरकार ने 2015-16 के बजट में ग्रामीण संचरना विकास कोश में 25,000 करोड़ रूपये का आवंटन किया है। इसके अलावा दीर्घाअवधि के ग्रामीण ऋण कोश के लिए 15,000 करोड़ रूपये का आवंटन किया है। साथ ही सहकारी ग्रामीण ऋण पुनर्वित्त कोश के लिए 45,000 करोड़ रूपये और लघु अवधि के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्वित्त कोश के लिए 15,000 करोड़ रूपये के आवंटन का प्रस्ताव किया है।
सिंचाई को प्रोहत्सान देने व मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए वित मंत्री ने कहा कि किसानों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता काफी गहरी है, हमने पहले ही कृशि उत्पादन के दो महत्वपूर्ण पहलुओं मिट्टी और पानी के लिए बड़े कदम उठाए हैं। वित मंत्री ने कहा कि मैं कृशि मंत्रालय की जैव कृशि योजना, परंपरा कृशि विकास योजना तथा प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना (पीएमजीएसवाई) को समर्थन का प्रस्ताव करता हूं। मैं इन योजनाओं के लिए बजट में 5,300 करोड़ रूपये के आवंटन का प्रस्ताव करता हूं। किसानों की आमदनी बढ़ाने पर सरकार जोर देगी तथा इसके लिए राश्टीय साझा बाजार स्थापित करने की योजना है।.....आर एस राणा

बजट 2015 ने कृषि और किसान को किया निराश----भाकियू


देश की कुल आबादी के 70 प्रतिशत किसानों के लिए केवल 24800 करोड का प्रावधान, औ़घोगिक घरानों को 23000 करोड की छूट शर्मनाक-----चै0 टिकैत
भारत सरकार द्वारा की गयी बजट की घोषणा से निश्चित है कि सरकार की नीति में कृषि प्राथमिक मुद्दा नही है। बजट में कृषि की घोर उपेक्षा की गयी है। कृषि क्षेत्र जिस दौर से गुजर रहा है उसे सम्भालना सरकार की जिम्मेदारी थी, लेकिन कृषि बजट में 1200 करोड की कटौती कर स्पष्ट कर दिया है कि कृषि सरकार की प्राथमिकता में नही हैं। बजट आवंटन की राशी को घटाना समझ से परे है। कृषि कार्ड, सिंचाई, पशु पालन आदि की जो बातें सरकार द्वारा की गई है, बजट आवंटन राशी को देखने से लगता है कि यह सभी योजनाएॅ धन अभाव के कारण दम तोड देगी। आज देश का किसान सूखा बाढ़ आत्महत्या से पीडित है बजट में किसानो की आजीविका तय किये जाने की आवश्यकता थी लेकिन इन तथ्यो पर सरकार द्वारा ध्यान नही दिया गया है। किसानों के साथ भद्दा मजाक किया गया है।
देश की 70 प्रतिशत आबादी के लिए बजट की राशी का आवंटन 26 हजार करोड से घटाकर 24800 करोड कर दिया है दूसरी तरफ औघोगिक घरानो को 23000 करोड की छूट प्रदान कर दी गई है। किसानो को नरेन्द्र मोदी की सरकार से काफी उम्मीदे थी जो बजट के बाद निराशा मे बदल गई है। किसानो को फसल बीमा योजना का दायरा बढाने, किसानो की न्यूनतम आमदनी तय किये जाने, फसलों का लाभकारी मूल्य, किसानो को सीधी सब्सिडी, रासायन एंव उर्वरको के मूल्य में कमी आदि कई योजनाओं की उम्मीदे थी। लेकिन बजट आवंटन की राशी ने किसानों को झुनझुना थमा दिया। बजट से यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार गांव, गरीब और किसान विरोधी है।
यह बजट किसान विरोधी है। इससे किसान खेती छोडने और आत्महत्या करने को मजबूर होगा और कर्ज के जाल में फंस कर अपनी जमीन खो देगा।
इस बजट से स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में किसानो के बुरे दिन और औघोगिक घरानो के अच्छे दिन आ गये हैA  चै0 राकेश टिकै (राष्ट्रीय प्रवक्ता भकियू)

वित्त वर्ष 2015-16 में 8 से 8.5% रहेगी वृद्धि दर: वित्त मंत्री

नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 8 से 8.5% पर पहुंच जाएगी और आगे के वर्षों में यह दो अंक में होगी।
लोकसभा में वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, वृद्धि दर 2015-16 में 8 से 8.5% के बीच रहने का अनुमान है। दो अंक की वृद्धि दर हासिल करना जल्द व्यावहारिक होगा। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने हाल में जीडीपी की वृद्धि दर के गणना के आधार वर्ष को 2011-12 कर दिया है। इसके अनुसार 2013-14 में वृद्धि दर 6.9% रहने का अनुमान है, जबकि 2014-15 में यह 7.4% रहेगी।
संसद में कल पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वृद्धि दर को सुधार, कच्चे तेल के निचले दाम, मुद्रास्फीति में गिरावट की वजह मौद्रिक नीति में नरमी और 2015-16 में सामान मानसून के अनुमान से वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा।

राजकोषीय घाटा 2015-16 के लिए GDP का 3.9% रहने का अनुमान

नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015-16 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.9 प्रतिशत रखा गया है और 2017-18 तक इसे घटाकर 3 प्रतिशत पर लाने का प्रस्ताव है।
संसद में 2015-16 के लिए आम बजट पेश करते हुए जेटली ने राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की रूपरेखा सामने रखते हुए कहा कि तीन प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तीन साल में हासिल कर लिया जाएगा। राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की पूर्व की रूपरेखा के मुताबिक, राजकोषीय घाटा 2016-17 तक 3 प्रतिशत पर लाया जाना था।
जेटली ने कहा कि राजकोषीय जिम्मेदारी व बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून में इसके मुताबिक संशोधन किया जाएगा। ढांचागत क्षेत्र के वित्त पोषण के लिए अतिरिक्त राजकोषीय गुंजाइश उपलब्ध होगी। नयी रूपरेखा के मुताबिक, राजकोषीय घाटा 2015-16 में जीडीपी का 3.9 प्रतिशत रहेगा, 2016-17 में 3.5 प्रतिशत और 2017-18 में तीन प्रतिशत रहेगा।
जेटली ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के संबंध में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के मुताबिक 4.1 प्रतिशत रहेगा। मैं विरासत में मिले 4.1 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को पूरा करूंगा।

आम बजट 2015-16 के मुख्य बिंदु

नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली शनिवार को ओर से लोकसभा में प्रस्तुत आम बजट के मुख्य इस प्रकार हैं :
- इस साल इनकम टैक्‍स की छूट की सीमा नहीं बढ़ेगी।
-इनकम टैक्‍स छूट सीमा में कोई बदलाव नहीं, पुराना टैक्‍स स्‍लैब ही लागू होगा।
-कॉरपोरेट टैक्‍स दर को अगले 4 साल में घटाकर 30 फीसदी से 25 फीसदी किया जाएगा। -एक करोड़ से ज्‍यादा आय वालों पर दो फीसदी अतिरिक्‍त टैक्‍स लगाया जाएगा।
-वेल्‍थ टैक्‍स खत्‍म, सुपर रिच कैटेगरी पर लगेगा दो फीसदी सरचार्ज।
- कर छूटों को युक्तिसंगत बनाएंगे।
-सर्विस टैक्‍स बढ़ाने से हर चीज होगी महंगी।
- हेल्‍थ इंश्‍योरेंस में छूट सीमा 15 हजार से बढ़ाकर 25000 रुपये की गई।
- पेंशन फंड पर छूट सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये की गई।
- वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस 20000 से बढ़ाकर 30000 करोड़ रुपये किया गया।
- यात्रा भत्‍ता की टैक्‍स छूट सीमा 800 रुपये से बढ़ाकर 1600 रुपये की गई।
- एक लाख से ज्‍यादा की खरीद पर पैन नंबर बताना जरूरी होगा।
-2016 से लागू किया जाएगा जीएसटी।
- रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पर जोर।
- शहरी आवास के लिए 22407 करोड़ रुपये का प्रावधान।
- विदेश में कालाधन छिपाने पर सात साल की सजा।
- कालेधन के दोषियों को दस साल की सजा।
- कालेधन रखने वालों पर सरकार का बडा ऐलान।
- बेनामी संपत्तियों को जब्‍त करने पर कानून बनेगा।
- कॉरपोरेट टैक्‍स दर को अगले 4 साल में घटाकर 30 फीसदी से 25 फीसदी किया जाएगा।
- रक्षा क्षेत्र के लिए 2.46 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान।
- नमामि गंगे के लिए 4173 करोड़ रुपये का प्रावधान।
- बिहार और पश्चिम बंगाल को आंध्र प्रदेश जैसी ही मदद दी जाएगी।
- आईएसएम धनबाद को आईआईटी का दर्जा देंगे।
- 20000 गांवों में सौर ऊर्जा पहुंचाने का लक्ष्‍य।
- 80000 सीनियर सेंकेडरी स्‍कूल खोलने का लक्ष्‍य।
-कालाधन रोकने के लिए कैश ट्रांजेक्‍शन को बढ़ावा।
- वीजा ऑन अरावइल में 150 देशों को शामिल करेंगे।
- विदेशी निवेश के नियम सरल बनाएंगे।
- गोल्‍ड अकाउंट खोलने की योजना और बदले में ब्‍याज मिलेगा।
- राष्‍ट्रीय स्किल मिशन योजना की शुरुआत।
- पीएम विद्या लक्ष्‍मी योजना में छात्रों को एजुकेशन लोन। गरीब छात्रों को मिलेगा कर्ज।
- बिहार में एम्‍स जैसे नए संस्‍थान बनाने का प्रस्‍ताव।
- जेएंडके, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल, असम में नए एम्‍स बनाए जाएंगे।
- कर्नाटक में आईआईटी खोला जाएगा।
- विदेशी निवेश को सरल बनाया जाएगा।
-कृषि सिंचाई योजना में तीन हजार करोड़ रुपये बढ़ाएंगे।
- अगले साल से 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होंगी।
- फेमा नियमों में बदलाव का प्रस्‍ताव।
- मनरेगा में पांच हजारा करोड़ रुपये की राशि बढ़ेगी।
- सेबी और एफएमसी का विलय किया जाएगा।
- डायरेक्‍ट टैक्‍स प्रणाली लागू किया जाएगा।
- कर्मचारियों को ईपीएफ या पेंशन स्‍कीम चुनने का विकल्‍प दिया जाएगा।
- ईपीएफ या पेंशन स्‍कीम को लागू किया जाएगा।
- नकद लेन देन को कम करने के लिए डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का इस्‍तेमाल बढ़ाया जाएगा।
- गोल्‍ड अकाउंट खोलने की योजना से ब्‍याज मिलेगा।
- विदेशी सोने की सिक्‍कों की जगह देशी सोने की सिक्‍कों का चलन बढ़ेगा।
- 4000 मेगावाट के 5 अल्‍ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्‍ट शुरू होंगे।
-टैक्‍स फ्री इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर बॉन्‍ड का ऐलान1
- विदेशी मुद्रा भंडार 340 बिलियन डॉलर
- सरकार ने बढ़ाया निवेश का माहौल
- चालू खाते का घाटा 1.3 फीसदी से कम रहने की उम्मीद
- सरकार की तीन बड़ी उपलब्धियां- 1. जन-धन योजना 2. पारदर्शी कोल ब्लाक नीलामी 3.स्वच्छ भारत अभियान
- 50 लाख शौचालय का निर्माण हो चुका है
- हमारा लक्ष्य 6 करोड़ शौचालय बनाने का
- सब्सिडी पहुंचाने के लिए JAM का उपयोग
- सभी योजनाएं गरीबी केंद्रित होनी चाहिए
- 2022 तक 2 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य
- 2015-16 में 8 फीसदी विकास दर का लक्ष्य
- प्रधानमंत्री बीमा योजना लागू होगी।
- 2020 तक सभी गांवों तक बिजली पहुंचाएंगे।
- 2022 तक गरीबी उन्‍मूलन का लक्ष्‍य।
- 2022 तक दो करोड़ घर को पूरा करने का लक्ष्‍य।
- हर गांव को संचार नेटवर्क से जोड़ने की कोशिश
- एक लाख किलोमीटर तक सड़क बनाने का लक्ष्‍य।
-निर्भया कोष में अतिरिक्‍त 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान।
- सब्सिडी के लिए जेएएम आधार बनेगा।
- समावेशी विकास के लिए पूर्वोत्‍तर राज्‍यों पर जोर।
- मोदी सरकार के लिए जन धन योजना बड़ी उपलब्धि।
- 5300 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के लिए आवंटित
- 250000 करोड़ रुपये किसानों को नाबार्ड के गठित फंड के जरिये मिलेंगे।
- उच्‍च आय वर्ग वाले लोग एलपीजी सुविधा न लें।
-मनरेगा के लिए 34600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
- 15000 करोड़ रुपये आरईबी योजना में लागू होगा।
- गांववालों को कर्ज देने के लिए पोस्‍ट ऑफिस का सहरा लिया जाएगा।
- पीएम बीमा योजना के तहत हर नागरिक को बीमा
- 12 रुपये प्रीमियम पर हर साल दो लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा
- पीएम बीमा योजना शुरू करने का ऐलान
- जीडीपी 7.4 फीसदी रहने का अनुमान
- अल्‍पसंख्‍यक युवाओं की शिक्षा के लिए नई मंजिल योजना लॉन्‍च योजना करेंगे
- अटल पेंशन योजना शुरू की जाएगी, इसके तहत 60 साल के बाद पेंशन मिलेगी। 1000 रुपये सरकार देगी और 1000 रुपये दावेदार देंगे।
- बीपीएल बुजुर्गों के लिए पीएम बीमा योजना।
- जन धन योजना में दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा मिलेगा।
-जन धन योजना के तहत पेंशन भी मिलेगी।
-जन धन योजना से डाकघरों को जोड़ने का प्‍लान।

