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09 दिसंबर 2008

कपास किसानों के हिस्से निराशा!

नई दिल्ली December 08, 2008
कपास उत्पादकों के लिए अच्छी खबर नहीं है। पिछले साल के मुकाबले कपास के उत्पादन में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है तो टेक्सटाइल के निर्यात में गिरावट आ चुकी है।
इससे टेक्सटाइल के उत्पादन पर भी असर पड़ने लगा है। ऐसे में कपास की मांग में भारी कमी का अनुमान है। दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमत घरेलू कीमत से 20 फीसदी तक कम बतायी जा रही है। ऐसे में कपास उत्पादक निर्यात भी नहीं कर सकते है। वर्ष 2007-08 के दौरान भारत में कपास का उत्पादन 310 लाख बेल (1 बेल =170 किलोग्राम) रहा। वर्ष 20008-09 के दौरान इस बात का अनुमान है कि यह उत्पादन 320 लाख बेल से भी अधिक रहेगा। इस साल कपास उत्पादन के लिए देश के अधिकतर राज्यों में बीटी कॉटन बीज का 80 फीसदी तक इस्तेमाल किया गया। इस कारण सभी राज्यों से कपास के उत्पादन में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। दूसरी तरफ कनफेडरेशन ऑफ टेक्सटाइल इंडस्ट्री के मुताबिक गत अक्टूबर एवं नवंबर महीनों के दौरान टेक्सटाइल निर्यात में 10 फीसदी तक की कमी आ चुकी है। इसका सीधा असर टेक्सटाइल के उत्पादन पर पड़ा है और अनुमान है कि टेक्सटाइल उत्पादन गत दो महीनों में 5 फीसदी तक कम हो चुका है।यही वजह है कि टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े 12 लाख लोगों की नौकरी जाने की आशंका है। कनफेडरेशन के मुताबिक टेक्सटाइल से जुड़े 7 लाख लोगों की नौकरी जा चुकी है और आने वाले समय में 5 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। कनफेडरेशन के पदाधिकारी डीके नायर कहते हैं, ऐसे में निश्चित रूप से कपास उत्पादकों को भी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर दी है इस कारण छोटे मिल मालिक कपास की खरीदारी करने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की थी कि छोटी मिलों के लिए पूंजी की व्यवस्था की जाए ताकि वे कपास की खरीदारी कर सके। लेकिन सरकार ने इस मांग पर ध्यान नहीं दिया। दूसरी तरफ चीन का टेक्सटाइल बाजार भी मंदी की चपेट में है इस कारण भारतीय कपास की खपत वहां भी होती नजर नहीं आ रही है। चीन कपास उत्पादन में विश्व में अव्वल है और पिछले साल (2007-08) के दौरान चीन में 450 लाख बेल कपास का उत्पादन हुआ था। हालांकि गत जुलाई-अगस्त के दौरान चीन भारत के कपास की खरीद के लिए वायदा बाजार में जमकर निवेश कर रहा था। लेकिन वैश्विक मंदी के कारण कपास की यह तेजी समाप्त हो गयी।जानकारों के मुताबिक विदेशी बाजार में कपास के भाव घरेलू बाजार से कम है इसलिए उन बाजारों में भी कपास के निर्यात की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। (BS Hindi)

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