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11 दिसंबर 2008

हीरा कारोबार पर मंदी और मुंबई का असर

अहमदाबाद December 10, 2008
सूरत में मौजूद हीरा उद्योग के क्रिसमस के मौके पर संभलने की उम्मीदें एक बार फिर ध्वस्त हो गई हैं। 60 हजार करोड़ रुपये सालाना का कारोबार वाला यह उद्योग मुंबई में हुए ताजा आतंकवादी हमलों से बुरी तरह से हिल गया है।
पूरी दुनिया में बवंडर का रूप ले चुकी आर्थिक मंदी से जो कुछ थोड़ा बच गया था, उसे आतंकवाद की इस आंधी ने मानो पूरा कर दिया। सामान्यत: क्रिसमस के मौके पर सामान्य दिनों की तुलना में 30 फीसदी ज्यादा कारोबार होता है, लेकिन इस बार दहशत की वजह से ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा। इस बार तो स्थिति उल्टी हो गई है। क्रिसमस के ऐन पहले हीरे का कारोबार 40 फीसदी गिर चुका है। इसकी वजह यह है कि 26 नवंबर को मुंबई पर हुए हमले के बाद विदेश से आने वाले हीरा खरीदारों ने अब मुंबई आने का इरादा छोड़ दिया है। अरसे से मांग होती रही है कि सूरत में मौजूदा हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया जाए ताकि विदेशी कारोबारी सीधे सूरत में उतर सकें। अभी की स्थिति तो यही है कि सूरत आने से पहले मुंबई उतरना पड़ता है और ताजा वारदात के बाद कारोबारी मुंबई आने से कतरा रहे हैं। सूरत हीरा संघ (एसडीए) के अध्यक्ष सी पी वनानी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि दो महीने की लंबी छुट्टी के बाद केवल 30 फीसदी हीरा कटिंग और पॉलिशिंग इकाइयों ने ही अपना ऑपरेशन फिर शुरू किया है। बाकी इकाइयों की योजना है कि दिसंबर अंत से काम शुरू किया जाए। कारोबारियों ने बताया कि क्रिसमस के आसपास पश्चिमी देशों की ओर से हीरे की मांग में तकरीबन 30 फीसदी का उछाल हो जाता है। लेकिन इस बार स्थिति उल्टी ही है क्योंकि मंदी की वजह से हीरे की मांग में करीब 40 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इसमें तो कोई शक ही नहीं है कि सूरत हीरा कटाई और पालिश करने का देश का सबसे बड़ा केंद्र है। एक महत्वपूर्ण बात यह कि हीरे के ज्यादातर अनुबंध मुंबई में से ही निपटते हैं और यहीं से निर्यात किए जाते हैं। वनानी ने बताया कि विदेशी कारोबारी मुंबई आने से हिचक रहे हैं। आतंक की वजह से तो कइयों ने अपनी यात्रा टाल दी है। संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण नानावती ने बताया कि वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण क्रिसमस के मौके पर भी हीरा बाजार में मंदी छाई है।इसके अलावा, मुंबई पर हुए आतंकी हमलों ने भी हीरे का कारोबार प्रभावित किया है। अप्रवासी भारतीय भी हीरा खरीदने के लिए मुंबई आने से परहेज कर रहे हैं। रत्न और आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद के गुजरात संयोजक चंद्रकांत संघवी कहते हैं कि हीरे का बाजार सिकुड़ने की कई वजहें हैं। इन में मंदी और आतंक भी हैं। उनकी राय में यदि विदेशी खरीदार एक बार मुंबई आ गए तो उनके दिमाग से आतंक का खौफ ही उतर जाएगा। (BS Hindi)

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