रबर पर आयात शुल्क 30 फीसदी करने की मांग

प्लांटर्स की एक संस्था यूनाइटेड प्लांटर्स एसोसिएशन ऑफ सदर्न इंडिया (उपासी) ने सरकार से प्राकृतिक रबर पर आयात शुल्क बढ़ाकर 30 फीसदी करने का आग्रह किया है। इस समय आयात शुल्क 20 फीसदी है। उन्होंने कहा कि इससे घरेलू किसानों का संरक्षण होगा, जो कीमतों में बड़ी गिरावट से भारी घाटा झेल रहे हैं।

बजट पूर्व ज्ञापन-पत्र में उपासी के अध्यक्ष विजयन राजेश ने कहा, 'अगर ऐसे तात्कालिक कदम नहीं उठाए गए तो इससे उन 12 लाख किसानों की आजीविका पर असर पड़ेगा, जो इस महत्त्वपूर्ण औद्योगिक कच्चे माल की पैदावार से जुड़े हैं। इस बात की भी आशंका है कि बहुत से किसान अन्य फसलों का रुख कर सकते हैं।' उन्होंने उपभोक्ता उद्योगों के इस दावे का खंडन किया कि प्राकृतिक रबर के आयात ने घरेलू किसानों को प्रभावित नहीं किया है।

आयात के आंकड़ों से यह साफ है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान आयात बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष के दौरान यह रुझान बेलगाम जारी है। अप्रैल से दिसंबर 2014 के दौरान प्राकृतिक रबर का आयात 3,51,000 टन रहा है, जो इससे पिछले साल की इसी अवधि में 2,88,000 टन था। यह आयात में सालाना आधार पर 22 फीसदी बढ़ोतरी दर्शाता है। हालांकि खपत महज 4.4 फीसदी बढ़कर 7,64,000 टन रही है, जो अप्रैल-दिसंबर 2013 में  7,31,000 टन थी। भारत अब तक वैश्विक रबर उत्पादन में अग्रणी था। लेकिन अब पांचवें पायदान पर आ गया है, क्योंकि रबर उत्पादकों ने अलाभकारी कीमतों के कारण टैपिंग बंद कर दी है। उत्पादकों के टैपिंग नहीं करना उत्पादन में कमी का एक मुख्य कारण है और इस कमी का इस्तेमाल ज्यादा आयात की एक वजह के रूप में किया जा रहा है। (BS Hindi)

खत्म नहीं हो रहा ग्वार का गम

ग्वार की कीमतों में गिरावट का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। विदेशी मांग न होने के कारण निर्यातक ग्वार गम मिलों से उठाने को तैयार नहीं है और मिल मालिक मंडियों में ग्वार सीड पर हाथ ही नहीं लगा रहे हैं। मांग न होने के कारण ग्वार सीड की कीमतें गिरकर 3,500 रुपये प्रति क्ंिवटल और ग्वार गम की कीमतें 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के करीब पहुंच गईं। कीमतें गिरने की प्रमुख वजह तेल उत्पादक देशों से मांग न होना बताया जा रहा है। हालांकि बाजार केजानकार पूरी तरह इससे सहमत नहीं हैं।

ग्वार उत्पादक प्रमुख राज्य राजस्थान की मंडियों में ग्वार सीड की कीमत गिरकर 3,500 रुपये प्रति क्ंिवटल पहुंच गईं तो तीन साल पहले वाला लखटकिया ग्वार गम 8,000 रुपये प्रति क्ंिवटल पर आ गया। हाजिर बाजार में ग्वार पिछले चार साल के निचले स्तर पर पहुंच चुका है। हाजिर बाजार में ग्वार 28 जून 2011 और ग्वार गम 17 मार्च 2011 को इस स्तर पर था। हाजिर बाजार में हो रही गिरावट का असर वायदा बाजार में भी पड़ रहा है।

एनसीडीईएक्स में ग्वार गम 8,300 रुपये और ग्वार सीड 3,522 रुपये पर पहुंच गया। ग्वार की कीमतों में लगातार गिरावट के कारण कोई भी कारोबारी ग्वार में फिलहाल हाथ नहीं लगा रहा है जिसके कारण आढ़तियों के यहां भारी मात्रा में स्टॉक जमा हो चुका है। ग्वार मिल मालिक अपनी मिलों में काम पहले ही बंद कर चुके हैं। उनका कहना है कि उनका जो माल तैयार है जब तक वह नहीं उठता है तब तक वह पेराई नहीं चालू करेंगे। ऐसे में किसानों के पास माल रोकने के अलावा कोई चारा नहीं है। बीकानेर मंडी में माल बेचने वाले किसान अशोक पूनमिया कहते हैं कि दरअसल इस समय ग्वार का कोई दाम ही नहीं है, कारोबारी जो दाम दे दे वही पर्याप्त है।

वायदा कारोबार में प्रमुख कृषि जिंस होने के बावजूद ग्वार की कोई भी आधिकारिक जानकारी प्राप्त करना मुश्किल है। बीकानेर उद्योग मंडल के प्रवक्ता पुखराज चोपड़ा कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट की वजह से ग्वार की मांग लगभग खत्म हो गई है। ग्वार की निर्यात मांग न के बराबर होने के कारण कीमतें लगातार गिर रही हैं। कीमतों में गिरावट चलते ग्वार किसानों, मिल मालिकों और कारोबारियों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में सरकार ग्वार उद्योग और किसानों को बचाने के लिए दखल दे और सरकार ग्वार कमिश्नरी बनाए जो कीमतों के गिरने पर किसानों की मदद करे।

दूसरी तरफ कुछ लोगों का तर्क है कि यह सही है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिर गई हैं लेकिन तेल का उत्पादन कम नहीं हुआ है यानी ग्वार का उपयोग भी कम नहीं होना चाहिए। ऐसे में दो बातें हैं, या तो तेल उत्पादक कंपनियों ने ग्वार का विकल्प तलाश लिया है या फिर बड़े ग्वार निर्यातकों के साथ मिलकर कीमतों को इस स्तर पर ले जाया गया है। कमोडिटी बाजार के जानकार बृजेश सिंह कहते हैं दरअसल ग्वार के सही आंकड़े उपलब्ध नहीं होते हैं जिसके कारण इस पर कुछ भी बोलना भी मुश्किल होता है। ग्वार की विडंबना ही है कि प्रमुख जिंस होने के बावजूद इसके उत्पादन और मांग के सही और अधिकारिक आंकड़े मिलना मुश्किल होते हैं।

कमोडिटी एक्सचेंजों में ट्रेडिंग होने के बावजूद इनके पास ग्वार की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। देश की प्रमुख कमोडिटी ब्रोकिंग एजेंसियों के जानकारों का कहना है कि 2012 तक ग्वार पर रिपोर्ट तैयार की जाती थी लेकिन इसके बाद ग्वार की अनियंत्रित तेजी और सटोरियों के खेल को रोकने के लिए वायदा बाजार आयोग ने नियम काफी सख्त कर दिये। इसके साथ ही आयोग ने कमोडिटी एजेंसियों को भी निशाने पर लेना शुरु कर दिया, कानूनी पचड़े से बाहर रहने के लिए एजेंसियों ने ग्वार पर बोलना और लिखना बंद कर दिया। इससे ग्वार का वायदा कारोबार हो तो रहा है लेकिन निवेशकों को इसकी कोई भी जानकारी नहीं है। ऐसे में सटोरियों के लिए ग्वार की कीमतों में सट्टेबाजी का रास्ता भी साफ हो गया है।  (BS Hindi)

एफसीआई करेगा तिलहन और दलहन की खरीदारी

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अगले कुछ महीनों में गेहूं और चावल के अलावा तिलहन और दलहन की खरीद भी शुरू कर सकता है। दलहन और तिलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से संबद्ध एक दीर्घकालिक निर्यात एवं आयात नीति भी बनाए जाने की संभावना है। केंद्र सरकार की खाद्यान्न खरीद इकाई-एफसीआई अभी दलहन और तिलहन की खरीद नहीं करती है। अगर इन जिंसों की कीमतें गिरती हैं तो आमतौर पर कृषि मंत्रालय नेफेड और लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ के जरिये सीमित दखल देता है। खाद्य, कृषि, वाणिज्य एवं वित्त मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में इसमें इस स्थिति को बदलने का फैसला लिया गया। इसके अलावा एफसीआई में सुधार पर शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने की योजना बनाने की बात भी कही गई।

अधिकारियों ने कहा कि एफसीआई ने इस बात पर सहमति जताई है कि वह कृषि मंत्रालय के फैसला लेने के बाद तिलहन और दलहन की खरीद शुरू करेगा। इस बैठक में हिस्सा लेने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'किसानों को निश्चित रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए तिलहन और दलहन की खरीद में हमें कोई दिक्कत नहीं है।'

शांता कुमार पैनल ने कहा था कि सरकार को अपनी एमएसपी नीति में संशोधन करने की जरूरत है। पिछले महीने प्रधानमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पैनल ने कहा था, 'अगर सरकार धान और गेहूं की खरीद के लिए उचित व्यवस्था नहीं बना सकती तो 23 जिंसों का एमएसपी घोषित करने का कोई तुक नहीं है। दालों और तिलहनों (खाद्य तेलों) को प्राथमिकता देने की जरूरत है।' अधिकारी ने कहा, 'कमेटी की ज्यादातर प्रमुख सिफारिशों पर खाद्य, कृषि, उर्वरक, वाणिज्य और वित्त मंत्रालयों ने अपना रुख तय कर लिया है और इसकी सूचना प्रधानमंत्री कार्यालय को अगले कुछ दिनों में दी जाएगी।'

उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय ने उन 23 से ज्यादा फसलों की कीमत नीति की समीक्षा करने पर सहमति जताई है, जिनका एमएसपी घोषित किया जाता है। अगर जरूरत महसूस हुई तो मंत्रालय इस सूची में कुछ फसलों को हटा भी सकता है। एफसीआई आगे से केवल निजी मिलों के बजाय राज्य सरकारों से चावल की खरीद करेगा। (BS Hindi)

