अहमदाबाद March 07, 2009
भारत में वित्त वर्ष 2009-10 में रिकॉर्ड अग्रिम स्टाक होने की संभावना बन रही है।
कपास के कारोबारियों का कहना है कि कपास के नए मौसम में अगले वित्त वर्ष के लिए भारी मात्रा में अग्रिम स्टॉक जमा होगा और यह 70 लाख गांठों से ज्यादा होगा। वहीं सरकारी अधिकारियों का कहना है कि अग्रिम स्टॉक 50 लाख गांठों का होगा।
उद्योग जगत के लोगों का कहना है कि कपास की खपत और निर्यात इस साल कम रहेगी, जिसके चलते 2009-10 में अप्रत्याशित रूप से स्टॉक जमा हो जाएगा।
कपास का कारोबार करने वाली अहमदाबाद की फर्म अरुण दलाल ऐंड कंपनी के मालिक अरुण दलाल ने कहा, 'इस समय पूरी दुनिया में टेक्सटाइल उद्योग कठिन दौर से गुजर रहा है। इसके बावजूद भारतीय कपास की कीमतें ज्यादा होने की वजह से निर्यात रुक सा गया है। कपास की घरेलू खपत में बहुत ज्यादा गिरावट आई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि आने वाले दिनों में कपास का अग्रिम स्टाक बहुत ज्यादा हो जाएगा।'
ज्यादा खपत और निर्यात की वजह से वित्त वर्ष 2008-09 में अग्रिम स्टॉक 40 से 43 लाख गाठों का था। सेंट्रल गुजरात कॉटन डीलर्स एसोशिएशन (एसजीसीडीए) के अध्यक्ष किशोर शाह ने कहा, 'बहरहाल कपास का नया मौसम सितंबर-अक्टूबर 2009-10 में शुरू होगा और उस समय अप्रत्याशित रूप से अग्रिम स्टॉक जमा हो जाएगा। यह 70-80 लाख गांठ तक हो सकता है।'
अगले मौसम में कपास के अग्रिम स्टॉक के बारे में पूछे जाने पर टेक्सटाइल मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेएन सिंह ने कहा कि यह करीब 53 लाख गांठ रहने की संभावना है। कपास के अग्रिम स्टॉक के बढ़ने की मूल वजह यह है कि पिछले साल भारत में 315 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था, जिसमें से स्थानीय खपत 241 लाख गांठ की हुई, जबकि 85 लाख गांठ कपास का निर्यात किया गया।
सरकार और कारोबारियों, दोनो का ही मानना है कि वर्ष 2008-09 में कपास का निर्यात 35 लाख गांठ के करीब रहेगा। हकीकत यह है कि केवल 10 लाख गांठ कपास का निर्यात किया जा सका है। वहीं दूसरी ओर मंदी की वजह से इस साल घरेलू खपत भी कम हो गई है।
कपास के कारोबारियों को उम्मीद है कि इसकी घरेलू खपत गिरकर 220 लाख गांठ हो सकती है, जबकि पिछले साल 241 गांठ की खपत हुई थी। इन सभी कारकों का प्रभाव 2009-10 के अग्रिम स्टॉक पर पड़ेगा।
जेएन सिंह ने कहा, 'भारतीय कपास निगम और अन्य सरकारी एजेंसियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 100 लाख गांठ कपास का भंडारण किया है, इसमें से 50-60 लाख गांठ कपास अभी बेची नहीं जा सकी है।' (BS Hindi)
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