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09 जनवरी 2009

विश्व बाजार में भारतीय कॉटन मजबूत, दिसंबर में निर्यात बढ़ा

नवंबर के मुकाबले दिसंबर में भारत से कॉटन निर्यात में लगभग दो लाख गांठ से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। वैव्श्रिक बाजार में कॉटन के भाव सुधरने और डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने से भारतीय कॉटन ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो गई है। हालांकि घरेलू बाजारों में भाव तेज होने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की कीमतें घटने से चालू वर्ष में कॉटन के कुल निर्यात में गिरावट आने की आशंका है। ताजा संकेतों से अगले तीन महीनों में निर्यात बढ़ सकता है लेकिन पिछले साल का आंकड़ा छू पाना मुश्किल होगा। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार नवंबर में कॉटन निर्यात के लिए टैक्सटाइल कमिशनर के अ़ाफिस में 285,459 गांठ के सौदे पंजीकृत हुए। जबकि सिर्फ 72,350 गांठ की शिपमेंट हुई। लेकिन दिसंबर महीने में 132,353 गांठ के सौदे पंजीकृत हुए तथा 296,571 गांठ (पिछले माह के सौदे जोड़कर) की शिपमेंट हुई। बीते साल अगस्त-दिसंबर तक कॉटन निर्यात के लिए 662,906 गांठ के सौदे पंजीकृत हो चुके हैं तथा इसमें से 414,612 गांठ की शिपमेंट हो चुकी हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड (नायबॉट) में कॉटन के भाव मार्च वायदा में 50.28 सेंट प्रति पाउंड चल रहे हैं।मार्च में नायबॉट वायदा में भाव ऊपर में 92 सेंट प्रति पाउंड हो गए थे। जबकि अक्टूबर में दिसंबर वायदा के भाव घटकर 42 सेंट प्रति पाउंड तक आ गए थे। अबोहर स्थित कमल कॉटन ट्रेडर्स के राकेश राठी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भावों में आए सुधार के साथ ही रुपये के मुकाबले डॉलर में आई तेजी से आगामी दिनों में भारत से कॉटन के निर्यात में बढ़ोतरी तो होगी लेकिन पिछले वर्ष के मुकाबले निर्यात में कमी आ सकती है। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के मुताबिक वर्ष 2007-08 में देश से कॉटन का निर्यात 85 लाख गांठ का हुआ था लेकिन घरेलू बाजारों में भाव तेज होने व अंतरराष्ट्रीय बाजार में घटने से चालू वर्ष में भारत से कॉटन निर्यात में गिरावट आ सकती है। चालू वर्ष में 75 लाख गांठ निर्यात होने के आसार हैं। हालांकि अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थितियां अनुकूल होने से पिछले अनुमानों से निर्यात बढ़ सकता है।कॉटन व्यापारी संजीव गर्ग ने बताया कि इस समय पूरे देश में कॉटन की करीब एक से सवा लाख गांठ की दैनिक आवक हो रही है। दिसंबर के अंतिम पखवाड़े तक देश की मंडियों में कपास की लगभग 114 लाख गांठ की आवक हो चुकी है। इसमें से सीसीआई ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करीब 45 लाख गांठ की खरीद की है। महाराष्ट्र स्टेट फेडरेशन ने भी एमएसपी पर करीब 10 लाख गांठ की खरीद है। नाफेड ने भी महाराष्ट्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास की खरीदारी शुरू कर दी है। लोकसभा के चुनाव को देखते हुए सीसीआई व अन्य एजेंसियों की एमएसपी पर खरीद आगे भी जारी रहेगी। (Business Bhaskar....R S Rana)

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