फीड निर्माताओं की मांग से मक्का की कीमतों में तेजी का रूख


    उत्पादक राज्यों में मक्का के दाम एमएसपी से भी नीचे
आर एस राणा
नई दिल्ली। फीड निर्माताओं के साथ ही स्टार्च मिलों की मांग से मक्का की कीमतों में सप्ताहभर में 50 से 75 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। हरियाणा व पंजाब पहुंच मक्का के सौदे 1,560 से 1,575 रूपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं। हालांकि उत्पादक मंडियों में मक्का की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,310 रूपये प्रति क्विंटल से नीचे ही बनी हुई है तथा मार्च के आखिर तक रबी मक्का की आवक षुरू हो जायेगी। ऐसे में अप्रैल महीने में कीमतों में गिरावट आने की संभावना है।
मक्का के कारोबारी कमलेष जैन ने बताया कि उत्पादक राज्यों में बढ़िया मक्का की आवक कम हो रही है जबकि होली के त्यौहार के कारण इस समय पोल्ट्ी फीड निर्माताओं की मांग अच्छी बनी हुई है, साथ ही स्टार्च मिलों की मांग भी बराबर बनी हुई है। इसलिए सप्ताहभर में इसकी कीमतों में 50 से 75 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है।
गोपाल ट्ेडिंग कंपनी के प्रबंधक राजेष अग्रवाल ने बताया कि उत्पादक राज्यों की मंडियों में मक्का के भाव 1,230 से 1,280 रूपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। मार्च के आखिर तक बिहार, आंध्रप्रदेष और महाराश्ट् में रबी मक्का की आवक षुरू हो जायेगी। हालांकि चालू रबी में मक्का की पैदावार में कमी आने की आषंका है लेकिन निर्यात पड़ते नहीं होने के कारण उत्पादक मंडियों में रबी में मक्का के दाम घटकर 1,150 से 1,200 रूपये प्रति क्विंटल रहने की संभावना है।
एपीडा के अनुसार चालू वित वर्श 2014-15 के पहले 9 महीनों (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान 29.74 लाख टन मक्का का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्श की समान अवधि में 33 लाख टन मक्का का निर्यात हुआ था। मक्का निर्यातक दलीप काबरा ने बताया कि विष्व बाजार में भारतीय मक्का के दाम उंचे है इसलिए सितंबर से अभी तक निर्यात सीमित मात्रा में ही हो पाया है। खाड़ी देषों में मक्का के एफओबी भाव 258 से 262 डॉलर प्रति टन हैं।
कृशि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मक्का की बुवाई 15.37 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 15.53 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। रबी के प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य बिहार में मक्का की बुवाई 4.25 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 4.31 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।.......आर एस राणा

27 फ़रवरी 2015

चांदी की कीमत में सुधार

वैश्विक बाजार में तेजी के रुख के बीच कारोबारियों की ओर से अपना स्टॉक बढ़ाए जाने के कारण मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में गुरुवार को चांदी वायदा 195 रुपये बढ़कर  36,650 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया। एमसीएक्स में चांदी वायदा का मार्च सौदा 195 रुपये अथवा 0.53 फीसदी बढ़कर  36,650 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया। इसमें 455 लॉट के लिए कारोबार हुआ। इसी प्रकार इसका मई सौदा भी 182 रुपये अथवा 0.49 फीसद बढ़कर  37,015 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया। इसमें 55 लॉट के लिए कारोबार हुआ। बाजार विश्लेषकों ने बताया कि वैश्विक बाजार में तेजी के रुख के बीच कारोबारियों की ओर से अपना स्टॉक बढ़ाए जाने से चांदी वायदा में तेजी आई।

एफटीआईएल बेचेगी हिस्सेदारी

फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस ने इस बात का संकेत दिया है कि वह मोबाइल ट्रांजेक्शन और पेमेंट गेटवे कंपनी एटम में अपनी 95 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर इससे बाहर निकल रही है। एटम एफटीआईएल की सहायक कंपनी है, जिसकी स्थापना 7-8 साल पहले हुई थी। एफटीआईएल ने अपने वैश्विक एक्सचेंजों जैसे बुर्सा अफ्रीका, बहरीन फाइनैंशियल एक्सचेंज (बीएफएक्स) और दुबई गोल्ड ऐंड कमोडिटी एक्सचेंज (डीजीसीएक्स) में 27.3 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का संकेत दिया है। एफटीआईएल ने इंडियन एनर्जी एक्सचेंज की 25.64 फीसदी हिस्सेदारी 2,250 करोड़ रुपये में बेचने के शेयर खरीद समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

एफटीआईएल के चेयरमैन वेंकट चारी ने ये संकेत अपने 68,000 शेयरधारकों को संबोधित पत्र में दिए हैं। उन्होंने शेयरधारकों को सुझाव दिया है कि संकटग्रस्त सहायक कंपनी नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) के एफटीआईएल में प्रस्तावित विलय का विरोध किया जाए। एक पत्र में चारी ने कहा कि अभी तक एफटीआईएल को विभिन्न परिसंपत्तियों की बिक्री से 2,153 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है और एटम, डीजीसीएक्स और अन्य उपक्रमों में हिस्सेदारी बिक्री के लिए बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा, 'कंपनी के पास 2,000 करोड़ रुपये की नकदी है, जबकि हिस्सेदारी बिक्री से जुटाई जाने वाली राशि एफटीआईएल के शेयरधारकों की होगी और इसलिए शेयरधारकों को एनएसईएल के एफटीआईएल में विलय का विरोध करना चाहिए।'

एफटीआईएल के शेयरधारकों को संबोधित पत्र बीएसई में पेश किया गया है। इस पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि किस तरह कंपनी की सब्सिडियरी एनएसईएल के 24 बकायेदारों के 5,600 करोड़ रुपये का डिफॉल्ट करने के बाद एफएमसी ने एफटीआईएल को अयोग्य (नॉट फिट ऐंड प्रॉपर) घोषित किया। एफएमसी के आदेश के बाद अन्य एक्सचेंजों में एफटीआईएल का नियमन करने वाले नियामकों ने भी इसी तरह के आदेश जारी किए। इससे कंपनी को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, क्योंकि एफएमसी के अयोग्य ठहराने के आदेश को चुनौती दी गई और और यह मामला अभी न्यायालय के विचाराधीन है।

इसे मद्देनजर रखते हुए, 'शेयरधारकों को प्रस्तावित विलय का विरोध करना चाहिए, क्योंकि यह एफटीआईएल के शेयरधारकों के हितों के खिलाफ है और वैध नहीं है, क्योंकि एनएसईएल सीमित उत्तरदायित्व कंपनी है।' एफटीआईएल ने अपनी नकदी और अन्य संपत्तियों की जानकारी बीएसई को दी है। इसमें कहा गया है कि एफटी टावर, जहां कंपनी का कार्यालय है, उसकी कीमत 500 करोड़ रुपये है। कंपनी की बुक वैल्यू 614 रुपये प्रति शेयर है। कंपनी के शेयर की कीमत इस समय 172.5 रुपये प्रति शेयर चल रही है। एफटीआईएल ने कहा कि 474 करोड़ रुपये के ऋण को घटाने के बाद उसके पास शुद्ध नकदी 1,585 करोड़ रुपये है, जो 344 रुपये प्रति शेयर होती है। इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि डीजीसीएक्स सहित सभी वैश्विक एक्सचेंजों में हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत चल रही है। वहीं, कंपनी एटीओएम में अपनी 95 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए भी सौदेबाजी कर रही है। 

प्रस्तावित विलय का एफटीआईएल, प्रमुख अल्पांश हिस्सेदारों भारत एवं रवि सेठ और चार बैंकों (सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और सिंगापुर के डीबीएस बैंक) ने विरोध किया है। सभी अन्य शेयरधारकों से कंपनी मामलों के मंत्रालय में अपना विरोध दर्ज कराने को कहा गया है। (BS Hindi)

हरियाणा-पंजाब में एफसीआई न करे खरीद

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से कहा है कि वह पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में खाद्यान्न की खरीद नहीं करे, क्योंकि वहां खरीद प्रणाली पूरी तरह विकसित हो चुकी है। खाद्य सचिव सुधीर कुमार ने आज यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने केंद्र के फैसले पर पहले ही सहमति जता दी है, जबकि पंजाब ने कहा है कि एफसीआई की खरीद चरणबद्ध तरीके से बंद की जाए। एफसीआई पुनर्गठन के लिए शांताकुमार समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन के सवाल पर कुमार ने कहा, 'हम सिफारिशों पर विचार कर रहे हैं। कुछ का कार्यान्वयन तुरंत किया जा सकता है। कुछ के लिए हमें समयसारणी बनानी पड़ेगी। कुछ सिफारिशों का हम कार्यान्वयन नहीं कर सकते।'

समिति की कार्यान्वित की जा रही सिफारिशों के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार ने बोनस के मद्दे पर फैसला किया है और राज्यों से कहा है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर इसकी घोषणा नहीं करें। सरकार ने अक्टूबर से शुरू होने वाले आगामी सीजन से लेवी चावल को समाप्त कर दिया है।

सरकारी भंडार से नहीं होगा गेहूं निर्यात

सरकार इस साल अपने अधिशेष गेहूं भंडार का निर्यात नहीं करेगी और बंपर गेहूं उत्पादन के अनुमानों के बावजूद घरेलू बाजार में अनाज बेचती रहेगी। खाद्य सचिव सुधीर कुमार ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि निजी कारोबारी खुले सामान्य लाइसेंस के तहत गेहूं का निर्यात कर सकते हैं। सरकार ने सितंबर 2011 में गेहूं के निर्यात पर रोक हटाई थी। उसके बाद 2012-13 व 2013-14 में एफसीआई के गोदामों से लगभग 60 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया। (BS Hindi)

जिंसों व शेयरों के लिए अब एक केवाईसी

पूंजी और जिंस बाजार में इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं को व्यवस्थित बनाने की ओर कदम बढ़ाते हुए अप्रैल, 2015 से अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) प्रक्रिया को दोनों बाजारों के लिए समान बनाने का फैसला लिया गया है। इस हफ्ते की शुरुआत में जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग ने केवाईसी प्रक्रिया को लेकर सभी पक्षों के साथ एक बैठक की। 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने पूंजी बाजार में सदस्यों का केवाईसी करने के लिए पांच केवाईसी पंजीकरण एजेंसियों को अनुमति दी है। एफएमसी ने फैसला किया है कि पूंजी बाजार में एक बार स्वीकार किए गए केवाईसी जिंस बाजार में भी स्वीकार किए जाएंगे।  एफएमसी के एक अधिकारी का कहना है, 'अप्रैल, 2015 से समान केवाईसी एक विकल्प के तौर पर लागू कर दिया जाएगा और जुलाई से नए केवाईसी के लिए यह आवश्यक हो जाएगा। साल के आखिर तक जिंस बाजार के मौजूदा हिस्सेदारों को भी नई समान केवाईसी जरूरतों का पालन करना होगा।'

उम्मीद है कि इस बारे में जल्द ही अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। अधिकारी ने बताया कि केवाईसी से संबंधित प्रावधानों में सेबी द्वारा किए जाने वाले किसी भी तरह के बदलाव जिंसों में भी लागू होंगे। इस फैसले में शामिल एक्सचेंज सदस्यों के प्रतिनिधियों ने कहा कि ऐसे ज्यादातर लोग हैं जो दोनों ही बाजारों में कारोबार करते हैं ऐसे में एक बार केवाईसी किए जाने के बाद इसे दोनों बाजारों में स्वीकार किया जाना चाहिए। (BS Hindi)

कमोडिटी बाजारः नैचुरल गैस 1% गिरा

घरेलू बाजार में नैचुरल गैस में जोरदार गिरावट देखने को मिल रही है। एमसीएक्स पर नैचुरल गैस 1 फीसदी की कमजोरी के साथ 170 रुपये के नीचे कारोबार कर रहा है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में नैचुरल गैस में हल्की कमजोरी दिख रही है।

