नई दिल्ली December 10, 2008
मौजूदा साल भले ही वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव, आर्थिक मंदी और नाटकीय बदलावों का रहा हो, पर वायदा बाजार आयोग को उम्मीद है कि साल 2009 कृषि जिंसों के कारोबार के लिहाज से काफी बेहतर रहेगा।
वायदा बाजार आयोग के मुताबिक, अगला साल भारतीय कृषि जिंसों के लिए बेहतर वर्ष साबित होने जा रहा है। आयोग के अध्यक्ष बी सी खटुआ ने बताया, ''हमें जिंस बाजार में इस साल नाटकीय परिवर्तन देखने को मिला है और कृषि जिंसों का प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहा है। लेकिन मेरा मानना है कि अगले साल उनमें बेहतर कारोबार होगा।'' उन्होंने कहा कि आगामी साल कृषि जिंसों के लिए बेहतर होगा क्योंकि चना, आलू, सोया तेल और रबर जैसे प्रतिबंधित जिंसों का कारोबार अब दोबारा शुरू कर दिया गया है।खटुआ ने कहा कि एक्सचेंज में कृषि जिंसों का कुल आकार इस साल 30 प्रतिशत घटा है। 2008 में देश का जिंस बाजार वैश्विक जिंस बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुरूप ही उतरता-चढ़ता रहा है। खटुआ ने कहा कि धातुओं, सर्राफा और ऊर्जा की कीमतें और आकार वैश्विक बाजार में हुए उतार-चढ़ाव के बाद बढ़ा, जबकि चना, आलू, सोया तेल और रबर पर प्रतिबंध के चलते कृषि जिंसों के कारोबारी आकार में 30 प्रतिशत की कमी आई। इन जिंसो पर से प्रतिबंध सात महीने बाद दिसंबर की शुरुआत में हटा लिया गया था।मालूम हो कि सरकार ने मई में चार जिंसों में वायदा कारोबार को वामपंथी दलों के दवाब में हटाया था। वामपंथी दलों ने कीमतों में तेजी के लिए मूल्य वृध्दि को जिम्मेदार ठहराया था। सरकार ने इस प्रतिबंध को 30 नवंबर के बाद नहीं बढ़ाया, लिहाजा यह अपने आप खत्म हो गया। हालांकि अब भी चावल, गेहूं, तुअर और अरहर के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध पहले की तरह ही लगा है। इन पर 2007 के आरंभ में ही रोक लगा दिया गया था। देश में अधिकांश जिंसों की कीमतें साल की शुरुआत में कमजोर रही हैं, लेकिन मार्च के बाद इनमें तेजी आई। (BS Hindi)
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