नई दिल्ली March 03, 2009
गुजियां नहीं बनेगी, लोग पकवान नहीं खाएंगे तो खाद्य तेल कौन खरीदेगा। खाने-पीने के लिए मशहूर होली पर्व के अवसर पर इस बार खाद्य तेल व्यापारियों की तबियत रंगीन नजर नहीं आ रही है।
पहले से ही मंदी का दौर झेल रहे कारोबारियों में होली के दौरान और सुस्ती छा गयी है। क्योंकि उठाव में पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी की साफ कमी देखी जा रही है। कारोबारी कहते हैं कि होली में खाद्य तेल की मांग सामान्य दिनों के मुकाबले 3 फीसदी तक बढ़ जाती थी।
मांग बढ़ने से कीमत में भी बढ़ोतरी होती थी। लिहाजा वे साल भर तक होली का इंतजार करते थे। लेकिन इस बार तो उनकी होली फीकी रहेगी। सरसों तेल हो या वनस्पति घी, लगभग सभी तेल की कीमतों में होली तक 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम तक की गिरावट आ जाएगी।
होली के दौरान सरसों तेल की मांग सबसे अधिक होती है, लेकिन इस साल सरसों तेल पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4-5 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी के साथ बिक रहा है। सरसों तेल के थोक भाव फिलहाल 52 रुपये प्रति किलोग्राम है जो कि होली तक 48 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर आने की उम्मीद है।
क्योंकि सरसों की इन दिनों रोजाना 2.5 लाख बोरी (1बोरी= 80 किलोग्राम) की आवक हो रही है और आने वाले 10 दिनों में इसकी आवक 3-3.5 लाख बोरी तक पहुंचने की उम्मीद है। सरसों का उत्पादन भी इस साल पिछले साल के मुकाबले करीब 10 लाख टन अधिक है। फिलहाल सरसों 2100-2200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है।
कारोबारी हेमंत गुप्ता कहते हैं, 'अन्य तेलों में तेजी होती तो शायद सरसों की कीमत में भी मजबूती आती। लेकिन पाम व सोयाबीन के लगातार सुस्त बने के कारण सरसों में भी कोई उम्मीद नहीं बनी।' सोयाबीन की कीमत पिछले एक माह से 460-470 रुपये प्रति 10 किलोग्राम के स्तर पर टिकी हुई है। वहीं रिफाइंड पाम तेल की कीमत भी पिछले दो माह से 38-40 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर है। वनस्पति तेल के भाव भी 40 रुपये प्रति किलोग्राम है।
उन्होंने बताया कि सरकार की नीति के कारण भी खाद्य तेल का कारोबार मंदा चल रहा है। क्रूड पाम तेल के आयात पर कारोबारियों ने शुल्क लगाने की लगातार मांग की, लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। गौरतलब है कि क्रूड पाम तेल की कीमत पिछले दो माह से 25-28 रुपये प्रति किलोग्राम बनी हुई है। इसके समर्थन के कारण ही अन्य सभी खाद्य तेलों का बाजार नहीं उठ पा रहा है।
वे कहते हैं कि अब तो चुनाव के बाद ही तेल बाजार की धार कुछ मजबूत हो सकती है। कारोबारियों ने बताया कि होली के मौसम में अगर मांग में तेजी होती तो शायद 1-2 रुपये प्रति किलोग्राम की तेजी आ सकती थी लेकिन इस बार तो विपरीत हालत है। उल्टा होली तक कीमत कम होने की पूरी संभावना है। (BS Hindi)
03 मार्च 2009
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