घरेलू बाजार में कच्चा तेल दबाव में है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1.5 फीसदी ऊपर कारोबार हो रहा है। पिछले 7-8 महीने की गिरावट के बाद कच्चे तेल में पहली बार मासिक बढ़त देखने को मिली है। फरवरी में ब्रेंट क्रूड करीब 15 फीसदी और डब्ल्यूटीआई क्रूड करीब 2 फीसदी की बढ़त दिखा चुके हैं। खास तौर से अमेरिका में घटते रिग काउंट इसकी वजह मानी जा रही है। फिलहाल एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.2 फीसदी फिसलकर 3050 रुपये के नीचे कारोबार कर रहा है।

सोने में आज दबाव है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सुस्त कारोबार हो रहा है। इस महीने के दौरान सोने का दाम करीब 6 फीसदी गिर गया है। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की अटकलों से सोने पर दबाव देखने को मिला है। अगले हफ्ते नॉन फार्म पेरोल डेटा आएगा, चांदी भी आज दबाव में है। फिलहाल एमसीएक्स पर सोना 0.15 फीसदी की कमजोरी के साथ 26200 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। चांदी 0.2 फीसदी टूटकर 36550 रुपये पर आ गई है।

बेस मेटल्स में भी आज दबाव है लेकिन इस महीने कॉपर शानदार बढ़त दिखाने में कामयाब रहा है। चीन में सुस्ती के बावजूद लंदन मेटल एक्सचेंज पर इसका दाम कल 6000 डॉलर के पास पहुंच गया था। इस महीने कॉपर में करीब 7 फीसदी की तेजी आ चुकी है जो सितंबर 2012 के बाद सबसे बड़ी मासिक तेजी है। एमसीएक्स पर कॉपर 0.1 फीसदी गिरकर 371 रुपये के आसपास नजर आ रहा है।

चीनी में आज फिर से गिरावट बढ़ गई है। वायदा में इसका दाम 2575 रुपये के नीचे आ गया है। दरअसल एक्सपोर्ट सब्सिडी के बावजूद एक्सपोर्ट होना मुश्किल है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी काफी सस्ती हो गई है। इस बीच हल्दी में भी दबाव है।

एसएमसी कॉमट्रेड की निवेश सलाह

कॉपर एमसीएक्स (अप्रैल वायदा) : बेचें - 372, स्टॉपलॉस - 375 और लक्ष्य - 365

निकेल एमसीएक्स (मार्च वायदा) : खरीदें - 882, स्टॉपलॉस - 870 और लक्ष्य - 905

नैचुरल गैस एमसीएक्स (मार्च वायदा) : बेचें - 170, स्टॉपलॉस - 174 और लक्ष्य - 165

हल्दी एनसीडीईएक्स (अप्रैल वायदा) : खरीदें - 8700, स्टॉपलॉस - 8500 और लक्ष्य - 9100

सरसों एनसीडीईएक्स (अप्रैल वायदा) : खरीदें - 3380, स्टॉपलॉस - 3360 और लक्ष्य - 3420.... स्रोत : CNBC-Awaaz

26 फ़रवरी 2015

ग्वार व ग्वार गम की कीमतों में मार्च में और गिरावट की आषंका


आर एस राणा
नई दिल्ली। निर्यात मांग कमजोर होने से ग्वार और ग्वार गम की कीमतों में मार्च में और भी गिरावट आने की आषंका है। गुरूवार को ग्वार गम के भाव घटकर 8,500 रूपये और ग्वार के भाव 3,500-3,600 रूपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि चालू वित वर्श 2014-15 के पहले नो महीनों (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान ग्वार गम का निर्यात 1.23 लाख टन बढ़ा है लेकिन आखिरी तिमाही में निर्यात में कमी आयेगी।
टिकूराम गम एंड केमिकल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विपिन अग्रवाल ने बताया कि क्रुड की कीमतों में आई कमी का असर ग्वार गम की निर्यात मांग पर पड़ा है। ग्वार गम के निर्यात सौदे छह महीने के एडवांस होते हैं यही कारण है कि चालू वित वर्श के पहले नो महीनों में निर्यात बढ़ा है लेकिन आखिरी तिमाही में निर्यात घटेगा। उन्होंने बताया कि मार्च क्लोजिंग के कारण मार्च में ग्वार की मौजूदा कीमतों में और भी 300-400 रूपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ सकती है लेकिन अप्रैल के बाद दाम बढ़ जायेंगे।
एपीडा के एक वरिश्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित वर्श 2014-15 के पहले नो महीनों (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान ग्वार गम का निर्यात बढ़कर 5.41 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 4.18 लाख टन का हुआ था। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार मूल्य के हिसाब से चालू वित वर्श के पहले नो महीनों में ग्वार गम के निर्यात में 12.47 फीसदी की कमी आकर 8,001.08 करोड़ रूपये मूल्य का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्श की समान अवधि में 9,141.06 करोड़ रूपये मूल्य का ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।
हरियाणा ग्वार गम एंड केमिकल के डायरेक्टर सुरेंद्र सिंघल ने बताया कि ग्वार गम में निर्यात मांग कम होने की वजह से प्लांट 20 से 25 फीसदी क्षमता का ही उपयोग कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि विष्व बाजार में ग्वार गम पाउडर की कीमतें घटकर 1,500 से 1,600 डॉलर प्रति टन रह गई हैं। घरेलू मंडियों में ग्वार के नीचे भाव में स्टॉकिस्टों के साथ ही किसानों की बिकवाली भी कम हुई है तथा मार्च के बाद ग्वार गम उत्पादों के निर्यात सौदो में तेजी आने का अनुमान है। ऐसे में अप्रैल में ग्वार और ग्वार गम की कीमतों में तेजी आने की संभावना है।.......आर एस राणा

World Cotton Production Estimated 7.4% lower For 2015-16



World cotton production is expected to be around 24.41 million tons in 2015-16 around 7.4 percent lower when compared to the production of current season which is likely to stand around 26.36 million tons, said International Cotton Advisory Committee (ICAC). 

Cotton Output In India Could Fall By 4.28% In 2015-16-ICAC



Cotton production in India could fall by 4.28 percent in the next season to 6.48 million tons compared to 6.77 million tons in the current season,said International Cotton Advisory Committee (ICAC).

जिंसों और प्रतिभूतियों के लिए अप्रैल से एक ही केवाईसी

पूंजी बाजार और जिंस बाजार की विभिन्न प्रक्रियाओं को सुधारने और एकसमान बनाने के लिए अब प्रतिभूतियों और जिंसों के लिए एक ही नो योर कस्टमर (केवाईसी) होगा। दोनों के लिए एक ही केवाईसी का प्रावधान अप्रैल 2015 से लागू किया जाएगा। इस सप्ताह के प्रारंभ में जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग ने केवाईसी प्रक्रिया के लिए सभी संबंधित पक्षों की बैठक बुलाई थी, जिसमें पूंजी बाजार की तरह एक ही केवाईसी का फैसला लिया गया।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने 5 केवाईसी पंजीकरण एजेंसियों को मंजूरी दी है, जो प्रतिभूति बाजार के भागीदारों के लिए केवाईसी करेंगी। एफएमसी ने फैसला किया है कि पूंजी बाजार में केवाईसी को स्वीकृति मिलने के बाद यह जिंसों के लिए भी मान्य होगा। एफएमसी के एक अधिकारी ने कहा, 'अप्रैल 2015 से एक ही केवाईसी को एक विकल्प के रूप में लागू किया जाएगा और जुलाई से इसे नए केवाईसी के लिए अनिवार्य किया जाएगा और वर्ष के अंत तक जिंसों के वर्तमान भागीदारों को नए साझा केवाईसी की शर्तें पूरी करनी होंगी।' इस पर एक परिपत्र जल्द ही जारी होने की संभावना है। (BS Hindi)

जिंस बाजारों का कारोबार 15 फरवरी तक 41 प्रतिशत से अधिक गिरा

जिंस वायदा बाजारों में कारोबार चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-फरवरी 2015 की अवधि में 41.42 फीसदी घटकर 53.92 लाख करोड़ रुपये रह गया। वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) की ताजा पाक्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि एक्सचेंजों के मंच पर पिछले साल की समान अवधि में कुल 92.05 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। सराफा, मूल धातु, ऊर्जा और कृषि समेत ज्यादातर जिंसों में कारोबारी मात्रा में गिरावट आई है। एफएमसी के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-15 फरवरी की अवधि के दौरान सराफा कारोबार 52 फीसदी घटकर 19.15 लाख करोड़ रुपये रह गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 39.72 लाख करोड़ रुपये रहा था। (BS Hindi)

एफएमसी ने अरंडी वायदा पर 5 फीसदी अतिरिक्त मार्जिन हटाया

जिंस बाजार नियामक एफएमसी ने कहा कि उसने अरंडी के सभी वायदा अनुबंधों पर पांच प्रतिशत अतिरिक्त मार्जिन आज से हटा दिया है। इस पहल के साथ अरंडी अनुबंधों पर कुल मार्जिन घट गया है। कारोबारियों के लिए वायदा कारोबार करने के संबंध में उक्त मार्जिन राशि जमा करना अनिवार्य था। नवंबर 2014 में अतिरिक्त मार्जिन लागाया गया था, ताकि अधिक सट्टेबाजी पर नियंत्रण रखा जा सके। 11 फरवरी को जिंस बाजार एनसीडीईएक्स ने नई फसल आने से पहले आयोग से अतिरिक्त मार्जिन हटाने की मांग की थी। एनसीडीईएक्स में अरंडी बीज का बड़ा कारोबार होता है (BS Hindi)

जीडीपी के मुकाबले नरम रही परिधान उद्योग की बढ़त

क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) का कहना है कि दिसंबर, 2014 में खत्म हुई तिमाही में परिधान उद्योग की वृद्घि दर करीब पांच फीसदी रही। पिछले साल की शुरुआत में उद्योग की वृद्घि दर को विभिन्न पैमानों के आधार पर मापने के लिए उद्योग संगठन ने एक सूचकांक की शुरुआत की थी। छोटी इकाइयों के खराब प्रदर्शन के कारण उद्योग की वृद्घि दर देश के सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले कमजोर रही। उपभोक्ताओं के कमजोर रुख के कारण भारी मात्रा में स्टॉक इक_ïा हो गया है। सीएमएआई का कहना है कि कई मामलों में यह बिक्री से दोगुना तक अधिक है। 

उनका कहना है कि हालांकि कंपनियों ने अपने कारोबार में वृद्घि करने के लिए निवेश करने की जरूरत को समझा है इससे बाजार के प्रति उनका भरोसा भी जाहिर होता है। कुल मिलाकर सर्वेक्षण में शामिल ब्रांडों में से 78 फीसदी ने कहा कि उन्होंने अपना निवेश बढ़ाया है। इस निवेश का कुछ हिस्सा सीजन से पहले बिक्री बढ़ाने के लिए स्टॉक के लिए भी इस्तेमाल किया गया। करीब 85 फीसदी बड़े ब्रांडों और 67.5 फीसदी छोटे ब्रांडों ने अपना निवेश 1 से 20 फीसदी तक बढ़ाया है। 

क्रिएटिव लाइफस्टाइल्स के प्रबंध निदेशक राहुल मेहता ने कहा, 'इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाना यह दर्शाता है कि निवेशकों का भरोसा कायम है।' सालाना 300 करोड़ रुपये से अधिक कारोबार करने वाले दिग्गज ब्रांडों ने तिमाही के दौरान बेहतर प्रदर्शन किया और वृद्घि दर के लिहाज सबसे आगे रहे ब्रांडों की सूची में 10.29 अंकों के साथ सबसे आगे रहे। 100 करोड़ रुपये से 300 करोड़ रुपये के बीच का कारोबार करने वाले ब्रांडों के अंक बढ़कर 9.28 हो गए और सालाना 25 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाले ब्रांडों के अंक बढ़कर 8.02 हो गए। स्टॉक बढऩे का असर ज्यादातर ब्रांडों के प्रदर्शन पर देखने को मिला। छोटे ब्रांडों पर इसका सर्वाधिक असर देखने को मिला और इससे उनके मुनाफे पर काफी बुरा असर पड़ा। सीएमएआई के सर्वेक्षण के मुताबिक बेहतर सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के लिए निवेश में हुए इजाफे की वजह से बिक्री में करीब 70 फीसदी का इजाफा देखने को मिला। दिग्गज ब्रांडों के कारोबार में तेजी देखने को मिली। ऐसे करीब 70 फीसदी ब्रांडों की वृद्घि दर 21-40 फीसदी के बीच रही। (BS Hindi)

