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08 दिसंबर 2008

धन की तंगी से वैश्विक कमोडिटी बाजार है बेहाल

दुनिया भर में छाई धन तंगी का असर कमोडिटी बाजारों पर भी दिख रहा है। इस क्रम में वैव्श्रिक बाजारों में कई जिंसों की कीमतों में 60 फीसदी से ज्यादा तक की गिरावट आ चुकी है। मांग में कमी, कई कृषि जिंसों के उत्पादन में इजाफा और डॉलर में आई मजबूती की वजह से जुलाई के बाद से शुरू गिरावट आगे भी जारी रहने की संभावना जताई जा रही है। इस दौरान वैव्श्रिक बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल के भाव में करीब 62 फीसदी से ज्यादा की गिरावट हो चुकी है। पिछले सप्ताह यह 40.80 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार किया। जो पिछले चार सालों का न्यूनतम स्तर है। इस साल 12 जुलाई को न्यूयार्क मर्केटाईल एक्सचेंज में कच्चा तेल 147 डॉलर के उच्च स्तर पर कारोबार किया था। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिव्हेटिव एक्सचेंज के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वैव्श्रिक स्तर पर जारी आर्थिक संकट की वजह औद्योगिक विकास की रफ्तार में कमी आई है। जिसका असर जिंसों की मांग पर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि भारत में प्रति वर्ष करीब 12.3 करोड़ टन क्रूड तेल का आयात होता है। जो पूर घरलू खपत का करीब 75 फीसदी हिस्स है। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान अमेरिका जैसे विकासित देशों में मांग घटने और स्टॉक बढ़ने की वजह से क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। वहीं यूरो और येन के मुकाबले डॉलर में आई मजबुती की वजह से उद्यागों का उत्पादन लागत बढ़ा है। जबकि बाजारों में उत्पादों की मांग में कमी आई है। अब तक जो निवेशक महंगाईसे बचने के लिए कमोडिटी में हेंजिंग कर रहे थे। वहां भी रुझान में मी देखी जा रही है। लगातार गिरती कीमतों की वजह से निवेश में भी कमी आई है। इस क्रम में धातुओं की कीमतों में करीब 56 फीसदी की कमी आई है। मांग कम होने की वजह से सबसे ज्यादा गिरावट कॉपर में देखी जा रही है। चार महीने पहले लंदन मेटल एक्सचेंज में कॉपर का भाव करीब 8,414 डॉलर प्रति टन था। जो मौजूदा समय में करीब 3,717 डॉलर प्रति टन पर आ गया है। वहीं एलएमई में स्टील बिल्लेट के भाव में 50 फीसदी से ज्यादा तक की गिरावट हो चुकी है। करीब 980 डॉलर प्रति टन के उच्च स्तर पर कारोबार करने के बाद इस्पात का मौजूदा भाव 300 डॉलर प्रति टन रह गया है। भारत सहित कई देशों में इसके उत्पादन में कटौती जारी है।इस दौरान एलएमई में टिन के भाव जुलाई के 2200 डॉलर प्रति टन से गिरकर पिछले सप्ताह करीब 1,200 डॉलर प्रति टन पर कारोबार किया। जानकारों का मानना है कि वैव्श्रिक स्तर पर आर्थिक विकास की रफ्तार में आई कमी की वजह से धातुओं की मांग में कमी देखी जा रही है। चीन में, जहां पर हर साल भारी मात्रा में धातुओं की मांग रहती थी। इस साल यहां पर इंफ्रास्टक्चर क्षेत्र में मांग काफी घटी है। कृषि जिंसों की बात करें, तो वैव्श्रिक बाजारों में पाम तेल के भाव करीब 60 फीसदी तक घट चुके हैं। बुर्सा मलेशिया डेरिव्हेटिव में क्रूड पाम तेल इस साल मार्च में 4350 रिंगिट प्रति टन के बाद पिछले सप्ताह करीब 1,600 रिंगिट प्रति टन पर कारोबार किया है। चालू साल के दौरान दुनिया भर के बाजारों में गेहूं की कीमतों में करीब 30 फीसदी की गिरावट होने से यह जुलाई के 328.2 डॉलर प्रति टन से गिरकर 226.8 डॉलर प्रति टन पर आ गया है। थाईलैंड में चावल का भाव करीब 38 फीसदी गिरकर 163.8 डॉलर प्रति टन पर आ गया है। चालू सीजन के दौरान दुनिया भर में गेहूं, चावल और तिलहनों के उत्पादन में इजाफा होने की संभावना जताई जरा रही है। लिहाजा आने वाले दिनों में जिंसों क कीमतों में और गिरावट देखी जा सकती है। (Business Bhaskar)

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