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07 मार्च 2009

मंदी की वजह से कपास निर्यात में 40 फीसदी गिरावट का अनुमान

मुंबई March 07, 2009
इस साल वैश्विक मंदी के मद्देनजर देश के कपास निर्यात में 40 फीसदी की गिरावट आएगी। इससे कपास उत्पादों का इस्तेमाल करने वालों में भी कमी आएगी।
अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति (आईसीएसी) के मुताबिक भारत दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक और निर्यातक देश है, जहां से इस साल 8.75 लाख टन कपास का निर्यात हुआ।
अंतरराष्ट्रीय कपास वर्ष पिछले साल अगस्त लेकर इस साल जुलाई तक है। चीन भारतीय कपास का सबसे बड़ा आयातक है। लेकिन वहां भी भारत से कपास निर्यात में काफी कमी देखी गई। पिछले साल अगस्त से दिसंबर तक की अवधि के दौरान भारतीय कपास लगभग 2.7 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलोग्राम कपास होती है।)चीन में निर्यात की गई।
वहीं अमेरिका में यह आयात बढ़कर 26.8 लाख गांठ हो गया था। इसकी वजह से चीन में भारतीय कपास का हिस्सा कम होकर महज 7 फीसदी हो गया वहीं अमेरिका में यह हिस्सा बढ़कर 69 फीसदी हो गया। उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया में कपास की कीमतों के मुकाबले घरेलू कपास की कीमतें कहीं ज्यादा थी। इसी वजह से भारत से कपास आयात क रना और देशों के लिए मुफीद नहीं साबित हुआ।
इस बीच हाल ही में कपास सलाहकार बोर्ड की बैठक में कपास उत्पादन के अनुमान में संशोधन किया गया है। पहले 322 लाख गांठ उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था लेकिन संशोधित अनुमान में 290 लाख गांठ का लक्ष्य रखा गया है।
वैश्विक कारोबार के संदर्भ में आईसीएसी ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि वैश्विक कपास के कारोबार में 21 फीसदी की कमी देखी गई और यह 2001-02 के कारोबार से भी सबसे कम था। पिछले पांच साल के औसत 33 फीसदी की तुलना करें तो विश्व के कपास उत्पादन का केवल 28 फीसदी वर्ष 2008-09 में निर्यात किया जाएगा।
चीन दुनिया का सबसे बड़ा कपास उपभोक्ता और आयातक है। चीन ने इस साल 15 लाख टन आयात करने की घोषणा की है। वर्ष 2007-08 में जितना आयात किया जाता है उससे यह 41 फीसदी कम है।
आईसीएसी का कहना है कि तुर्की, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देश भी बड़े आयातकों में शामिल हैं। उम्मीद है कि वे भी इस साल कुछ मात्रा में खरीदारी कर सकते हैं। जबसे चीन में कपास निर्यात करने के लिए भारत का हिस्सा कम हुआ है इससे वर्ष 2008-09 के कुल निर्यात में केवल 12 फीसदी की कमी आई। वहीं अमेरिका में भी कपास उत्पादन में 20 फीसदी से ज्यादा की कमी देखी गई।
हालांकि कई देशों की सरकारों ने मिलकर कपास के मूल्य को समर्थन देने का उपाय किया है। आईसीएसी को उम्मीद है कि विश्व में कपास क्षेत्र में 2009-10 तक 3 फीसदी की कमी होगी। इसकी वजह यह भी है कि क पास से मिलने वाले मुनाफे में लगातार ही गिरावट हो रही है। इसके अलावा दूसरी फसलों के लिए अच्छी कीमतें भी मिल रही हैं तो किसान कपास के बजाय दूसरी फसलों पर ही ध्यान देना चाहते हैं।
छा गई है मंदी
देश के कपास निर्यात में आएगी 40 प्रतिशत गिरावट, दुनिया के कपास कारोबार में आ सकती है 21 फीसदी की कमीघरेलू बाजार में कपास की ज्यादा कीमतों से आयातकों को परेशानी अगस्त-दिसंबर की अवधि के दौरान चीन में आयातित भारतीय कपास की हिस्सेदारी महज 7 फीसदी290 लाख गांठों के घरेलू उत्पादन का अनुमान (BS Hindi)

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