आयातकों ने की दलहन उन्नयन कोष की मांग

दलहनों का आयात और प्रसंस्करण करने वालों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से 5,000 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ दलहन उन्नयन कोष स्थापित करने की गुहार लगाई है। उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में इस्तेमाल की जा रही पुरानी तकनीक में सुधार करने के लिए इस कोष की जरूरत है। इंडिया पल्सेज ऐंड ग्रेंस मर्चेंटïï्स एसोसिएशन (आईपीजीए) के अध्यक्ष प्रवीण डोंगरे का कहना है, 'संकटग्रस्त कपड़ा क्षेत्र में सुधार करने के लिए सरकार ने 30,000 करोड़ रुपये की तकनीकी सुधार कोष योजना (टीयूएफएस) की शुरुआत की, जिसके बाद तकनीक में सुधार के लिए इस क्षेत्र में भारी निवेश देखने को मिला। दलहन क्षेत्र में तकनीक के आधुनिकीकरण के लिए ऐसा ही कोई कोष क्यों नहीं स्थापित किया जा सकता है।'

अधिक प्रसंस्करण लागत और कम कीमतों के कारण रोजाना 5-10 टन क्षमता से युक्त करीब 15,000 दाल मिलें अप्रासंगिक होती जा रही हैं। मामूली मार्जिन पर काम करने के कारण पिछले कई सालों के दौरान इन मिलों की माली हालत खराब ही होती ही जा रही है। नई तकनीक के जरिये मिलों की क्षमता में सुधार होगा जिससे परिचालन लागत में कटौती करने का मौका मिलेगा। इसके फलस्वरूप दलहनों के प्रसंस्करण की लागत कम होगी और लोगों को कम कीमत पर पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध हो सकेगा।

देश में दलहनों का कुल उत्पादन करीब 1.9 करोड़ टन है। कुल उत्पादन में चने की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। चना प्रसंस्करण मिलों के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है क्योंकि वे उत्पादन की अधिक लागत को उपभोक्ताओं पर नहीं थोप सकते हैं। सस्ता आयात भारत की चना प्रसंस्करण मिलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। जिन मिलों ने परिचालन जारी रखा उन्हें नुकसान सहना पड़ता है। करीब 2.25 करोड़ टन सालाना खपत करने वाला भारत जरूरत से कम उत्पादन करने की वजह से सालाना 35 लाख टन दलहन आयात करता है। इस साल उत्पादन घटने के अनुमान के बीच दलहनों की कीमतें चढऩे की संभावना है।

डोंगरे ने कहा, 'यह सही वक्त है जब सरकार को दलहन प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए राहतों की घोषणा करनी चाहिए।' इस बीच दलहन कारोबारियों ने सरकार से आयात शुल्क लागू न करने की गुजारिश की है। इससे पहले वाणिज्य मंत्रालय ने स्थानीय किसानों के हितों की रक्षा करने और दलहनों की आपूर्ति को प्रतिबंधित करने के उद्देश्य से 10 फीसदी आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया था। शहर के दलहन आयातक पंचम इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक विमल कोठारी ने कहा, 'चूंकि भारत में आपूर्ति की कमी है, ऐसे में आयात शुल्क लागू करना उत्पादन को हतोत्साहित कर सकता है। दलहनों की कीमतें चढऩे से खाद्य महंगाई सूचकांक में भी इजाफा होगा।' (BS Hindi)

Indian Sugar Trade Scenario By IBIS



India exported 25.6 thousand tons of sugar for the week ending 22nd Feb, 2015 which was 51% lower than the sugar exported last week. While the country imported 12 thousand tons of sugar during the week compared to 40 tons the previous week.

कमोडिटी बाजार में आज कहां लगाएं दांव

आने वाले दिनों में कच्चे तेल की डिमांड बढ़ सकती है। सऊदी अरब के इस बयान के बाद कल अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम करीब 5 फीसदी उछल गया था। लेकिन आज ऊपरी स्तर से बिकवाली आई है, इसके बावजूद इसमें 60 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। वहीं नायमैक्स पर भी क्रूड 50 डॉलर के ऊपर दबाव में कारोबार कर रहा है। अमेरिका में आज वीकली जॉबलेस क्लेम और ड्यूरेबल गुड्स ऑर्डर के आंकड़े आने वाले हैं, इससे पहले सोने में हल्की बढ़त है। चांदी में भी मजबूती है। लेकिन चांदी में बेहद छोटे दायरे में ट्रेड हो रहा है। आज डॉलर के मुकाबले रुपए में हल्की मजबूती है।

एमसीएक्स पर कच्चा तेल 1 फीसदी मजबूत होकर 3150 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। वहीं नैचुरल गैस 1.5 फीसदी चढ़कर 180 रुपये ऊपर नजर आ रहा है। घरेलू बाजर में सोने और चांदी में भी बढ़त देखने को मिल रही है। एमसीएक्स पर सोना 0.40 फीसदी मजबूत होकर 26230 रुपये के करीब नजर आ रहा है। जबकि चांदी 0.50 फीसदी बढ़कर 36650 रुपये के करीब करीब कारोबार कर रही है।

बेसमेटल्स की बात करें तो एल्युमीनियम 0.15 फीसदी के करीब मजबूत होकर 110 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। वहीं कॉपर करीब 0.50 फीसदी मजबूत होकर 365 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। निकेल में भी करीब 0.50 फीसदी की मजबूती है और ये 890 रुपये के करीब नजर आ रहा है। लेड करीब 0.50 फीसदी मजबूत होकर 110 रुपये के बेहद पास कारोबार कर रहा है। वहीं जिंक में 0.60 फीसदी की मजबूती है और ये 130 रुपये के करीब नजर आ रहा है।

एग्री कमोडिटीज में एनसीडीईएक्स पर चने का अप्रैल वायदा 0.35 फीसदी बढ़कर 3700 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। वहीं एमसीएक्स पर कॉटन का फरवरी वायदा 0.25 फीसदी बढ़कर 15030 रुपये के करीब कारोबार कर रहा है। 

एसएसजे फाइनेंश की निवेश सलाह

सिल्वर एमसीएक्स (मई वायदा): खरीदें - 36600, स्टॉपलॉस - 35900 और लक्ष्य - 37600

कॉपर एमसीएक्स (अप्रैल वायदा): खरीदें - 363, स्टॉपलॉस - 358 और लक्ष्य - 371

इंडियानिवेश कमोडिटीज की निवेश सलाह

चना एनसीडीईएक्स (अप्रैल वायदा) : खरीदें - 3670, स्टॉपलॉस - 3640 और लक्ष्य - 3720

कॉटन एमसीएक्स (फरवरी वायदा) : बेचें - 15000, स्टॉपलॉस - 15120 और लक्ष्य - 14800.... स्रोत : CNBC-Awaaz

25 फ़रवरी 2015

कमोडिटी बाजार: कच्चे तेल में क्या करें

घरेलू बाजार में कच्चे तेल  की कीमतों में गिरावट है। एमसीएक्स पर क्रूड का दाम करीब 1.5 फीसदी गिर गया है। रुपये में मजबूती से घरेलू कीमतों पर दबाव है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में छोटे दायरे में कारोबार हो रहा है। ब्रेंट के दाम 59 डॉलर के करीब हैं। वहीं घरेलू बाजार में नैचुरल गैस 2 फीसदी से ज्यादा गिरकर 180 रुपये के करीब कारोबार कर रहा है।

सोने की कीमतों में तेजी आई है। कॉमैक्स पर सोने के दाम 0.75 फीसदी बढ़े हैं जबकि घरेलू बाजार में 0.5 फीसदी से ज्यादा की बढ़त है और ये 26215 रुपये के करीब कारोबार कर रहा है। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने में देरी के अनुमान से डॉलर में कमजोरी आई है, जिसका असर सोने की कीमतों पर पड़ा है। दरअसल कल के भाषण में फेड चेयरमैन जेनेट एलेन ने कहा है कि फिलहाल अगले कुछ बैठकों तक ब्याज दरों पर फैसला लेना मुश्किल है। चांदी का दाम भी करीब 1.5 फीसदी बढ़ गया है।

एग्री कमोडिटीज में जीरे में तेज गिरावट है। आवक बढ़ने से जीरा 3 फीसदी से ज्यादा गिरा है। धनिया में भी बिकवाली हावी है। इसके दाम 1 फीसदी से ज्यादा गिरे हैं। लेकिन हल्दी में तेजी का रुझान है। मांग बेहतर होने से हल्दी के दाम 1.5 फीसदी बढ़े हैं। वहीं एमसीएक्स पर कॉटन का फरवरी वायदा सपाट होकर 14940 के आसपास नजर आ रहा है। जबकि एनसीडीईएक्स पर कपास खली का मार्च वायदा 0.25 फीसदी बढ़कर 1515 के करीब नजर आ रहा है।

कोटक कमोडिटीज की निवेश सलाह

सोना एमसीएक्स (अप्रैल वायदा): बेचें - 26,300, स्टॉपलॉस - 26,599 और लक्ष्य - 25,790

नैचुरल गैस एमसीएक्स (मार्च वायदा): खरीदें - 180, स्टॉपलॉस - 175 और लक्ष्य - 190

हेम सिक्योरिटीज की निवेश सलाह

कॉटन एमसीएक्स (फरवरी वायदा) : खरीदें - 14800, स्टॉपलॉस - 14500 और लक्ष्य - 15150

कपास खली एनसीडीईएक्स (मार्च वायदा) : खरीदें - 1500, स्टॉपलॉस -1460 और लक्ष्य - 1545..... स्रोत : CNBC-Awaaz

Brazil's Soybean Harvesting Update


Brazil's soybean harvest had done over 18.5 percent of the total cultivated soybean area in the country, which represents a considerable delay by 12.5 percent from last year figures and historical five-year average, the harvest should be 23 percent in the same period reported  Vintage Market & advice note.
Brazilian truck drivers are protesting for high fuel prices from the past six days which interrupted supplies of diesel and soy exports across the country. Delay in soybean harvesting and distruption in soybean supply to the ports may support the bulls for short term.    agriwach

Malaysian Palm Oil Shipments Reported Lower On M-o-M


Exports of Malaysian palm oil products for Feb. 1-25 fell 7.1 percent to 815,763 tonnes from 877,730 tonnes shipped during Jan. 1-25, said cargo surveyor Societe Generale de Surveillance. Country wise export details – India imported 189,475 (123,150) tons, China 43,312 (155,600) tons and European Union 210,635 (185,706) tons. Values in brackets depict same period of the last month.

