हैदराबाद February 22, 2011
ऊंची उत्पादन लागत की वजह से आंध्र प्रदेश में बीटी कपास के बीज का उत्पादन 30 से 35 फीसदी घट गया है। नैशनल सीड्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनएसएआई) के मुताबिक, इसके परिणामस्वरूप एक ओर जहां राज्य में सालाना करीब 4.50 करोड़ पैकेट कपास के बीज की मांग है, वहीं उत्पादकों ने इस साल सिर्फ 3.5 करोड़ पैकेट बीज की ही आपूर्ति की है। एनएसएआई के सदस्य और विभा एग्रोटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विद्यासागर राव ने कहा - उत्पादन लागत में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है, लेकिन सरकार ने पिछले साल कीमतें बढ़ाने से इनकार कर दिया था। हम एक बार फिर प्रदेश के मुख्य मंत्री से संपर्क करेंगे और इस मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे।इंडियन सीड्स कांग्रेस 2011 के बाद बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में राव ने कहा कि एसोसिएशन महाराष्ट्र व गुजरात सरकार से भी इस मुद्दे का अध्ययन करने को कहेगा और इसके मुताबिक बीटी कपास के बीज की कीमतें बढ़ाने की मांग करेगा। फरवरी 2010 में एनएसएआई ने आंध्र प्रदेश सरकार से संपर्क कर बीटी कपास के बीज की कीमत 30 फीसदी बढ़ाने की मांग की थी। हालांकि राज्य सरकार ने आदेश जारी कर कीमत नहीं बढ़ाने को कहा था। मौजूदा समय में बीटी कपास के बीज की कीमत 650 से 750 रुपये प्रति पैकेट है। एनएसएआई ने इसे बढ़ाकर 850 से 1050 रुपये करने की मांग की है। राव ने कहा कि उर्वरक, कीटनाशक व मजदूरी समेत कृषि की लागत में साल 2006 से अब तक 31 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है, वहीं बीटी कपास के बीज की कीमत साल 2006 के 925 रुपये प्रति पैकेट से घटकर 750 रुपये प्रति पैकेट पर आ गई है यानी इसमें 16 फीसदी की कमी आई है। आंध्र प्रदेश में देश के कुल बीज उत्पादन का 75 फीसदी होता है और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 25 लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराता है। बीज उद्योग करीब 7000 करोड़ रुपये का है और इसमें बीटी कपास के बीज का बाजार 2000 करोड़ रुपये का है। (BS Hindi)
23 फ़रवरी 2011
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