06 जनवरी 2009
उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने विकसित किए 117 नए बीज
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने वर्ष 2008 में विभिन्न फसलों के बीजों की 117 नई किस्में तैयार की है। जिसमें से करीब दस फीसदी हाइब्रिड बीज है। इसमें दाल, गेहूं, आलू, चावल और सब्जियों के कई नये बीज है। यह जानकारी आईसीएआर के महानिदेशक मंगला राय ने दी। कृषि फसलों और मछली के बीजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए चल रही परियोजना की यहां रिव्यू मीटिंग के मौके पर मंगला राय ने संवाददाताओं को बताया कि इस परियोजना के बदौलत ही 2008 में रिकार्ड नई किस्में तैयार हो पाई है। इसके पहले हर साल बीजों की करीब 70-80 नई किस्में तैयार हो पाती थी। उल्लेखनीय है कि आईसीएआर ने इस परियोजना की शुरुआत साल 2005-06 में की थी। उन्होंने कहा कि इन नई किस्मों का असर जल्द ही हमें खाद्यान्नों और सब्जियों के रिकार्ड उत्पादन के रुप में देखने को मिलेगा। आईसीएआर ने चालू वित्तीय वर्ष के योजाना बजट का करीब दस फीसदी बीजों की नई किस्में तैयार करने पर खर्च करने की योजना है, जो 200 करोड़ रुपये है। साल भर में बीजों के उत्पादन के लिए आईसीएआर का 50 करोड़ रुपये का बजट है। मौजूदा समय उत्तर भारत में पड़ रही कड़ाके की ठंड के बारे में मंगला राय ने कहा कि अभी तक इससे किसी फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन आगे आने वाले दस दिन बढ़ी ठंड के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है,यदि इस दौरान तापमान में बहुत ज्यादा गिरावट नही आती है तो फसलों को कोई नुकसान नही होगा। उन्होंने बताया कि अभी तक की फसल को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस साल आलू का रिकार्ड उत्पाद होगा। उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी देश में आलू का रिकाूर्ड उत्पादन हुआ था। जिसका असर देश भर में इसके भाव पर गिरावट के रुप में देखा गया। चालू साल के दौरान राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार, और दूसर उत्पादक इलाकों में बोई गई सरसों की फसल के बार में उन्होंने बताया कि यदि मौजूदा समय में फसल को ठंड से नुकसान नही हुआ तो इस बार सरसों की रिकार्ड पैदावार हो सकती है। चालू साल के दौरान देश भर में अभी तक सरसों के बुआई क्षेत्रफल में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले करीब 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।पिछले साल के दैरान उत्पादक इलाकों में पाला और कोहरा पड़ने से सरसों की फसल को काफी नुकसान हुआ था। जिसका असर इसके उत्पादन पर गिरावट के रुप में देखा गया था। पिछले साल 58 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था। इस साल करीब 70 लाख टन सरसों का उपादन होन की उम्मीद है। इस अवसर पर बीज अनुसंधान निदेशालय, मऊ द्वारा तैयार नेशनल सीड़ एटलस का लोकार्पण भी किया गया। जिसमें देश भर क्षेत्र विशेष में बीजों के उत्पादन ओर विकास के तरीकों के बार में जानकारी दी गई है।मौजूदा मौसम पर आईसीएआर की उम्मीदतापमान में आई गिरावट से फसलों को किसी तरह का नुकसान नहीं, लेकिन ठंड के लिहाज से आने वाले दस दिन हैं महत्वपूर्णमौसम की अब तक की स्थिति के मुताबिक इस साल भी पिछले साल की तरह आलू के रिकॉर्ड उत्पादन की संभावनाठंड से बचाव हुआ तो इस साल सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन होने के आसार, सरसों का रकबा बारह फीसदी बढ़ा (Business Bhaskar)
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