मुंबई February 22, 2011
विदेशी बाजारों के नक्शे कदम पर चलते हुए घरेलू बाजार में भी चांदी की कीमतें नई ऊंचाइयां छू रही हैं। चांदी की बढ़ती चमक की प्रमुख वजह वैश्विक राजनीतिक उथल-पुथल के कारण कीमती धातुओं की बढ़ती निवेश मांग, तेज औद्योगिक मांग और आभूषणों में चांदी की बढ़ती अहमियत को बताई जा रही है। दूसरी तरफ घरेलू मांग पिछले साल की अपेक्षा कम होने के बावजूद कीमतें बढऩे को कारोबारी सटोरियों का खेल बता रहे हैं। मांग की अपेक्षा कीमतों ज्यादा होने से चांदी की कीमतों में गिरावट की उम्मीद की जा रही है।अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए सोमवार को चांदी 50,000 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई। आंकड़ों पर गौर करें तो एक साल के अंदर चांदी की कीमतें करीब दोगुनी हो गई हैं। पिछले साल बजट सीजन के दौरान चांदी 26,000 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही थी। इस साल चांदी की कीमतों में अभी तक करीबन 15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि महज फरवरी में चांदी की कीमतों में 7 फीसदी से अधिक की तेजी आई है। चांदी की बढ़ती चमक की प्रमुख वजह वैश्विक राजनीतिक उथल-पुथल को माना जा रहा है। विश्लेषक अमर सिंह का कहना है कि मिस्त्र में शुरू हुआ राजनीतिक तूफान दूसरे अरब देशों में भी फैल रहा है जिस वजह से निवेशक कीमती धातुओं में जमकर निवेश कर रहे हैं। सोने की अपेक्षा चांदी की कीमतें कम होने से निवेशक चांदी को ज्यादा तव्वजो दे रहे हैं जिसके चलते कीमतें बढ़ रही हैं। हालांकि कीमतें बढऩे की वजह कारोबारियों के गले नहीं उतर रही है। बंबई बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश हुंडिया कहते हैं कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार मांग कम है और इस वजह से कीमतें ऊपर जा रही हैं। कीमतों में तेजी की वजह निवेश की बढ़ती मांग बताई जा रही है, जबकि हकीकत यह है सटोरियों की वजह से कीमतें बढ़ रही हैं। हुंडिया कहते हैं कि इस स्तर पर कीमतें ज्यादा दिन तक टिकने वाली नहीं हैं और जल्दी ही चांदी में बिकवाली का दौर शुरू होगा। इसलिए इस समय चांदी में निवेश करना भी घाटे का सौदा साबित हो सकता है। दरअसल बाजार में घबराहट का माहौल है जिसे देखते हुए निवेशक एक्सचेंजों में हेजिंग कर रहे हैं जिससे कीमतें बढ़ रही हैं। मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कुमार जैन कहते हैं कि यह सच है कि पहले की अपेक्षा अब लोग चांदी की ज्वैलरी ज्यादा पसंद करते हैं लेकिन इस समय मांग बहुत ज्यादा नहीं है, दरअसल यह पूरा खेल वायदा बाजार का है। वायदा सौदों में जब तेजी आती है तो उसके नक्शे कदम पर चलते हुए हाजिर बाजार भी उबलने लगता है। दूसरी बात कच्चे तेल में ऊबाल को देखते हुए निवेशकों को लग रहा है कि मौजूदा माहौल में कच्चा तेल अपने सभी पुराने रिकॉर्डों तोड़ सकता है जो चांदी की कीमतों को समर्थन दे रहा है। कुमार की माने तो देसी निवेशक फिलहाल बुलियन बाजार से दूरी बना रहे हैं, जबकि विदेशी निवेशकों को यह बाजार पसंद आ रहा है। विदेशी निवेशक शेयर बाजार की जगह चांदी को प्राथमिकता दे रहे हैं जिससे कीमतें बढ़ रही हैं।चांदी के प्रमुख कारोबारी कांती भाई कहते हैं कि दरअसल चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ रही है और आम लोग भी चांदी में निवेश करना चाह रहे हैं। यह सिर्फ घरेलू बाजार की बात नहीं है, बल्कि वैश्विक रुझान भी यही हैं। बड़े औद्योगिक घरानों को लग रहा है कि वैश्विक कारणों से कही आपूर्ति बाधित न हो जाए जिससे वे हेङ्क्षजग का सहारा ले रहे हैं और यही से कृत्रिम मांग पैदा हो रही हैं। इसको नकली मांग भी कहा जा सकता है लेकिन सच्चाई यह है कि चांदी की चमक में निखार की प्रमुख वजह कीमतों को लेकर फैली घबराहट है। (BS Hindi)
23 फ़रवरी 2011
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