मुंबई January 31, 2011
चीनी के हाजिर कारोबारियों में इस बात को लेकर भारी नाराजगी है कि उन्हें चीनी के वायदा कारोबारियों की तरही सहूलियत नहीं मिलती है। अपनी इसी मांग को लेकर हाजिर कारोबारी अगले कुछ दिनों में अदालत का दरवाजा भी खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि चीनी के हाजिर और वायदा कारोबार के मानकों में भारी असामनता है। इसे खत्म किया जाना चाहिए। हाजिर कारोबारियों के मुताबिक लाइसेंस की अनिवार्यता से लेकर स्टॉक सीमा को लेकर बड़ा अंतर है। एक ओर जहां हाजिर कारोबारियों के लिए चीनी की स्टॉक सीमा 200 टन है वहीं वायदा कारोबारियों के लिए एक माह के अनुबंध के लिए स्टॉक सीमा 8,000 टन जबकि संचयी आधार पर यह सीमा 20,000 टन तक है। यानी जिंस एक्सचेंज में कोई भी वायदा कारोबारी 20,000 टन चीनी का सौदा कर सकता है जबकि किसी भी हाजिर कारोबारी के लिए 200 टन से ज्यादा चीनी के सौदे पर प्रतिबंध है। इसके अलावा हाजिर बाजार में चीनी का कारोबार करने के लिए किसी भी व्यक्ति को लाइसेंस लेने की अनिवार्यता है वहीं वायदा बाजार में कारोबारियों को किसी भी प्रकार के लाइसेंस की अनिवार्यता से दूर रखा गया है। चीनी के हाजिर कारोबारी भी वायदा कारोबार जितनी सहूलियत चाहते हैं। इस असामनता को दूर करने के लिए उन्होंने प्रयास भी शुरू कर दिया है। हाल ही में पुणे में आयोजित एक बैठक में हाजिर कारोबारियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। इसके लिए बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की संभावना तलाशी जा रही है। सूत्रों ने बताया कि अगले दो दिनों में याचिका दायर करने को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है। हाजिर कारोबारियों को वायदा बाजार में व्याप्त अस्थिरता को लेकर भी भारी चिंता है। वायदा बाजार के चलते चीनी के दामों में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि चीनी वायदा कारोबार पर करीब डेढ़ साल की पाबंदी के बाद सरकार ने 26 दिसंबर से इसे दोबारा शुरू करने की अनुमति दे दी थी। महाराष्टï्र शुगर ब्रोकर्स ऐंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष योगेश पांडे ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'कोई भी कारोबारी जो जिंस एक्सचेंज में चीनी सौदा करने का इरादा रखता है उन्हें 200 टन से ज्यादा चीनी की आपूर्ति या निकासी की अनुमति नहीं है। वायदा कारोबार में लगे लोगों के लिए यह ऊपरी सीमा है।Ó उन्होंने कहा कि वायदा बाजार में चीनी की कीमत पिछले एक माह में 3,140 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2,747 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। सोलापुर के एक चीनी कारोबारी हिम्मत अस्बे का कहना है कि चीनी के वायदा और हाजिर कारोबार में व्याप्त भारी अंतर को खत्म किया जाना चाहिए। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें