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03 मार्च 2009

अमेरिकी मंदी से एशियाई अनाजों में और सुस्ती संभव

एशियाई बाजारों में अनाजों की कीमतों में नरमी आ सकती है। एशियाई और अमेरिकी पूंजी बाजारों में गिरावट की वजह से अनाजों के कारोबार पर दबाव बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। अमेरिकी आंकड़ों के जारी होने के बाद आने वाले दिनों में मंदी और गहराने की आशंका है। जानकारों के मुताबिक चौथी तिमाही के दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था में और गिरावट आ सकती है। ऐसे में तेजी के किसी भी फंडामेंटल के अभाव में वैश्विक बाजारों में क्रूड ऑयल और दूसर जिंसों की कीमतों में नरमी देखी जा सकती है। जिसका असर एशियाई कमोडिटी कारोबार पर भी पड़ना तय है। पिछले दिनों के दौरान अमेरिका के कई बैंकों के खस्ता हाल होने के बाद आने वाले दिनों में और मंदी आने की संभावना बढ़ी है। तमाम अटकलों के बावजूद पिछले दो महीनों के दौरान वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल का दाम 40 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बना रहा। अक्टूबर से दिसंबर तक अमेरिका जीडीपी दर में गिरावट सीजनल समायोजन के बाद करीब 6.2 फीसदी रही जो 1982 के बाद सबसे ज्यादा है। उस समय एक तिमाही में गिरावट करीब 6.4 फीसदी रही थी। हालांकि दूसरी तरफ सोयाबीन और मक्का की कीमतों में मजबूती की गुंजाइश बनी हुई है। दक्षिण अमेरिका में सूखे की वजह से मक्का और सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। इंटरनेशनल ग्रेन कांउसिल के मुताबिक दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों द्वारा चावल के आयात में कमी देखी जा सकती है। इस साल फिलीपींस में करीब 18 लाख टन चावल का आयात होने की संभावना है। पिछले साल यहां करीब 23 लाख टन चावल का आयात हुआ था। वहीं बांग्लादेश के चावल आयात में भी करीब 30 फीसदी की कमी आने की संभावना जताई जा रही है। इस साल यहां करीब 11 लाख टन चावल का आयात हो सकता है। (Business Bhaskar)

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