December 16, 2008
देर तक मानसूनी बारिश होने के कारण महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के खेतों में नमी की अधिकता की वजह से इस साल हल्दी का उत्पादन 12 से 15 प्रतिशत घटने की संभावना है।
कुल उत्पादन इस साल घट कर 42 लाख बैग (एक बैग=80 किलोग्राम) हो सकता है जबकि पिछले साल 48 लाख बैग का उत्पादन हुआ था। पिछले छह-सात सालों से हल्दी की सालाना खपत 50 लाख बैगों की रही है।इस वर्ष उत्पादन में कमी की संभावना को देखते हुए सांगली स्थित श्री हलद व्यापारी एसोसिएशन के सचिव शरद शाह का अनुमान है कि इस औषधीय मसाले की कीमतों में जनवरी से पहले 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। जनवरी में उत्पादन का वास्तविक आकलन कारोबारियों को पता चल पाएगा। पिछले साल बचा हुआ स्टॉक भी 13 लाख बैग का था जो इस साल सीजन के अंत तक घट कर छह से सात लाख होने का अनुमान है। भारत तीन से चार लाख बैगों का निर्यात औषधीय इस्तेमाल के लिए करता है।भारत में हल्दी की बुआई जून के आस पास की जाती है और इसकी कटाई जनवरी मध्य में शुरू हो जाती है। शाह के अनुसार, 'देर तक हुई बारिश के कारण खेतों में नमी अधिक थी। इस वजह से फसल को नुकसान पहुंचा है।' खेतों में नमी की मात्रा फसल की जरूरतों की तुलना में काफी अधिक थी। परिणामस्वरूप, कीचड़ में फंसे बीजों में पूरी तरह अंकुन नहीं हो पाया और इससे पैदावार प्रभावित होगी। इस साल मॉनसून लगभग एक महीने देर से आया और अक्टूबर की शुरुआत तक बना रहा।यह अवधि हल्दी जैसी फसल के अंकुरन का चरम समय होता है। उस समय अधिक बारिश के कारण किसानों के अधिक पैदावार के सपनों पर पानी फिर गया।निजामाबाद के एक कारोबारी केतन शाह का नजरिया इससे अलग है। उन्होंने कहा कि इस साल देश में हल्दी का उत्पादन 10 प्रतिशत बढ़ेगा। लेकिन, उत्पादन की सही तस्वीर एक महीने बाद ही जानी जा सकेगी जब 15 जनवरी से नई फसल की आवक निजामाबाद में शुरू हो जाएगी। हालांकि, यहां उत्पादन में 20 प्रतिशत घट कर 10.5 बैग होने की संभावना है क्योंकि किसानों ने हल्दी की जगह सोयाबीन की खेती का रुख किया है। (BS Hindi)
17 दिसंबर 2008
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