आयातकों को उम्मीद-शून्य हो जाएगा आयात शुल्क
दिलीप कुमार झा / मुंबई December 10, 2008
जैतून तेल के आयात को शुल्क मुक्त न करने का आदेश सुनाने के बाद अब वित्त मंत्रालय अपने फैसले की समीक्षा कर रहा है।
खबर है कि कस्टम विभाग ने इस दिशा में शुरुआती जांच पूरी कर ली है और रिपोर्ट को इस हफ्ते के शुरू में ही राजस्व विभाग को भेज दिया है। सूत्रों के मुताबिक, कस्टम विभाग ने जांच में पाया कि वैश्विक स्तर पर एक्सट्रा वर्जिन जैतून तेल का वर्गीकरण हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एचएस) कोड के धारा 1509 के तहत किया गया है। इधर 1 अप्रैल 2008 को जारी वित्त मंत्रालय की अधिसूचना में एचएस कोड-1509 के तहत आयातित चीजों को कच्चा तेल बताया है। ऐसे में जैतून तेल के आयात पर कोई शुल्क नहीं लगना चाहिए। इस मामले में कोई स्पष्ट व्यवस्था न हो पाने से राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) अप्रैल से इस तेल के आयात पर 7.5 फीसदी की दर से आयात शुल्क वसूल रहा है।अभी हाल में डीआरआई ने जैतून तेल आयातकों को सम्मन जारी कर कहा कि उन्हें 45 फीसदी की दर से आयात शुल्क देना होगा। ऐसे में बाकी बचे 37.5 फीसदी का भुगतान करने का आदेश आयातकों को दिया गया। निदेशालय के इस आदेश से आयातकों में जबरदस्त बेचैनी देखी गई। खाद्य अपमिश्रण रोकथाम नियम, 1995 में खुद सरकार ने परिभाषित किया है कि जैतून तेल वह है जो जैतून के फल से यांत्रिक और भौतिक तरीकों से प्राप्त होता है। इसमें यह भी कहा गया है कि बगैर शोधन के जैतून तेल का उपयोग कहीं ज्यादा बेहतर होता है। इस लिहाज से तो जैतून तेल कच्चे तेल के तहत ही आना चाहिए। इस तेल के बारे में बताया गया है कि यह तेल पीले-हरे रंग में होता है और इसका एक विशिष्ट गंध और स्वाद होता है। गंधहीन और स्वादहीन होने का मतलब है कि तेल में मिलावट है। डीआरआई के वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ए चौधरी ने बताया, ''इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला उल्लेखनीय है, जिसका कि फिलहाल पालन हो रहा है। इसी के मद्देनजर हमने आयातकों को बाकी बचे 37.5 फीसदी आयात शुल्क का भुगतान करने को कहा है। निदेशालय ने इस मामले में किसी भी अधिसूचना का कोई उल्लंघन नहीं किया है।'' इस बीच कारोबारी सूत्रों ने कहा कि कस्टम विभाग की जांच के बाद उम्मीद है कि कारोबारियों से वसूले गए शुल्क की वापसी हो जाएगी। भारतीय जैतून संघ के अध्यक्ष वी एन डालमिया ने कहा, ''हमें पूरी उम्मीद है कि अप्रैल से अब तक हमसे वसूला 7.5 फीसदी की दर से वसूला जा रहा आयात शुल्क हमें लौटा दिया जाएगा। उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार इस बारे में जल्द ही कोई अधिसूचना जारी करेगी।'' भारत अपनी कुल जरूरत का शत-प्रतिशत जैतून तेल आयात करता है। ज्यादातर आयात यूरोपीय देशों से किए जाते हैं। अब तो मध्यवर्ग भी धड़ल्ले से इस तेल का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसा इसलिए कि यह काफी स्वास्थ्यवर्द्धक होता है। इसे देखते हुए उद्योग का अनुमान है कि इस साल देश में जैतून तेल की खपत पिछले साल के 2,300 टन से बढ़कर 4,600 टन हो जाएगी। मालूम हो कि पिछले साल देश में जिन 2,300 टन का आयात हुआ, उनमें से 1,400 टन का इस्तेमाल खाने में और 900 टन का औद्योगिक इस्तेमाल होता है। पिछले साल तो खाने के लिए इसके इस्तेमाल में 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। मालूम हुई कि उससे पहले साल जैतून तेल का आयात महज 1,500 टन था। इनमें से 750 टन खाने में और 750 टन उद्योग में इस्तेमाल होता था। (BS Hindi)
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