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02 जनवरी 2009

खत्म हो सकता है बासमती चावल पर निर्यात अधिभार

नई दिल्ली January 01, 2009
बासमती चावल पर लगे भारी निर्यात अधिभार के चलते निर्यात में कमी को देखते हुए केंद्र सरकार अधिभार में कमी लाने का विचार कर रही है।
उल्लेखनीय है कि अभी बासमती चावल पर प्रति टन 8 हजार रुपये का भारी अधिभार लगता है। इस चलते, भारत बासमती चावल के एक अन्य उत्पादक और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से निर्यात के मोर्चे पर लगातार पिछड़ रहा है।एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ''सरकार बासमती चावल के निर्यात शुल्क और न्यूनतम समर्थन मूल्य दोनों का पुनर्विचार करने जा रही है।'' हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई निश्चित समय बताने से इनकार कर दिया। मालूम हो कि निर्यात के किसी भी सौदे में बासमती निर्यातकों को 8 हजार रुपये प्रति टन का अधिभार देना पड़ता है। इसके अलावा, उन्हें 1,200 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य का भी पालन करना होता है।आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत का बासमती निर्यात मौजूदा वित्त वर्ष में 7.15 लाख टन तक गिर गया। वहीं पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि (21 दिसंबर तक) में निर्यात का यह आंकड़ा 7.51 लाख टन रहा था। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ (द ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन) लंबे समय से निर्यात अधिभार हटाए जाने की मांग करता रहा है। इतना ही नहीं संघ ने चेताया कि इन सबके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार विशेषकर खाड़ी और यूरोपीय देशों में भारतीय बासमती चावल की मांग प्रभावित हो रही है। दूसरी ओर, पाकिस्तान मौजूदा परिस्थितियों का लगातार लाभ उठाकर अपना दबदबा बना रहा है।इस बीच निर्यातकों ने अधिभार में कटौती के संकेत का स्वागत किया है। एक निर्यातक ने बताया कि देर ही सही लेकिन सरकार को ये बात समझ में आ गई कि निर्यात अधिभार से बासमती चावल का निर्यात प्रभावित हो रहा है।सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा सीजन में केंद्र सरकार ने अब तक 1.55 करोड़ टन से अधिक चावल खरीदा है। पिछले साल समान अवधि में 1.28 करोड़ टन चावल की खरीद हो गई थी। पंजाब का योगदान इसमें सर्वाधिक 81 लाख टन का रहा है। पिछले साल की समान अवधि में इसका योगदान 74 लाख टन का ही था। (BS Hindi)

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