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12 दिसंबर 2008

जीरे की नई फसल को तेज सर्दी के मौसम की दरकार

मौजूदा सर्दियों के सीजन में जीरे के प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात और राजस्थान में तापमान सामान्य से ज्यादा होने के कारण जीरे की फसल प्रभावित होने की आशंका है। दिसंबर महीने का प्रथम पखवाड़ा बीत चुका है लेकिन अभी तक अपेक्षित सर्दी शुरू नहीं हो पाई है। जानकारों के अनुसार इस समय जीरे की फसल को सर्दी की आवश्यकता है। अगर जल्दी ही सर्दी शुरू नहीं हुई तो फसल खराब होने की आशंका है। इससे जीरे के भावों में तेजी का रुख बन सकता है।ऊंझा मंडी के जीरा व्यापारी पंकज भाई पटेल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि इस समय जीरे की फसल को सर्दी की आवश्यकता है लेकिन उत्पादक राज्यों में मौसम गर्म है। आमतौर पर दिसंबर शुरू होते ही सर्दी बढ़नी शुरू हो जाती है लेकिन चालू वर्ष में दिसंबर महीने का पहला पखवाड़ा बीत चुका है। लेकिन अभी तक गुजरात और राजस्थान में दिन का तापमान सामान्य से ज्यादा है। उन्होंने बताया कि आगामी आठ-दस दिन में तामपान घटना शुरू नहीं हुआ तो फसल प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाएगी।इस समय ऊंझा मंडी में जीरे का स्टॉक पांच से छ: लाख बोरी (एक बोरी 55 किलो) का ही बचा हुआ है जबकि अन्य मंडियों का मिलाकर कुल स्टॉक 9 से 10 लाख बोरी का बचा हुआ है। बकाया स्टॉक को देखते हुए नई फसल तक ज्यादा तेजी की संभावना तो नहीं है। इस समय मंडी में जीरे की आवक 1500 से 1800 बोरियों की हो रही है जबकि घरेलू व निर्यातकों को मिलाकर प्रतिदिन चार से पांच हजार बोरी का व्यापार हो रहा है। मंडी में एनसीडीईएक्स क्वालिटी जीरे के भाव 11,000 रुपये और एवरेज क्वलिटी जीरे के भाव 10,000 रुपये प्रति क्विंटल बोले जा रहे हैं। राजस्थान की कोटा मंडी के जीरा व्यापारी कैलाश चंद गुप्ता ने बताया कि जीरा की नई फसल की आवक फरवरी के आखिर में बनेगी। उत्पादक मंडियों में बकाया स्टॉक को देखते हुए नई फसल आने तक जीरे में भारी तेजी की संभावना तो नहीं है। लेकिन निर्यातकों की अच्छी मांग को देखते हुए भावों में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आ सकता है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से अक्टूबर तक जीरे का निर्यात बढ़कर 26,000 टन हो गया है जोकि पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले ज्यादा है। पिछले वर्ष की समान अवधि में जीरे का निर्यात 14,985 टन का ही हुआ था। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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