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12 जनवरी 2009

बिजली वायदा पर एनसीडीईएक्स की वक्र दृष्टि

एनसीडीईएक्स की सहयोगी पीईआई ने दायर की याचिका, एफएमसी के अधिकार पर उठाया सवाल
एजेंसियां / नई दिल्ली January 11, 2009
देश के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में बिजली का वायदा कारोबार शुरू हुआ तो प्रतिद्वंदी एनसीडीईएक्स वायदा बाजार आयोग के अधिकार को लेकर मैदान में उतर आए।
एनसीडीईएक्स की सहयोगी कंपनी पावर एक्सचेंज ऑफ इंडिया (पीईआई) ने सीईआरसी के पास दायर याचिका में कहा है कि बिजली वायदा शुरू करने की बाबत अनुमति देने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) को है।पीईआई का कहना है कि बिजली जिंस नहीं है, लिहाजा एफएमसी इसके वायदा कारोबार की शुरुआत करने की अनुमति नहीं दे सकता यानी उसे ऐसी अनुमति देने का अधिकार नहीं है। उधर, वायदा बाजार आयोग ने इस याचिका को रद्द करने की मांग की है। एफएमसी के चेयरमैन बी. सी. खटुआ ने कहा है कि यह मामला पूरी तरह एफएमसी के अधिकारक्षेत्र का है। उन्होंने कहा कि वायदा कारोबार सिर्फ और सिर्फ एफएमसी के अधिकारक्षेत्र में है। खटुआ ने कहा कि वायदा अनुबंध कानून 1952 के तहत यह मामला एफएमसी के अधिकारक्षेत्र में आता है। वायदा बाजार आयोग से अनुमति मिलने के बाद पिछले शुक्रवार को एमसीएक्स ने बिजली वायदा कारोबार की शुरुआत की थी। जब एमसीएक्स की सहयोगी कंपनी इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) को बिजली वायदा कारोबार शुरू करने की अनुमति समय पर नहीं मिली तो एमसीएक्स ने इस बाबत अनुमति मांगी और एफएमसी ने उसे अनुमति दे दी।पावर एक्सचेंज ऑफ इंडिया ने अपनी याचिका में एमसीएक्स और आईईएक्स को भी पक्षकार बनाया है। पीईआई का कहना है एफसीआरए के तहत बिजली को जिंस में शामिल नहीं किया गया है, लिहाजा एफएमसी इसके वायदा कारोबार की अनुमति नहीं दे सकता। याचिका में कहा गया है कि पावर एक्सचेंज की गतिविधियों से संबंधित मामले सीईआरसी के दायरे में आता हैं, लिहाजा इसके वायदा कारोबार की अनुमति सिर्फ और सिर्फ सीईआरसी ही दे सकता है। याचिका में यह भी निवेदन किया गया है कि सीईआरसी तत्काल प्रभाव से एमसीएक्स को बिजली वायदा कारोबार करने से रोके। कहा गया है कि अगर एमसीएक्स को ऐसा करने की अनुमति दी गई तो इससे बिजली का बाजार बुरी तरह प्रभावित होगा और पावर एक्सचेंज के ऑपरेशन में भी बाधा पहुंचेगी। नैशनल इलेक्ट्रिसिटी पॉलिसी के पैरा 5.7.1 (डी) में कहा गया है कि पावर एक्सचेंज के विकास से संबंधित मामले सभी पक्षों से सलाह-मशवरा के बाद तय किए जाने चाहिए और सीईआरसी के 19 सितंबर 2008 के आदेश में इसे प्रमुखता से रेखांकित किया गया है। हालांकि एमसीएक्स ने इन सभी बातों को दरकिनार कर दिया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रतिद्वंदी कंपनी इंडियन एनर्जी एक्सचेंज को बिजली वायदा कारोबार शुरू करने की अनुमति फिलहाल नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि बिजली का हाजिर बाजार अभी विकसित नहीं हो पाया है। बाजार के विशेषज्ञों का आकलन है कि पावर रेग्युलेटर सीईआरसी को बिजली के हाजिर और वायदा दोनों कारोबार को रेग्युलेट करने की शक्ति दी जानी चाहिए। (BS Hindi)

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