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02 अगस्त 2013

सरकार ने दिए एनएसईएल मामले की जांच के आदेश

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार ने नेशनल स्पाट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के फैसलों से उत्पन्न संकट की जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले ने कमोडिटी और शेयर बाजार में भुगतान के संकट की आशंका पैदा कर दी है। केंद्रीय खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) से मामले की जांच करने को कहा है। इस संकट की वजह से शेयर बाजार में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीस इंडिया (एफटीआइएल) और एमसीएक्स के भरभराने की जांच भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी कर रहा है। खाद्य और वित्त मंत्रालय पूरे मामले की निगरानी कर रहे हैं। एनएसईएल ने बुधवार देर रात ही कुछ वायदा सौदों को छोड़कर अन्य सभी सौदों में कारोबार रद करने का सर्कुलर जारी किया था। एनएसईएल के इस फैसले का असर बृहस्पतिवार को कमोडिटी और शेयर दोनों बाजारों के कारोबार पर पड़ा। शेयर बाजार में एमसीएक्स और एनएसईएल की मूल कंपनी एफटीआइएल के साथ-साथ एमसीएक्स के शेयर औंधे मुंह जा गिरे। एफटीआइएल के शेयर में 65 और एमसीएक्स में 20 फीसद की गिरावट आई। खाद्य मंत्रालय ने वायदा बाजार नियामक एफएमसी को इसकी जांच करने को कहा है कि एनएसईएल ने एक रात पहले अचानक यह फैसला क्यों किया। एफएमसी ने इसकी छानबीन शुरू भी कर दी है। वैसे, सरकार ने 12 जुलाई को ही एनएसईएल को कोई भी नया वायदा सौदा लांच नहीं करने का निर्देश दिया था। एक्सचेंज को यह निर्देश उसके कारोबार में नियमों के उल्लंघन और गड़बड़ियों के संकेत मिलने के बाद दिया गया था। सेबी की जांच के दायरे में एनएसईएल के कारोबार में गड़बड़ियों की वजह से ब्रोकरों के डिफाल्ट होने के संभावित खतरों को भी शामिल किया गया है। सेबी ने बृहस्पतिवार को एमसीएक्स और एफटीआइएल में हुए कारोबार की पूरी जानकारी स्टॉक एक्सचेंजों से मांगी है। उसकी जांच के दायरे में भेदिया कारोबार के नियमों का उल्लंघन भी है। शेयर बाजार नियामक को संदेह है कि एनएसईएल के वायदा सौदों में कारोबार रद करने का फैसला समय से पहले बाहर आ गया है। दरअसल, सेबी की चिंता इसे लेकर है कि कई ब्रोकर कमोडिटी और इक्विटी दोनों कारोबार में समान रूप से सक्रिय हैं। ऐसे में किसी एक्सचेंज में भुगतान की समस्या होगी तो उसका असर दूसरे एक्सचेंजों पर भी होगा। सेबी की नजर एमसीएक्स और एफटीआइएल के शेयरों में पिछले कुछ दिनों से लगातार चल रही गिरावट पर भी है। इस पूरे मामले की जांच में सेबी और एफएमसी एक दूसरे के अलावा अपने अपने मंत्रालयों- वित्त और खाद्य के साथ लगातार संपर्क में हैं। चूंकि यह मामला शेयर बाजार और कमोडिटी एक्सचेंज दोनों से जुड़ा है, इसलिए सरकार इसे लेकर ज्यादा चिंतित है। एनएसईएल पर नियामकों के अधिकार क्षेत्र को लेकर भी अभी विवाद है। इसलिए इसके चलते भुगतान की कोई भी समस्या पूंजी बाजार में बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है। (Jagran)

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