मुंबई February 03, 2011
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास के आसमान छूते भाव और घरेलू कपड़ा मिलों की ओर से इसकी बढ़ती मांग की वजह से घरेलू बाजार में भी कपास के दाम पिछले एक माह के दौरान तकरीबन 23 फीसदी तक बढ़े हैं। कपास के वायदा सौदों में लगातर लग रहा अपर सर्किट मांग को और हवा दे रहा है। मांग और आपूर्ति के गणित को देखते हुए माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक कपास की कीमतों में अभी और 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। देश के अंदर उत्पादन अधिक होने के बावजूद कपास की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं। इसकी प्रमुख वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की ऊंची कीमत है। कपास की उन्नत किस्म शंकर-6 की कीमत बढ़कर 49,700-50,000 रुपये प्रति कैंडी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है जबकि 3 जनवरी को शंकर 6 कपास के दाम 40,500-40,600 रुपये प्रति कैंडी थे। हाजिर बाजार के साथ-साथ वायदा कारोबार में भी कपास सौदों में हर दिन नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स के कपास अनुबंधों पर लगतार अपर सर्किट लग रहा है। एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स पर कपास के अप्रैल अनुबंध में गुरुवार को अपर सर्किट लग गया। एमसीएक्स पर कपास का अप्रैल कांट्रैक्ट चल रहा है। नए साल यानी 2011 के पहले दिन इसका भाव 752.50 रुपये प्रति 20 किलोग्राम था जो 3 फरवरी को 1031.40 रुपये पर पहुंच गया। जबकि एनसीडीएक्स पर अप्रैल अनुबंद 1032.10 रुपये तक पहुंच गया वहीं 3 जनवरी को इस अनुबंध पर 748 रुपये के हिसाब से सौद हो रहे थे। एमसीएक्स के प्रवक्ता के मुताबिक एक्सचेंज पर कपास का कारोबार 53.10 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है जो कि एक दिन का रिकॉर्ड कारोबार है। कारोबारियों ने यहां 2453 सौदों में 10,828 टन के सौदे पक्के किए। उन्होंने कहा कि आज कपास एक महत्वपूर्ण जिंस बन गया है। खुदरा ग्राहकों ने भी इसमें रुचि लेना आरंभ किया है। इस जिंस में तरलता पर्याप्त है। कोई भी बड़े ट्रेडर इसमें सौदा कर सकते हैं। एनसीडीईएक्स पर कपास के चल रहे तीनों अनुबंधों (फरवरी, मार्च और अप्रैल) पर जोरदार सौदे हो रहे हैं। कुल कीमत की हिसाब से कपास वायदा अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ चुका है।एंजेल ब्रोकिंग के वेदिका नार्वेकर कहना है कि बाढ़ के कारण पाकिस्तान, चीन और आस्टे्रलिया में कपास की फसल को नुकसान हुआ है जिसके वजह से वैश्विक स्तर पर कपास का उत्पादन इस साल कम रहने वाला है। आज कल अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कपास की जबरदस्त मांग है, जबकि माल की आवक काफी कम है। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं और इसका असर घरेलू बाजार पर भी पड़ रहा है। कारोबारियों को लग रहा है कि आने वाले महीनों में कीमतें और?बढ़ेंगी जिसकी वजह से कपास कारोबारी जमकर इसकी खरीदारी कर रहे हैं। ऐसे में बाजार में लगातार तेजी बनी हुई है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के किशोरीलाल झुनझुनवाला कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास के दाम अभी भी तकरीबन 20 फीसदी अधिक हैं। घरेलू बाजार भी अंतरराष्टï्रीय बाजार के पीछे-पीछे चल रहा है। फिलहाल नहीं होंगे दाम कम कारोबारियों के अनुसार वैश्विक हालातों को देखते हुए एक बात तो तय है कि कपास की कीमतें फिलहाल कम होने वाली नहीं हैं। सरकारी अनुमान के अनुसार चालू कपास वर्ष के दौरान देश में 339 लाख गांठ कपास का उत्पादन होना है जबकि कॉटन एडवाइजरी बोर्ड 329 लाख गांठ कपास उत्पादन होने का अनुमान लगा रहा है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि घरेलू मिलों की सालाना खपत करीब 275 लाख गांठ है और 55 लाख गांठ का निर्यात किया जा चुका है। यानी कुल मिलाकर 330 लाख गांठ की खपत सीधे तौर पर दिखाई दे रही है जो उत्पादन के लगभग बराबर ही है। ऐसा महौल सटोरियों के लिए बहुत सही होता है जिसकी वजह से इस साल कपास की कीमतें कम नहीं होने वाली है। (BS Hindi)
04 फ़रवरी 2011
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