कुल पेज दृश्य

09 जनवरी 2009

रबर सप्लाई रुकी, टायर कंपनियों की निकली हवा

मुंबई : प्राकृतिक रबर के दामों में जारी उतार-चढ़ाव के कारण रबर उत्पादकों ने इसकी आपूर्ति पूरी तरह से रोक दी है। इसकी वजह से टायर और रबर से जुड़े उत्पाद तैयार करने वाली कंपनियों में इसकी किल्लत पैदा हो गई है। कुछ महीने पहले रबर की कीमतों में सुधार हुआ था। हालांकि, दिसंबर के महीने में रबर के दाम में काफी गिरावट आई। इससे रबर उत्पादक इसे मौजूदा कीमत पर बेचने के लिए तैयार नहीं हैं और वह इसमें तेजी आने का इंतजार कर रहे हैं। प्राकृतिक रबर की आरएसएस4 वैरायटी की कीमतें दिसंबर के 60 रुपए प्रति किलो से बढ़कर अभी 75 रुपए प्रति किलो के स्तर पर आ गई हैं। हालांकि, हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके दाम गिरने के कारण इसकी मौजूदा कीमत 71 रुपए प्रति किलो है। एनएमसीई में 8 दिसंबर को रबर के फरवरी वायदा के सौदे 51 रुपए प्रति किलो पर हुए। हालांकि, इसके बाद से कमोडिटी बाजार में रबर की कीमतों में धीरे-धीरे सुधार हुआ। 5 जनवरी को यह 77 रुपए प्रति किलो के स्तर तक पहुंच गई। हालांकि, इस बीच अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी बाजार में उठा-पटक होने से कीमतों में गिरावट आई और गुरुवार को रबर का वायदा कारोबार 73.7 रुपए प्रति किलो पर बंद हुआ। कमोडिटी एक्सचेंज में बुधवार को रबर का वायदा कारोबार 74 रुपए पर बंद हुआ था। लंबी पाबंदी के बाद रबर समेत तीन अन्य कमोडिटी में दिसंबर में फिर से वायदा कारोबार हुआ और इसमें हायर डेली प्राइस लिमिट भी लगाई गई थी। ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के डायरेक्टर जनरल राजीव ने कहा कि हायर लिमिट के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहा, जो न तो उत्पादकों के लिए अच्छा था और न हीं उपभोक्ताओं के लिए। ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के एम एफ वोहरा ने कहा कि कीमतों में अस्थिरता और प्राइस लिमिट बढ़ाए जाने से मौजूदा समय में हाजिर बाजार में कोई खरीदार नहीं है। इससे कंपनियों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। कीमतों के मामले में घरेलू बाजार काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करता है। पिछले महीनों में खरीदारी घटने और सिंथेटिक रबर में इस्तेमाल होने वाले कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने के कारण रबर की कीमतें बढ़ीं थीं। हालांकि, इस बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटने से रबर के दाम फिर कम हो गए। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से सिंथेटिक रबर की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, इससे बाजार में प्राकृतिक रबर की मांग बढ़ जाती है। एक प्रमुख कंपनी के मैटेरियल हेड ने कहा कि मौजूदा समय में रबर उत्पादक माल को बाजार में नहीं ला रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मौजूदा समय में टायर कंपनियां बढ़ती लागत और घरेलू बाजार में प्राकृतिक रबर की पर्याप्त उपलब्धता न होने से जूझ रही हैं।' (ET HIndi)

कोई टिप्पणी नहीं: