25 फ़रवरी 2011
भविष्य का सोना बनती जा रही है चांदी
पिछले पांच साल के दौरान चांदी ने निवेशकों को 240 फीसदी रिटर्न दिया है। भारतीय समाज में इसकी मांग लगातार बढ़ रही और आगे निवेश माध्यम के तौर पर भी इसकी चमक बरकरार रहेगी। क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पिछले पांच साल में निवेशकों को 240 फीसदी का निवेश किस चीज ने दिया होगा? सोने, इक्विटी, म्यूचुअल फंड या क्रूड ने। इस पर ज्यादा अनुमान लगाने की जरूरत है। चांदी इन पांच सालों में 240 फीसदी का जबरदस्त रिटर्न दिया है। वह धातु जिसका उपभोग या इस्तेमाल सोने जैसी धातु के सस्ते विकल्प के तौर पर किया जाता है। दिल्ली के बाजारों में मंगलवार को चांदी ने प्रति किलो 50,000 रुपये के स्तर को छू लिया। चांदी में इस तेजी की कई वजहें हैं। पहली बात तो यह कि दुनिया भर में शेयर बाजारों में उथलपुथल से सोना और चांदी निवेश के ज्यादा सुरक्षित विकल्प हो गए हैं। लंबी अवधि के निवेश के तौर पर लोग अब सोने और चांदी को पसंद कर रहे हैं। चांदी इसलिए भी कि यह सोना की तुलना में काफी सस्ता है। दस ग्राम सोना की कीमत इस समय दिल्ली के बाजार में 21,240 रुपये है लेकिन 50,000 रुपये में एक किलो चांदी खरीदी जा सकती है। सवाल यह है कि क्या चांदी की कीमतों में और इजाफा होगा। क्या निवेशकों को इस मूल्य पर भी इसमें निवेश करना चाहिए। क्या निकट भविष्य में इसमें गिरावट की आशंका है? क्या चांदी आगे भी इतना ही शानदार रिटर्न देती रहेगी? जहां तक भारत का सवाल है तो यहां चांदी की मांग बने रहने की पूरी संभावना है। देश में कई उद्योगों में निर्माण प्रक्रिया के दौरान चांदी का इस्तेमाल होता है। ऑटो, फार्मास्यूटिकल्स और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में चांदी का इस्तेमाल होता है। ऑटो इंडस्ट्री लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है। फार्मास्यूटिकल्स (खास कर आयुर्वेदिक दवा का बाजार भी बढ़ रहा है) और सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में काफी तरक्की हो रही है। सोलर पैनलों में चांदी का काफी इस्तेमाल है। इनकी मांग बढऩे से भी चांदी की कीमत बढ़ रही है। इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढऩे के साथ ही लोगों की आय में इजाफा हो रहा है और समाज में आभूषणों समेत चांदी के दूसरे सजावटी और लग्जरी चीजों की मांग बढ़ रही है। चांदी की मूर्तियां, शो-पीस और आभूषणों की मांग में इजाफा हो रहा है। ऐसे में घरेलू बाजार में चांदी की कीमत में आने वाले दिनों में बहुत ज्यादा गिरावट के आसार कम ही हैं। इसलिए निवेश की दृष्टि से चांदी की अहमियत बनी रहेगी। खास कर रिटर्न देने के मामले में जब यह सोना से भी आगे निकल चुकी है तो फिर अहमियत तो बनी ही रहनी है। अगर ईटीएफ के जरिये भी चांदी में निवेश का विकल्प दिया जाए तो इसकी भी लोकप्रियता काफी बढ़ जाएगी। अर्थव्यवस्था में जब भी अनिश्चितता का माहौल होता और इक्विटी बाजार में अच्छा रिटर्न नहीं दे रहा है तो लोग सोना और चांदी जैसी महंगी धातुओं में निवेश करते हैं। निवेश पर महंगाई के असर को कम करने और दीर्घकालीन रिटर्न देने की इनकी क्षमता की वजह से निवेशक इस ओर आकर्षित होते हैं। अब चांदी ने पिछले कुछ साल में निवेशकों को जिस तरह का बेहतरीन रिटर्न मुहैया कराया है, उसमें इसकी मांग में इजाफे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए चांदी भविष्य का सोना बनती जा रही है। (Business Bhaskar)
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