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08 दिसंबर 2008

काली मिर्च बेचें, सरसों की करें खरीदारी

घट सकता है काली मिर्च उत्पादनकाली मिर्च के फरवरी वायदा महीने में निवेशकों को इन भावों पर बिकवाली करनी चाहिए। काली मिर्च में इस समय स्टॉकिस्टों द्वारा पुराने माल की बिकवाली की जा रही है। चालू वर्ष में देश में इसके उत्पादन में तो पिछले वर्ष के मुकाबले कुछ कमी आने की संभावना है। चालू वर्ष में काली मिर्च का उत्पादन 45 हजार टन होने के आसार हैं जबकि पिछले वर्ष देश में इसका उत्पादन 50 हजार टन का हुआ था। विश्व बाजारों में छाई मंदी की वजह से चालू वित्त वर्ष में काली मिर्च के निर्यात में कमी आई है। जनवरी के आखिर में उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी। फरवरी महीने में आवकों का दबाव बनने से काली मिर्च के मौजूदा भावों में गिरावट बन सकती है।करें जीरे में खरीदारी जीरे में जनवरी महीने के वायदा में निवेशकों को घटे भावों में खरीददारी करके चलना चाहिए। जीरे के प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात और राजस्थान में इसकी बुवाई का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। जानकारों के अनुसार, उत्तरी गुजरात और राजस्थान में बुवाई क्षेत्रफल में कमी आई है। वर्तमान में स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आ रही है जबकि घरेलू के साथ-साथ निर्यातकों की अच्छी मांग देखी जा रही है। मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से अक्टूबर तक जीरे का निर्यात बढ़कर 26,000 टन का हो चुका है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात मात्र 14,985 टन का ही हुआ था।केस्टरसीड का उत्पादन बढ़ेगाकेस्टरसीड जनवरी वायदा में निवेशकों को मौजूदा स्तरों पर बिकवाली करना चाहिए। चालू सीजन में केस्टरसीड का उत्पादन पिछले वर्ष के 9.1 लाख टन से बढ़कर 10.7 लाख टन होने की संभावना है। उत्पादन में तो बढ़ोतरी होगी ही, साथ में, विश्व बाजार में छाई मंदी से केस्टर तेल की मांग कमजोर रहने की उम्मीद है। जानकारों का मानना है कि चालू सीजन में केस्टर तेल की कुल उपलब्धता चार लाख टन से ज्यादा की रह सकती है। केस्टर तेल की घरेलू खपत सालाना 50 हजार टन की होती है। केस्टर तेल का भारत से सबसे ज्यादा निर्यात चीन और यूरोप में होता है। चीन के साथ ही यूरोप की मांग भी इस बार कमजोर रहने से भविष्य में केस्टर तेल के मौजूदा भावों में गिरावट की संभावना है।सरसों का स्टॉक कमसरसों में भी जनवरी महीने के वायदा में निवेशकों को घटे भावों में खरीदारी करके ही चलना चाहिए। वर्तमान में उत्पादक मंडियों में सरसों का बकाया स्टॉक कम है। नई फसल की आवक बनने में अभी ढाई महीने का समय बकाया है। उत्पादक राज्यों में नई फसल की आवक फरवरी के आखिर में ही बनने की उम्मीद है। हालांकि अनुकूल मौसम और बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए चालू फसल सीजन में देश में सरसों के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।चने में कर सकते हैं बिकवालीचने के वर्तमान भावों पर निवेशक वायदा बाजार में बिकवाली करके चल सकते हैं। चने का स्टॉक मध्य प्रदेश और राजस्थान की मंडियों में अच्छा-खासा बचा हुआ है। आयातक लगातार भाव घटाकर बिकवाली कर रहे हैं। आस्ट्रेलियाई चने के भाव मुंबई पहुंच (दिसंबर-जनवरी शिपमेंट) 2,000 रुपये प्रति क्विंटल बोले जा रहे हैं। जनवरी महीने में कर्नाटक की मंडियों में नये चने की आवक शुरू हो जाएगी। उधर, फरवरी में महाराष्ट्र में नए चने की आवक बनने की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय की जारी रिपोर्ट के अनुसार चालू रबी सीजन में अभी तक चने की बुवाई बढ़कर 71.06 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 9.81 लाख हैक्टेयर अधिक है। परिणामस्वरूप, चालू सीजन में चने के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए फरवरी महीने में चने के भावों में अच्छी-खासी गिरावट आ सकती है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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