कोलकाता March 02, 2009
चाय उद्योग में नए सत्र में तेजी आ सकती है। इस उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों का मानना है कि नए सत्र में कीमतों में कम से कम 25-30 रुपये प्रति किलो का उछाल आ सकता है।
एक प्रतिनिधि ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि वर्तमान सत्र में चाय की कीमतें उत्तर भारत में 85-90 रुपये प्रति किलो के बीच रहेंगी, साथ ही यह भी उम्मीद है कि नए सत्र में कीमतें 120-130 रुपये प्रति किलो पर खुलेंगी। चाय का नया सत्र मार्च के मध्य में शुरू होने की उम्मीद है।
पिछले साल उत्तर भारत में कारोबार 75 रुपये प्रति किलो पर बंद हुआ था और नए सत्र की शुरुआत 110 रुपये प्रति किलो पर हुई थी। बहरहाल, नए सत्र में अनुमान लगाया गया कि चाय का उत्पादन मामूली- 50 लाख किलो गिरेगा, जबकि इस साल उद्योग जगत का मानना है कि चाय के उत्पादन में 300 लाख किलो की गिरावट आएगी।
इंडियन टी एसोसिएशन के चेयरमैन आदित्य खेतान ने कहा कि यह गिरावट 300 लाख किलो रहने का अनुमान है, लेकिन उन्होंने नए सत्र की कीमतों के बारे में कुछ भी कहने से मना किया। हालांकि उन्होंने कहा कि नया सत्र मजबूती के साथ खुलेगा।
डूआर चाय की पहली खेप आनी शुरू भी हो गई है। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों का कहना है कि इनकी कीमतें पिछले साल की तुलना में 15-20 रुपये प्रति किलो ज्यादा हैं। लेकिन यह चाय नए सत्र के खुलने के लिए कोई संकेत नहीं है। असली स्थिति की जानकारी तो मार्च के मध्य में ही मिल पाएगी।
उत्तर भारत में बारिश भी इस साल कम हुई है। इसका भी फसल पर असर पड़ा है। इसके साथ ही चाय के उत्पादक प्रमुख देशों, अफ्रीका और श्रीलंका में भी उत्पादन में कमी आई है। खेतान ने कहा कि इन देशों में सूखे जैसी स्थिति रहने का मतलब यह हुआ कि निर्यात के लिए भारत में पूछताछ बढ़ेगी।
उद्योग जगत के एक सूत्र ने बताया कि हाल ही में मिस्र का एक प्रतिनिधिमंडल आया भी था। पिछले साल कुल 140 लाख किलो चाय का निर्यात हुआ था। उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस साल 250 लाख किलोग्राम चाय की खरीद करेगी। एक सूत्र ने कहा कि ईरान से बहुत ज्यादा मांग आ रही है। वैश्विक मंदी ने जहां अन्य खाद्यान्न की मांग कम की है, वहीं चाय के मामले में कुछ उल्टा ही हो रहा है।
रूस जैसे देशों में चाय की खपत बढ़ी है। लोग जूस जैसे महंगे पेय की ओर से हटकर चाय की ओर आए हैं, लेकिन प्रीमियम ब्रांड चाय की मांग नहीं है। उद्योग जगत के एक सूत्र ने कहा कि हम इस साल उम्मीद कर रहे हैं कि चाय का निर्यात बढ़कर 20 करोड़ किलो से ज्यादा हो जाएगा।
अगर निर्यात बढ़कर 20 करोड़ किलो से ज्यादा हो जाती है और उत्पादकता में कमी आती है, तो स्वाभाविक है कि घरेलू बाजार पर असर पडेग़ा और कमी बढ़ जाएगी। आईटीए के अनुमान के मुताबिक 2008 में चाय का उत्पादन 96.2 करोड़ किलोग्राम होगा, निर्यात 20 करोड़ किलो होगा और आयात 2 करोड़ किलो होगा। इसके साथ ही खपत 82.5 करोड़ किलो रहने का अनुमान है। ( BS Hindi)
03 मार्च 2009
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