खराब मौसम से चने और सरसों की कीमतों में तेजी

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों में आमसान में बादल छाने से चने और सरसों की कीमतों में क्रमषः 100-100 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। दिल्ली के लारेंस रोड पर चने की कीमतें बढ़कर बुधवार को 3,600 रूपये प्रति क्विंटल हो गई। राजस्थान की मंडियों में 42 फीसदी कंडीषन की सरसों के भाव बढ़कर 3,750-3,800 रूपये प्रति क्विंटल हो गए।
दलहन कारोबारी राधेष्याम गुप्ता ने बताया कि खराब मौसम से चने की कीमतों में 100 रूपये की तेजी आई है हालांकि कहीं बारिष नहीं हुई है। कर्नाटक, महाराश्ट के बाद मध्य प्रदेष की भी कुछ मंडियों में नए चने की आवक षुरू हो गई है तथा चालू सीजन में पैेदावार कम होगी, इसलिए कीमतों में तेजी की संभावना है।
सरसों के थोक कारोबारी पुरूशोतम षर्मा ने बताया कि मध्य प्रदेष और राजस्थान की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर दो लाख बोरियों से ज्यादा हो गई है। इसमें एक लाख से ज्यादा नई सरसों की आवक हो रही है। खराब मौसम से इसकी कीमतों में तेजी आई है, अगर मौसम साफ हो गया तो भाव नीचे आयेंगे, लेकिन अगर बारिष हो गई तो मौजूदा कीमतों में और भी 100-150 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी बन सकती है।......आर एस राणा

मार्च के बाद अरहर की कीमतों में तेजी की संभावना


पैदावार 20 फीसदी घटने की आषंका, आयात पड़ता महंगा
आर एस राणा
नई दिल्ली। अरहर की पैदावार चालू सीजन में 20 फीसदी घटने की आषंका है जबकि आयात पड़ते भी महंगे हैं। ऐसे में मार्च के बाद अरहर की कीमतों में 8 से 10 फीसदी की तेजी आने की संभावना है। उत्पादक मंडियों में अरहर की कीमतें 5,700 से 6,000 रूपये प्रति क्विंटल चल रही हैं।
ग्लोबल दाल इंडस्ट्ीज के प्रबंधक सी एस नादर ने बताया कि मानसूनी बारिष कम होने से चालू सीजन में अरहर की पैदावार 18 से 20 फीसदी कम होने की आषंका है। हालाकि उत्तर प्रदेष और मध्य प्रदेष में नई फसल की आवक बढ़ने से चालू सप्ताह में इसकी कीमतों में 200 रूपये की गिरावट जरूर आई है। उत्पादक मंडियों में अरहर की कीमतें 5,700 से 6,000 रूपये प्रति क्विंटल चल रही है। मार्च कलोजिंग के बाद मिलरों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग बढ़ने से अप्रैल से कीमतों में तेजी बनने की संभावना है।
दलहन आयातक कर्ण अग्रवाल ने बताया कि लेमन अरहर की कीमतें मुंबई में 887-890 डॉलर प्रति टन है तथा मार्च-अप्रैल षिमपेंट के सौदे 5,881-6,000 रूपये प्रति क्विंटल में हो रहे है। आगामी दिनों में आयात और भी महंगा होगा, साथ ही मार्च के बाद घरेलू फसल की आवक कम हो जायेगी। इसलिए घरेलू बाजार में मार्च के बाद अरहर की मौजूदा कीमतों में 800 से 1,000 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी बनने की संभावना है।
कृशि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार 2014-15 में अरहर की पैदावार 13 फीसदी घटकर 27.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल वर्श 2014-14 में इसकी पैदावार 31.7 लाख टन की पैदावार हुई थी। मंत्रालय के एक वरिश्ठ अधिकारी के अनुसार चालू सीजन में अरहर की बुवाई में तो मामूली कमी आई है लेकिन प्रतिकूल मौसम से प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में कमी आई है। चालू सीजन में 15.38 लाख हैक्टेयर में अरहर की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 15.52 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।....आर एस राणा

गेहूं की पैदावार पिछले से ज्यादा होने का अनुमान - कृशि सचिव

गेहूं की पैदावार पिछले से ज्यादा होने का अनुमान - कृशि सचिव
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में गेहूं की पैदावार पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है। कृशि सचिव (भारत सरकार) आषीश बहुगुणा ने कहां कि अभी तक का मौसम फसलों के अनुकूल रहा है इसलिए पैदावार पिछले साल से ज्यादा ही होने का अनुमान है। वर्श 2013-14 में देष में 958.5 लाख टन गेहूं की पैदावार हुई थी तथा कृशि मंत्रालय ने दूसरे आरंभिक अनुमान में 957.6 लाख टन गेहूं की पैदावार का अनुमान लगाया है। हालांकि उन्होंने मौसम में बार-बार हो रहे बदलाव को लेकर चिंता भी व्यक्त की।
उन्होंने कहां कि खाद्य तेलों की आयात नीति में बदलाव कर केंद्र सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे कि विष्व बाजार में दाम घटे या फिर बढ़े, उसी हिसाब से टैरिफ वैल्यू में भी बदलाव हो जाए। इससे उद्योग के साथ  हही तिलहन के किसानों को भी फायदा होगा। ....आर एस राणा

इनसेंटिव से भी नहीं मिला चीनी की कीमतों को सहारा


पेराई सत्र समाप्ति की ओर, 14 लाख टन रॉ-षुगर निर्यात की उम्मीद कम
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा चीनी मिलों को रॉ-षुगर के निर्यात पर इनसेंटिव देने से भी चीनी की कीमतों को सहारा नहीं मिल पाया। बुधवार को दिल्ली थोक बाजार में चीनी की कीमतों में 100 रूपये की गिरावट आकर भाव 2,800 से 2,850 रूपये प्रति क्विंटल रह गए। जानकारों के अनुसार चीनी का पेराई सत्र समाप्ति की ओर है ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा तय किए 14 लाख टन रॉ-षुगर के निर्यात की संभावना भी काफी कम है।
चीनी के थोक कारोबारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि चालू सीजन में चीनी का उत्पादन 260 लाख टन से भी ज्यादा होने का अनुमान है इसीलिए केंद्र सरकार द्वारा चीनी मिलों को रॉ-षुगर के निर्यात पर 4,000 रूपये प्रति टन की दर से सब्सिडी देने के बावजूद भी कीमतों में सुधार नहीं हो रहा है। उत्तर प्रदेष में चीनी की एक्स-फैक्टी कीमत बुधवार को घटकर 2,700 से 2,750 रूपये प्रति क्विंटल रह गई जबकि दिल्ली में थोक कीमतें घटकर 2,800 से 2,850 रूपये प्रति क्विंटल रह गई। मुंबई में चीनी के दाम घटकर इस दौरान 2,400 से 2,450 रूपये प्रति क्विंटल रह गए।
षुगर उद्योग से जुड़े एक वरिश्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू पेराई सीजन 2014-15 अब समाप्ति की ओर है ऐसे में 14 लाख टन रॉ-षुगर निर्यात की संभावना काफी कम है। सरकार ने इनसेंटिव की घोशणा में देरी कर दी, इसका खामियाजा चीनी मिलों के साथ ही किसानों को भी उठाना पड़ेगा। चीनी की कीमतों में चल रही गिरावट के कारण ही चीनी मिलों पर किसानों के बकाया का बोझ लगातार बढ़ रहा है।
चीनी के व्यापारी आर पी गर्ग ने बताया कि विष्व बाजार में रॉ-षुगर के दाम 340 डॉलर प्रति टन और व्हाईट षुगर के 380 डॉलर प्रति टन है। इन भाव में भारत से निर्यात के पड़ते नहीं है तथा विष्व बाजार में अभी कीमतों में सुधार की संभावना नहीं है। ऐसे में घरेलू बाजार में चीनी की कीतमों में अभी तेजी की संभावना भी नहीं है।
इंडियन षुगर मिल्स एसोसिएषन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन 2014-15 (अक्टूबर से सितंबर) में 15 फरवरी 2015 तक देषभर 167.08 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 15 फीसदी ज्यादा है।......  आर एस राणा

आम निर्यात में आई गिरावट पर एपीडा ने उठाया सख्त कदम

कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने आम निर्यातकों से यह बताने को कहा है कि वे कितनी मात्रा में आम निर्यात करेंगे। पिछले तीन महीने के दौरान भारत से जापान को होने वाले आम के निर्यात में कमी आई है। इसलिए एपीडा ने यह पहल की है। एपीडा ने हर निर्यातक को इस साल 50-70 टन और 2016 और 2017 के लिए क्रमश: 100 टन और 150 टन आम निर्यात का आश्वासन देने के लिए कहा है। 

निर्यात के दौरान वैपर हीट ट्रीटमेंट (वाष्प उपचार) के जरिये आम की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है। निर्यात प्रमाणन के लिए आम की गुणवत्ता का निरीक्षण जरूरी होता है और इसकी गुणवत्ता प्रमाणित करने के लिए जापानी अधिकारी भारत आते हैं। एपीडा के उप महाप्रबंधक आर रवींद्र ने कहा, 'निर्यातकों के लिए 26 फरवरी तक निर्यात होने वाली मात्रा को न्यूनतम गुणवत्ता संबंधी प्रमाण देना अनिवार्य है। इसके बाद ही जापान के अधिकारी निर्यात की अनुमति देंगे।'

जापान ने वर्ष 2006-07 से भारत से आम आयात की अनुमति दी थी। आम की गुणवत्ता की जांच के लिए जापान के अधिकारी भारत आते रहे हैं जिनका खर्च एपीडा ने उठाया। इसके बाद निर्यातकों को खर्च उठाने के लिए कहा गया। चूंकि, निर्यात इतना नहीं हो रहा था जिससे जापानी अधिकारियों के दौरे का खर्च निकल सके, इसलिए निर्यातकों ने धीरे-धीरे इस खर्च में दिलचस्पी बंद कर दी। नतीजतन जापान को आम का निर्यात भी कम हो गया। 

चेन्नई के एक आम निर्यातक ने कहा, 'जो लोग निर्यात का आवश्वासन देंगे, उन्हें सरकार की तरफ से कोटा आवंटित होगा और विशेष प्रमाणन की जरूरत नहीं होगी। निर्यात के आश्वासन के बिना निर्यात ऑर्डर आगे बढ़ाने के लिए विशेष प्रमाणन की आवश्यकता होगी।' 2010-11 में जापान को आम का निर्यात कम होकर 14.52 टन रह गया जो 2007-08 में 122 टन था। इसके बाद सरकार ने कई कदम उठाए जिससे निर्यात बढ़कर 2011-12 में 66.59 टन हो गया। जापान के बाजार में भारत के अल्फांसों को 'मनीला सुपर' के साथ प्रतिस्पद्र्धा करनी पड़ती है। (BS Hindi)

कोल्ड स्टोर चाहें खरीद-बेच की अनुमति

कोल्ड स्टोरेज का संचालन करने वाले कारोबारियों ने सरकार से बागवानी क्षेत्र में खरीद-बेच (आर्बिट्राज) की अनुमति देने की मांग की है ताकि पैदावार के बाद फलों और सब्जियों का नुकसान कम किया जा सके और ग्राहकों को ये उत्पाद उचित मूल्य पर मुहैया कराए जा सकें। अनुमानों के मुताबिक  उपज के बाद उचित रखरखाव की कमी के कारण करीब 80,000 करोड़ रुपये के फल और सब्जियां बरबाद हो जाती हैं। बड़े उत्पादन केंद्रों में उचित कोल्ड स्टोरेज न होने के कारण किसानों को इन उत्पादों की औने-पौने दाम में बिक्री करनी पड़ती है और कई बार तो उत्पादन लागत से भी कम कीमत पर फलों और सब्जियों की बिकवाली की जाती है। साथ ही खराब मौसम के कारण फलों और सब्जियों के खराब होने का खतरा भी बरकरार रहता है। देश की सबसे बड़े वाणिज्यिक कोल्ड चेन में से एक ब्लू स्टार लिमिटेड के अध्यक्ष (चैनल बिजनेस ग्रुप) बी त्यागराजन ने कहा, 'सरकार को इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए आगामी बजट में कोल्ड स्टोरेज कंपनियों को बागवानी उत्पादों की खरीद-बिक्री की अनुमति दे देनी चाहिए।'

पिछले कई सालों से वाणिज्यिक रेफ्रिजरेशन क्षेत्र में न के बराबर निवेश देखने को मिला है क्योंकि इस क्षेत्र में निवेश पर उचित प्रतिफल नहीं मिलता। सरकार द्वारा कीमतें नियंत्रित करने से किसी भी निवेशक ने इस क्षेत्र में भारी भरकम निवेश की योजना नहीं बनाई है। मौजूदा निवेशक भी राहत के लिए जूझ रहे हैं। त्यागराजन ने कहा, 'वाणिज्यिक रेफ्रिजरेशन सिर्फ चार हालात में व्यावहारिक हो सकता है। पहली स्थिति यह कि अगर कोल्ड स्टार में सहेजी जाने वाली चीज सेब जितनी मूल्यवान हो, दूसरी यह कि केला, प्याज या आलू जैसी कोई चीज हो जिसकी खपत साल भर होती हो और जिसकी खरीद, पैदावार, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करने के लिए एकीकरण की जरूरत हो। तीसरी, निश्चित हालात बनाए रखने और अधिक मूल्य हासिल करने के लिए निर्यात की अनुमति होनी चाहिए और चौथी दशा में उन उत्पादों का प्रयोग खाद्य प्रसंस्करण में होना चाहिए। इससे अलग और किसी भी स्थिति में निवेशकों का पैसा गंवाना तय है।'

