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08 दिसंबर 2008

क्रूड पाम ऑयल में गिरावट का असर बिनौला तेल पर भी

गुजरात के साथ ही अन्य राज्यों की बिनौला तेल में मांग कमजोर है। क्रूड पाम तेल के भावों में आई भारी गिरावट से भी बिनौला तेल में मंदे का रुख बना हुआ है। पिछले दस-बारह दिनों में इसके भावों में 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। सप्ताह के आखिर में पंजाब की मंडियों में इसके भाव 4000 से 4050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। जानकारों के अनुसार आयातित तेलों के भाव में अभी सुधार की संभावना न के बराबर है इसलिए बिनौला तेल के मौजूदा भावों में और भी गिरावट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। पंजाब की मानसा मंडी के बिनौला तेल मिल मालिक संजीव गर्ग ने बिजनेस भास्कर को बताया कि नवंबर के आखिर में गुजरात लाईन की मांग निकलने से बिनौला तेल के भाव बढ़कर 4200 से 4250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे। नवंबर महीने में गुजरात लाईन की मांग तो घटी ही है, साथ ही, वनस्पति मिलों की मांग भी घटने से चालू माह में अभी तक इसके भावों में 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) बिनौले की बिक्री 1330 से 1340 रुपये और मिलों द्वारा बिनौले की बिकवाली 1310 से 1315 रुपये प्रति क्विंटल पर की जा रही है जबकि मिलों में बिनौला खल के भाव 1100 से 1115 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि कपास के भाव ऊंचे होने और बिनौला तेल तथा खल में मांग कमजोर होने से मिलों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सीसीआई द्वारा ऊंचे भावों पर कपास की खरीद की जा रही है तथा सीसीआई द्वारा रिजैक्ट की हुई कपास की खरीद ही मिलें कर रही हैं।मुक्तसर कॉटन प्राइवेट लिमिटेड के मालिक नवीन ग्रोवर ने बताया कि चालू वर्ष के जून से अभी तक क्रुड पाम तेल (सीपीओ) के भावों में करीब 3000 रुपये प्रति क्विंटल की भारी गिरावट आ चुकी है। जून में क्रुड पाम तेल के भाव 5800 रुपये प्रति क्विंटल थे जबकि वर्तमान में इसके भाव घटकर 2800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। इसलिए, वनस्पति निर्माता बिनौला के मुकाबले क्रुड पाम तेल का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं जिसकी वजह से इसके भावों में भारी गिरावट बनी हुई है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष देश में कपास का उत्पादन 315 लाख गांठ का हुआ था तथा चालू वर्ष में कपास का उत्पादन बढ़कर 320 लाख गांठ होने की संभावना है। इन हालातों में बिनौले का उत्पादन बढ़ने से बिनौला तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।उन्होंने बताया कि चालू सीजन में देश में बिनौला तेल का उत्पादन बढ़कर 8 से 9 लाख टन होने की उम्मीद है। कपास में 62 से 65 प्रतिशत बिनौला होता है। बिनौले का पशुआहार में उपयोग मात्र 20 से 25 फीसदी ही होता है तथा शेष का तेल निकाला जाता है। देश में बिनौला तेल की सबसे ज्यादा खपत गुजरात राज्य में होती है। (Business Bhaskar.........R S Rana)

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