04 मार्च 2009
एमसीएक्स में कई कृषि जिंस वायदा में कारोबार शून्य
नॉन एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार में मजबूत स्थिति रखने वाला मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज मंदी के मौजूदा दौर में एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार में पैर नहीं जमा पा रहा है। अभी भी इस वर्ग में एनसीडीईएक्स से पीछे ही है। उसके कई वायदा अनुबंधों में कारोबार शून्य ही रहा। एमसीएक्स द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च, अप्रैल, मई और जून में डिलीवरी वाली 17 कमोडिटी में बिल्कुल सौदे नहीं हुए। एक्सचेंज में कुल 26 कमोडिटी में कारोबार की व्यवस्था की गई है। मक्का, जीरा, ग्वार सीड, बिनौला, लाल मिर्च, गुड़ और सरसों समेत दस जिसों में दिसंबर में शुरू हुए मार्च वायदा कांट्रेक्ट में कारोबार काफी कम रहा है। जानकारों के मुताबिक आर्थिक मंदी की वजह से इन जिंसों में निवेशकों का रुझान कम हुआ है। कर्वी काम्ट्रेड के जी हरीश के मुताबिक आमतौर पर एमसीएक्स को गैर कृषि जिंसों में वायदा कारोबार कराने वाले एक्सचेंज के तौर पर जाना जाता है। ऐसे में लोगों की मानसिकता में बदलाव मुश्किल काम है। वहीं एनसीडीईएक्स में ज्यादातर कृषि जिंसों में कारोबार होता है। उन्होंने बताया कि इसी वजह से एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स में समान जिंसों में वायदा होने के बावजूद एमसीएक्स के कृषि वायदा में कारोबारियों का रुझान कम रहता है। एक अन्य विश्लेषक के मुताबिक मौजूदा समय में वैश्विक स्तर पर छाई मंदी की वजह से कृषि जिंसों में कारोबार घटा है। जिसका असर घरलू वायदा एक्सचेंजों पर भी देखा जा रहा है। पिछले साल तेजी की वजह से भारी निवेश हुआ था। हालांकि इसके बावजूद एमसीएक्स में रिफाइंड सोया तेल, मेंथा तेल, इलायची, क्रेड पाम तेल, जूट और कॉटन वायदा में एनसीडीईएक्स के मुकाबले बेहतर कारोबार हुआ है। रिफाइंड मार्च सोया तेल वायदा में अब तक करीब 887 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। वहीं मेंथा तेल वायदा में 147 करोड़ रुपये, जून में 89 करोड़ रुपये और इलायची वायदा में करीब 54 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है।गौरतलब है कि वैव्श्रिक बाजारों में कई कृषि जिंसों की कीमतों में तगड़ी गिरावट आई है। वहीं आने वाले समय में कारोबारी रुझान कैसा रहगा, इसकी तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पा रही है। इस वजह से ज्यादातर निवेशक बाजार से दूरी बनाए हुए हैं। वहीं सोना और चांदी की कीमतों में पिछले दिनों के दौरान तगड़ी तेजी देखी गई है। ऐसे में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए निवेशकों का रुझान कृषि जिंसों की जगह सराफा धातुओं में बढ़ा है। (Business Bhaskar)
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