सरकार ने राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड और राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजनाओं और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी कई सब्सिडी योजनाओं की पेशकश की है। मगर इन सभी योजनाओं के तहत सिर्फ बिचौलियों को लाभ मिलता है जबकि किसानों को अपना उत्पाद कम कीमतों पर बेचना पड़ता है और इसके उलट उपभोक्ताओं को अधिक कीमतें चुकानी पड़ती हैं। त्यागराजन ने कहा, 'कोल्ड स्टोर उद्योग के हित में कदमों की सिफारिश के लिए उच्चस्तरीय समिति बनाई जानी चाहिए। तकनीकी मानक तय हैं और उचित प्रोटोकॉल भी हैं इसलिए सब्सिडी सिर्फ उन्हीं कोल्ड स्टोर को दी जानी चाहिए।Ó जैसे-जैसे फलों और सब्जियों की कीमतें चढ़ेंगी, वैसे-वैसे नई कंपनियों के बाजार में आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी क्योंकि उनकी कीमत अन्य के मुकाबले कम ही होगी। 

इस बीच इस क्षेत्र ने वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) को सांविधिक दर्जा देने की भी मांग की है। उनका कहना है कि सरकार इसके लिए चाहे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ एफएमसी के विलय के जरिये यह काम करे या फिर वायदा सौदा विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) में संशोधन के जरिये। नैशनल कोलेटरल मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड (एनसीएमएसएल) के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक संजय कौल का कहना है, 'एक स्वतंत्र नियामक हमें इस क्षेत्र के लिए लंबी अवधि की नीति बनाने में मदद करेगा।'

खाद्यान्न खरीद कुशलता के लिहाज से सुधार की पर्याप्त संभावनाएं देख रहे निजी क्षेत्र ने सरकार से मांग की है कि जिन जगहों पर सरकारी एजेंसियों की पहुंच नहीं है, वहां निजी क्षेत्र की कंपनियों की मदद लेने की अनुमति एफसीआई को दी जानी चाहिए। स्टार एग्री के निदेशक अमित अग्रवाल ने कहा, 'सरकार को हाल में शुरू किए गए मेक इन इंडिया के आधार पर ग्रो इन इंडिया के नजरिये से नीति बनानी चाहिए और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर कृषि उत्पादों की पैदावार बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही गोदामों को बुनियादी ढांचा क्षेत्र का दर्जा दिया जाना चाहिए।' (BS Hindi)

समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए निजी कंपनियों की मदद

अपर्याप्त भंडारण क्षमता को देखते हुए सरकार उत्तर पूर्व राज्यों में खाद्यान्न की खरीद के लिए निजी कंपनियों की मदद लेने की योजना बना रही है। निजी कंपनियों को स्वतंत्र रूप से या फिर राज्य एजेंसियों की ओर से खरीद का काम सौंपा जा सकता है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों पर अमल करते हुए निगम के चेयरमैन सी विश्वनाथ ने उत्तर पूर्वी राज्यों के सचिवों और वेयरहाउसिंग क्षेत्र की निजी कंपनियों की एक बैठक 17 फरवरी को बुलाई और किसानों को दबाव में बिक्री करने से बचाने और खाद्यान्न की खरीद के लिए किसानों तक पहुंचने की योजना बनाने के लिए कहा। संबंधित सरकारें बुधवार तक अपनी योजना एफसीआई को सौंप सकती हैं। हालांकि बैठक में राज्यों के सचिव एफसीआई या राज्यों की भंडारण क्षमता में कमी को देखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य कामकाज को पूरा करने के लिए निजी कंपनियों की मदद लेने की बात से सहमत नजर आए। दिलचस्प बात यह है कि भारत के कुल खाद्यान्न उत्पादन में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है। निजी कंपनियों ने भी इस बैठक में अपनी योजनाओं का खाका पेश किया।  

पश्चिम बंगाल के प्रमुख सचिव (खाद्य) अनिल वर्मा ने कहा, 'पश्चिम बंगाल न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ छोटे और गरीब किसानों तक पहुंचाने के लिए निजी कंपनियों का स्वागत कर सकता है।' उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा सहित कई राज्यों के कुछ हिस्सों को मिलाकर बने उत्तर पूर्वी क्षेत्र के ज्यादातर बड़े किसान खाद्यान्न की कटाई के दौरान घबराहट में बिकवाली करते हैं जिससे बिचौलिए कीमतें कम होने का फायदा उठाकर भंडारण कर लेते हैं। 
एफसीआई के एक अधिकारी ने बताया, 'हमें इस क्षेत्र में कई बार घबराहट में बिक्री के मामले देखने को मिले हैं। लेकिन चूंकि कृषि राज्यों के अधिकार क्षेत्र का मामला है ऐसे में एमएसपी के काम को अंजाम देने के लिए निजी कंपनियों की मदद लेने का फैसला राज्यों का है। हमें कोई समस्या नहीं है अगर राज्य सरकारें इस काम में निजी कंपनियों की मदद लेना चाहती हैं। अगर राज्य सरकारों की मदद ली जाती है तो उन्हें सिर्फ खरीद की अनुमति मिलेगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत परिवहन और वितरण का नियंत्रण संबद्घ राज्य सरकारों के पास होगा।'

चूंकि एफसीआई के पास पर्याप्त भंडारण क्षमता नहीं है, खाद्यान्न खरीदने वाली सरकारी एजेंसी अपनी तरफ से किसी एमएसपी गतिविधि का संचालन नहीं करती है, ऐसे में किसानों के पास अपने उत्पाद बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में 40 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले इस क्षेत्र का अलग ही महत्व है। अन्य कृषि केंद्रीत राज्यों में तीन फसलों की व्यवस्था के मुकाबले सिंचाई व्यवस्था की कमी के कारण इस क्षेत्र के ज्यादातर इलाकों में सिर्फ एक फसल ही की जाती है। इसलिए इस क्षेत्र में खाद्यान्न वृद्घि के लिहाज से अपार संभावनाएं हैं।  (BS Hindi)

Govt. Focuses On Production and Storage of Imported Food Items



The government of India is focusing on raising production and storage of imported food items including pulses and edible oils in order to increase domestic supply and control price rise, said Food Minister Ram Vilas Paswan on Monday. According to him, farmers should be encouraged to grow crop other than rice and wheat and they should be given incentives for growing the items for which we are dependent on other countries like pulses and oilseed.

Ind-Ra Revises Cotton Outlook For MY 2015-16



India Rating and Research (Ind-Ra) has downwardly revised the cotton outlook for MY 2015-16. According to Ind-Ra domestic prices in 2015-16 would remain under pressure following the fall in domestic yarn production, unlikely recovery in cotton export and falling of domestic prices below the minimum support prices (MSP). Ind-Ra added that revised cotton reserve policy of China will increase the cotton sales from the country stocks and hence import in China will fall to half in 2015-16.  
Cotton price (benchmark Shankar-6) will trade between Rs 40-45 per kg and lint will be in the range of Rs 85-100 per kg in the next season. Also, the stock to use ratio would be 12 percent in MY 2015-16 compared to 12.2 percent in the 2014-15. (agriwatch)

Indian Farm Ministry Proposed To Cut Import Duty On Oilseeds



Farm ministry has proposed that the government cut the 30 per cent import duty on oilseeds. The decision will be revealed in the coming budget session on Saturday to help local refiners make use of unutilised crushing capacity. Solvent Extractors' Association of India has asked the government to make cheaper oilseeds available in the country by cutting the duty to 10 percent.

China Mills Replacing Cotton with Polyester Due To Price Competitiveness



Besides the huge stockpile of cotton, what making cotton price to fall worldwide is the high internal price of fiber in China, which is forcing mills in the country to opt polyester instead of cotton, which is further creating the demand gap for the cotton in China and worldwide and hence leading to price crash, said the economist of National Cotton Council (NCC). 

बजट के दिन खुले रहेंगे कमोडिटी एक्सचेंज

बजट के दिन इक्विटी की तरह कमोडिटी बाजार भी खुले रहेंगे। वायदा बाजार आयोग यानि एफएमसी ने इस पर थोड़ी देर पहले ही फैसला लिया है। एफएमसी चेयरमैन रमेश अभिषेक के मुताबिक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक इस शनिवार को कमोडिटी मार्केट खोलने का फैसला लिया गया है।

आपको बता दें इस बार बजट शनिवार को पड़ रहा है जबकि शनिवार को कमोडिटी बाजार बंद रहते हैं। दरअसल कारोबारियों ने एफएमसी से बजट के दिन मार्केट खोलने की मांग की थी। माना ये जा रहा है कि बजट में गोल्ड इंपोर्ट ड्यूटी पर कुछ ऐलान हो सकता है। साथ ही कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स पर भी ऐलान होने का अनुमान है। ऐसे में इस ऐलानों का कमोडिटी की कीमतों और बिड एंड आस्ट स्प्रेड पर भी असर पड़ेगा।..... स्रोत : CNBC-Awaaz

कमोडिटी बाजारः सोने-चांदी में जोरदार तेजी

सोने में आज तेजी आई है। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने में देरी के अनुमान से डॉलर में कमजोरी आई है, जिसका असर सोने की कीमतों पर पड़ा है। कॉमैक्स पर सोने का दाम करीब 1 फीसदी उछल गया है। दरअसल कल के भाषण में फेड चेयरमैन जेनेट एलेन ने कहा है कि फिलहाल अगले कुछ बैठकों तक ब्याज दरों पर फैसला लेना मुश्किल है। फिलहाल एमसीएक्स पर सोना 1 फीसदी की मजबूती के साथ 26300 रुपये पर कारोबार कर रहा है। वहीं एमसीएक्स पर चांदी 2 फीसदी की उछाल के साथ 36700 रुपये पर कारोबार कर रही है।

हालांकि कच्चे तेल में गिरावट आई है। एमसीएक्स पर कच्चा तेल 1.5 फीसदी फिसलकर 3080 रुपये के नीचे आ गया है। दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट आई है और आज डॉलर के मुकाबले रुपया भी मजबूत है। इस बीच नैचुरल गैस में भी 2 फीसदी की तेज गिरावट आई है और इसका दाम 181 रुपये पर आ गया है।

अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में उम्मीद से ज्यादा की बढ़ोतरी से क्रूड की कीमतों पर फिर से दबाव बढ़ने लगा है। अमेरिकी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट के मुताबिक अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार करीब 89 लाख बैरल बढ़ गया है जबकि करीब 40 लाख बैरल बढ़ने की उम्मीद थी।

बेस मेटल्स में कॉपर को छोड़कर सभी मेटल में मजबूती है। एमसीएक्स पर कॉपर करीब 0.5 फीसदी गिरकर 361 रुपये पर आ गया है। हालांकि निकेल 0.5 फीसदी से ज्यादा उछलकर 890 रुपये के ऊपर पहुंच गया है। एल्युमिनियम 0.5 फीसदी बढ़कर 112 रुपये पर पहुंच गया है। लेड भी 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ 110 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। जिंक 0.7 फीसदी की मजबूती के साथ 129 रुपये पर कारोबार कर रहा है।

एफएमसी ने कैस्टर से 5 फीसदी अतिरिक्त मार्जिन हटाने का फैसला लिया है जो आज से ही लागू हो गया है। इस बीच कैस्टर में आज तेजी आई है। एनसीडीईएक्स पर कैस्टर सीड में 0.5 फीसदी की बढ़त आई है और इसका भाव 3650 रुपये के पार पहुंच गया है। हालांकि एफएमसी ने एक्सचेंजों को कैस्टर में होने वाले सौदों पर बारीक नजर रखने की हिदायत भी दी है।

