नई दिल्ली February 20, 2011
भारत को बर्ड फ्लू से अपने आपको मुक्त घोषित किए हुए महज 8 महीने बीते हैं कि यह एक बार फिर त्रिपुरा में दिख गया है। जून 2010 में भारत ने अपने आपको बर्ड फ्लू से मुक्त घोषित किया था। अगरतला के आर. के. नगर फार्म हाउस से पोल्ट्री के नमूने की जांच में एच5 वायरस की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही पशुपालन विभाग ने एक बार फिर बर्ड फ्लू के प्रसार को अधिसूचित कर दिया है।पोल्ट्री के नमूने की जांच भोपाल व कोलकाता की प्रयोगशालाओं में हुई। दोनों ही प्रयोगशालाओं ने इसमें एच5 वायरस की मौजूदगी की पुष्टि की है। बर्ड फ्लू के वायरस एच5एन1 साल 2004 से ही देश में फैलता नजर आ रहा है और इस तरह से पोल्ट्री उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। पहली बार बर्ड फ्लू के प्रसार के बाद उपभोक्ताओं के बीच घबराहट फैल गई थी क्योंकि इस वायरस का प्रसार आसानी से पक्षियों से मानव को हो सकता है। इस वजह से पोल्ट्री उत्पादों की खपत व निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। पोल्ट्री उद्योग तब करीब 30 हजार करोड़ रुपये का था और इस वजह से उद्योग को भारी क्षति हुई थी। उपभोक्ताओं को यह समझाने में कई साल लग गए कि पके हुए पोल्ट्री उत्पाद का सेवन सुरक्षित है।पिछली बार जनवरी 2010 में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बर्ड फ्लू का प्रसार हुआ था और तब इसका केंद्र खरगांव ब्लॉक था। हालांकि उस इलाके में इसे सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया गया और मार्च 2010 तक इलाके के सभी पक्षियों की हत्या कर इलाके को बर्ड फ्लू से मुक्त कर दिया गया। 2 जून 2010 को यह इलाका बर्ड फ्लू से पूरी तरह मुक्त घोषित हुआ ताकि घरेलू व निर्यात बाजार में इस उत्पाद की बिक्री पर कोई विपरीत असर न पड़े।त्रिपुरा में बर्ड फ्लू के प्रसार पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए सरकार ने आर. के. नगर के सरकारी फार्म में मौजूद सभी पक्षियों व अंडों को नष्ट करने का आदेश दिया है। इसके अलावा 3 किलोमीटर के दायरे में मौजूद पक्षियों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करने का आदेश दिया गया है। साथ ही 10 किलोमीटर के दायरे में निगरानी रखने को कहा गया है ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके।इसके अलावा केंद्र ने राज्य के पशुपालन व जन स्वास्थ्य विभाग को इस इलाके में अन्य रणनीतिक कदम उठाने की भी सलाह दी है। इन कदमों में पोल्ट्री व इसके उत्पादों की प्रभावित इलाकों में आवाजाही पर प्रतिबंध और 10 किलोमीटर के दायरे में पोल्ट्री व अंडे की दुकानों को बंद करना शामिल है। साथ ही यह भी कहा गया है कि संक्रमण वाले इलाकों में लोगों की आवाजाही रोकने के लिए फार्म के कर्मचारी कदम उठाएं।पोल्ट्री विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत को लगातार एच5एन1 के खतरे का इसलिए सामना करना पड़ता है क्योंकि कुछ पड़ोसी देशों में यह वायरस मौजूद है। प्रवासी व जंगली पक्षियों के जरिए लंबी दूरी से भी इस वायरस का आगमन हो सकता है। उत्तर-पूर्वी राज्यों पर विशेष तौर पर इसलिए भी एच5एन1 का खतरा है क्योंकि इस वायरस के संक्रमण का खतरा उत्तर-पूर्वी एशियाई क्षेत्रों में है। (BS Hindi)
21 फ़रवरी 2011
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