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12 मार्च 2009

आलू के भाव 50फीसदी बढ़ने से दिन सुधरे उत्पादकों के

आलू उत्पादक किसानों के दिन अब फिरने लगे हैं। एक महीने के दौरान आलू के हाजिर थोक भाव 50 फीसदी बढ़ चुके हैं। इसके साथ ही आलू के वायदा भाव में भी 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। देश में आलू का कुल उत्पादन पिछले साल से ज्यादा तो रहेगा लेकिन पिछले अनुमान से कम रहेगा। पश्चिम बंगाल और बिहार में उत्पादन कम रहने का अनुमान है। पश्चिम बंगाल में फसल में रोग लगने की सूचना है। अनुमान है कि इस साल कोल्ड स्टोर भी पूरी तरह नहीं भर पाएंगे।पोटेटो ऑनियन मर्च्ेट एसोसिएशन (पोमा) के अध्यक्ष त्रिलोकचंद शर्मा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि आलू के कोल्ड स्टोर में जाने की वजह से एक माह के दौरान आजादपुर सब्जी मंडी में आलू के भाव 160-250 रुपये से बढ़कर 270-380 रुपये प्रति बोरी (80 किलो) हो गए है। जबकि उत्तर प्रदेश के आगरा में कोल्ड स्टोर में जाने वाले आलू के दाम 280-330 रुपये से बढ़कर 400-450 रुपये प्रति बोरी हो चुके हैं। उधर मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में आलू की वायदा कीमतों में भी तेजी आई है। पिछले 9 फरवरी को आलू अप्रैल वायदा के भाव 561 रुपये एवं मई वायदा के भाव 576 रुपये प्रति क्ंिवंटल थे। एक माह बाद इन दोनों अनुबंधों के 9 मार्च को भाव बढ़कर क्रमश: 620 रुपये और 624 रुपये प्रति क्विंटल हो चुके हैं। अनुमान है कि इस बार कोल्ड स्टोर आलू से पूरी तरह भर नहीं पाएंगे। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के निदेशक डा. आर. के. गुप्ता का कहना है कि पश्चिम बंगाल और बिहार में आलू में लेट ब्लाइट बीमारी के कारण उत्पादन 30 फीसदी तक घट सकता है हालांकि उत्तर प्रदेश, पंजाब में बंपर उत्पादन होने की वजह से देश में वित्त वर्ष 2008-09 में कुल उत्पादन पांच से दस फीसदी अधिक होने की संभावना है़। यूपी एवं पंजाब से पश्चिम बंगाल और बिहार की मंडियों को आलू भेजा जा रहा है। इस कारण इस बार कोल्ड स्टोर पूरे नहीं भर पाएंगे। आगरा के आलू कारोबारी दीपक कुमार ने बताया कि इस साल कोल्ड स्टोर 60 से 70 फीसदी ही भरने की संभावना है। एनएचआरडीएफ के आंकडों के मुताबिक वित्त वर्ष 2007-08 में देश में आलू का कुल उत्पादन 304 लाख टन हुआ था। जिसके चालू वित्त वर्ष 2008-09 में पांच से दस फीसदी बढ़ने की संभावना हैं। मालूम हो कि आलू के बंपर उत्पादन के चलते दाम काफी नीचे आने की वजह से यूपी व पंजाब में आलू सड़क पर फेंकने की नौबत आ गई थी। इसके बाद किसानों को राहत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए आलू खरीद मूल्य बढ़ाने और परिवहन खर्च खुद उठाने और निर्यात पर सब्सिडी देने का फैसला किया था। पंजाब सरकार ने भी किसानों को घरेलू बाजार में आलू की बिक्री पर 400 रुपये टन और निर्यात के लिए 1500 रुपये टन की सब्सिडी देने का फैसला किया था। इसके बाद श्रीलंका और दुबई को तीन हजार टन आलू का निर्यात किया गया। (Business Bhaskar)

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