रेलिगेयर कमोडिटीज की निवेश सलाह

सोना एमसीएक्स (अप्रैल वायदा) : खरीदें - 26180, स्टॉपलॉस - 26030 और लक्ष्य - 26500

चांदी एमसीएक्स (मार्च वायदा) : खरीदें - 36400, स्टॉपलॉस - 35950 और लक्ष्य - 37200

कॉपर एमसीएक्स (फरवरी वायदा) : खरीदें - 359, स्टॉपलॉस - 356 और लक्ष्य - 365

लेड एमसीएक्स (फरवरी वायदा) : खरीदें - 109.3, स्टॉपलॉस - 108.3 और लक्ष्य - 111.4

जिंक एमसीएक्स (फरवरी वायदा) : खरीदें - 128.3, स्टॉपलॉस - 127.4 और लक्ष्य - 130

निकेल एमसीएक्स (फरवरी वायदा) : खरीदें - 886, स्टॉपलॉस - 875 और लक्ष्य - 908

एल्युमिनियम एमसीएक्स (फरवरी वायदा) : खरीदें - 111.3, स्टॉपलॉस - 110.5 और लक्ष्य - 113

कच्चा तेल एमसीएक्स (मार्च वायदा) : बेचें - 3105, स्टॉपलॉस - 3155 और लक्ष्य - 3010

नैचुरल गैस एमसीएक्स (मार्च वायदा) : बेचें - 182, स्टॉपलॉस - 185.5 और लक्ष्य - 175

कुंवरजी कमोडिटीज की निवेश सलाह

कैस्टर सीड एनसीडीईएक्स (मार्च वायदा) : खरीदें - 3630, स्टॉपलॉस - 3570 और लक्ष्य - 3720.... स्रोत : CNBC-Awaaz

20 फ़रवरी 2015

कमोडिटी बाजार: सोना लुढ़का, क्या करें

सोने में गिरावट शुरू हो गई है। इस हफ्ते सोने में करीब 1.75 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इस तरह से सोने के लिए लगातार चौथा हफ्ता गिरावट भरा साबित होने जा रहा है। कॉमैक्स पर सोने में 1200 डॉलर के पास बेहद छोटे दायरे में कारोबार हो रहा है। आज अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़े आने वाले हैं। वहीं चांदी में भी गिरावट शुरू हो गई है। जानकारों के मुताबिक सोने में आगे और गिरावट आ सकती है। घरेलू बाजार में सोना 26 हजार रुपए के नीचे भी फिसल सकता है।

एमसीएक्स पर कच्चा तेल 0.15 फीसदी गिरकर 3240 रुपये पर कारोबार कर रहा है। वहीं नैचुरल गैस 3.4 फीसदी मजबूत होकर 180 रुपये ऊपर कारोबार कर रहा है। घरेलू बाजार में बेस मेटल्स में सुस्ती दिख रही है। एल्यूमीनियम हल्की कमजोरी के साथ 112 रुपये के आस पास नजर आ रहा है। वहीं कॉपर 0.5 फीसदी टूटकर 360 रुपये के नीचे कारोबार कर रहा है।

एग्री कमोडिटीज की बात करें तो एनसीडीईएक्स पर जौ का अप्रैल वायदा 0.5 फीसदी मजबूत होकर 1175 रुपये के करीब कारोबार कर रहा है। वहीं गेंहू का मार्च वायदा 0.6 फीसदी मजबूत होकर 1590 रुपये पर कारोबार कर रहा है।

स्मृति कमोडिटीज की रुपा मेहता की निवेश सलाह

कच्चा तेल एमसीएक्स (मार्च वायदा): बेचें - 3285, स्टॉपलॉस - 3335 और लक्ष्य - 3140

एल्यूमिनियम एमसीएक्स (फरवरी वायदा): बेचें - 111.80, स्टॉपलॉस - 110.80 और लक्ष्य - 113

हेम सिक्योरिटीज की आस्था जैन की निवेश सलाह

जौ एनसीडीईएक्स (अप्रैल वायदा) : खरीदें - 1160, स्टॉपलॉस - 1130 और लक्ष्य -1195

गेंहू एनसीडीईएक्स (मार्च वायदा) : खरीदें - 1580, स्टॉपलॉस - 1560 और लक्ष्य -1610......स्रोत : CNBC-Awaaz

35 Sugar Mills In Maharashtra Placed Bid To Supply 21 Crore Liters Of Ethanol To OMC's



Owing to the ethanol demand by  OMC’s (Oil Marketing Companies), 35 sugar mills in Maharashtra had placed bid to supply 21 crore liters of ethanol in 2014-15 catering almost 65% of the total demand by firms

India maize prices up on limited stocks

WASDE report projects higher world production, consumption & ending stocks, no reflection on prices; India maize prices up on limited stocks

USDA brought out the WASDE report on Feb 10, 2015. Though there are no changes in the production of corn in the US, usage has been increased for ethanol production by 1.9 MMT and reduced for feed by 0.653 MMT, which is reflected in a little reduction in ending stocks, which are now estimated at 46.42 MMT.
Overall world corn production is estimated at 991.29 MMT and ending stocks at 189.64 MMT. Higher corn production is estimated in Argentina 1 MMT to 23 MMT; Former Soviet Union (FSU) 1.11 MMT to 43.77 MMT and Ukraine 1.45 MMT to 28.45 MMT. In case of Brazil, ending stocks are reported to be higher due to higher beginning stocks and the same is for South Africa. Corn exports are expected to be up from FSU and Ukraine at 20.84 MMT and 18 MMT respectively. Overall
The reduction in the ending stocks does not reflect much on the prices, which moved up very slightly by the end of the week. Mar contract closed 0.41% up at 152.43 per MT; May up 0.30% to $155.48 per MT and Jul up 0.30% to $158.49 per MT. This did not change the FOB indicated prices were were at $182/MT (Feb) and down to $180/MT (Apr) at US GULF. Prices at PNW were indicated at $196-198/MT for the same period. Argentina corn indicated at $178-182/MT, Brazil at $182-186/MT, Black Sea $172-176/MT and India at $212/MT.
Overall Indian maize prices on futures and spot markets moved up, reflective of the  fact that the arrivals are slow and now the wait is only for the Rabi crop in Bihar. Feb up 4.6% to Rs.12260/MT; Mar up 4.42%to Rs.12520/MT; Apr up 3.45% to Rs.11390/MT; May up 1.72%to Rs.11260/MT and Jun up 3.98% to Rs.11500/MT. Spot prices in ket markets up except in Nizamabad and Gulabbagh where prices were down by 0.25% and 0.5% to Rs.12518/MT and Rs.13317/MT respectively. Prices were up in Davangere by 1.08% to Rs.11750/MT; Karimnagar by 0.20% to Rs.12750/MT and Sangli by 2.40% to Rs.12800/MT. Buying remains subdued, with no pressure, though the end user industries are looking for good quality corn for their use, specially poultry and starch.
DDGS remains a good buy and reflected in the prices. But on the longterm, if the crude prices do move up, ethanol use will be feasible and exports will continue. Also with more corn expected to be used in Ethanol production, expect more DDGS production in the US and higher availability. Current FOB prices (US Gulf) are indicated at $269/MT (Feb), down to $262/MT in April. At PNW the prices are indicated at $266-258/MT. Delivered prices to Vietnam and China were indicated at $325/MT and $308/MT respectively. Corresponding CGM prices were quoted at $752/MT (FOB US Gulf).
Not much change in the Freight rates as they continue to decline and the benchmark US Gulf-japan freight was indicated at $27.5/MT. Similarly PNW-Japan freight indicate at $16/MT. US Gulf-China at $26/MT; PNW-China at $15/MT and Argentine-Brazil to China was indicated at $21/MT (Minimum) to a high of $27.5/MT.       Amit Sachdev

Global Coffee Production Forecast Stands High In 2015/16- Volcafe


 As per  Volcafe recent forecast (19th Feb 2015), global coffee production may reach at the level of 152.8 million 60kg bags in 2015/16 higher from 142.2 million bags in 2014/15. Coffee production forecast for Brazil is kept up at 49.5 million bags for 2015/16 against 47 of prior season followed by Arabica coffee production at 33 million bags and Robusta coffee production at 16.5 for 2015/16. On the other hand, Brazil's output may touch the level of 47.28 in 2015/16 slightly higher from 46.78 million bags in previous year with Arabica's production at 35.05 million bags and Robusta's production 15.2 million bags according to Terra Forte.

Japan's Use Of Corn Fell In Dec'14



Preliminary Japanese government data shows that Japan's use of corn in animal feed production fell to 44.2% in the Dec’14 from 45.2% during the same month last year while users' reliance on alternatives such as sorghum, wheat and barley also decreased. (Source: Reuters)

Lower Palm Oil Shipments Reported During First Half of February M-o-M


As per IBIS data (complied by Agriwatch), Indian buyers imported 3.102 lakh tons of crude palm oil (down 38 percent m-o-m basis) and 0.689 lakh tons of RBD palmolein (up 25 percent m-o-m basis) from majorly Malaysia, Indonesia and Thailand during 02– 15 February 2015. SEA revealed that India imports CPO 2.07 (1.57) lakh tons and 1.70 (5.80) lakh tons of RBD palmolein during Nov. 14-Jan. 15. Values in bracket depicts last year same period import figures.

मूंगफली दाने के निर्यात में भारी बढ़ोतरी के बावजूद कीमतों में गिरावट


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित वर्श 2014-15 के पहले नो महीनों (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान मूंगफली दाने के निर्यात में मूल्य के हिसाब से 39.03 फीसदी की तेजी आई है लेकिन इसके बावजूद भी चालू महीने में मूंगफली तेल की कीमतों में 35 से 40 रूपये प्रति 10 किलो का मंदा आया है।
श्री राज मोती इंडस्ट्ीज के प्रबंधक समीर षाह ने बताया कि चालू सीजन में मूंगफली दाने के निर्यात में भारी बढ़ोतरी हुई है जबकि इस समय प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात और राजस्थान में मूंगफली की आवक भी कम हो गई है लेकिन आयातित तेलों की कीमतें नीचे होने के कारण मूंगफली तेल के भाव में भी गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि राजकोट मंडी में चालू महीने के षुरू में मूंगफली तेल का भाव 1,020-1,025 रूपये प्रति 10 किलो था जबकि षुक्रवार को इसका भाव घटकर 980-990 रूपये प्रति 10 किलो रह गया।
वणिज्य मंत्रालय के अनुसार चालू वित वर्श 2014-15 के पहले नो महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान मूंगफली दाने के निर्यात में मूल्य के हिसाब से 39.03 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल 3,274.80 करोड़ रूपये मूल्य का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्श की समान अवधि में मूंगफली दाने का निर्यात 2,355.40 करोड़ रूपये का हुआ था। एपिडा के अनुसार चालू वित वर्श की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान मात्रा के हिसाब से 2.61 लाख टन मूंगफली दाने का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्श की समान अवधि में 1.89 लाख टन का निर्यात हुआ था।
मूंगफली के थोक कारोबारी दयालाल ने बताया कि गुजरात और राजस्थान की उत्पादक मंडियों में मूंगफली की दैनिक आवक घटकर 18 से 20 हजार बोरियों की रह गई है लेकिन तेलों में में मांग कम होने के कारण प्लांटों की मांग कमजोर है। उत्पादक मंडियों में मूंगफली के भाव 4,450 से 4,500 रूपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि रबी सीजन में मूंगफली का मुख्य उत्पादन आंध्रप्रदेष में होता है तथा वहां नई फसल की आवक षुरू हो गई है। भाव पहले ही नीचे बने हुए हैं ऐसे में तेलों में मांग बढ़ने पर मौजूदा कीमतों में सुधार आने का अनुमान है।
कृशि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार मूंगफली की पैदावार 74.7 लाख टन होने का अनुमान है।......आर एस राणा