नई दिल्ली January 12, 2009
वैश्विक बाजारों में कीमतों में स्थिरता आने से भारतीय स्टील विनिर्माताओं को अपना भंडार निर्यात के जरिये समाप्त करने में मदद मिली है। स्टील का भंडार दिसंबर 2008 में 36 प्रतिशत बढ़ गया था।
हालांकि, बिक्री से होने वाली प्राप्तियां इस उद्योग के लिए चिंता की विषय रही है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दिसंबर में स्टील का निर्यात बढ़ कर 2.29 लाख टन हो गया जबकि नवंबर में यह घट कर 1.8 लाख टन रह गया था। अक्टूबर में 2.4 लाख टन स्टील का निर्यात किया गया था।उनके अनुसार कीमतों की स्थिरता और लॉन्ग स्टील उत्पादों पर से 15 प्रतिशत का निर्यात शुल्क हटाए जाने और अक्टूबर-नवंबर की अवधि में टैक्स वापसी (डीईपीबी) फिर से शुरू किए जाने से निर्यात में बढ़ोतरी हुई है।स्टील की कीमतें 550 से 600 डॉलर प्रति टन के आस पास स्थिर होने से खरीदारों की दिलचस्पी बढ़ी है लेकिन बिक्री से होने वाली प्राप्तियां काफी कम रही हैं। जून 2008 में स्टील की कीमतें 1,200 डॉलर प्रति टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गई थी। हालांकि, स्टील की मांग में वृध्दि होने में अभी देर लगेगी। इस्पात सचिव पी के रस्तोगी ने कहा, 'वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इस्पात की मांग घटी है।' अप्रैल से दिसंबर की अवधि में स्टील निर्यात 24 प्रतिशत घट कर 27 लाख टन हो गया जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 35 लाख टन था।ऑटोमोबाइल और निर्माण उद्योगों के वैश्विक मंदी से प्रभावित होने के साथ ही अप्रैल से दिसंबर की अवधि में पिछले वर्ष के मुकाबले फ्लैट उत्पादों के निर्यात में 25 प्रतिशत की कमी आई है। (BS Hindi)
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