नई दिल्ली February 15, 2011
मिश्रण (ब्लेंडिंग) में देरी से परेशान घरेलू बायोडीजल उद्योग की राह में एक और बाधा खड़ी हो गई है। इसे अब अमेरिका से आयातित बायोडीजल से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल जुलाई में अमेरिका से करीब 20,000 टन बायोडीजल का आयात हुआ था। लगभग इतनी की मात्रा में बायोडीजल का फिर आयात हो रहा है और यह जल्द ही विशाखापत्तनम बंदरगाह पहुंचने वाला है। इस बारे में नैचुरल बॉयोएनर्जी के कालीनंदा प्लांट के प्रबंध निदेशक डी एस भास्कर ने कहा, 'जब भी डंपिंग होती है, यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं होती। ब्लेंडिंग की अब तक शुरुआत नहीं होने से बायोडीजल उद्योग को पहले से ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और आयातित बायोडीजल रही-सही कसर भी पूरी कर रहा है।' कालीनंदा पहली बायोडीजल इकाई है जिसकी उत्पादन क्षमता सालाना 10,000 टन है।अमेरिका से बायोडीजल की दूसरी खेप इस महीने कभी आ सकती है और इसे देखते हुए उद्योग वित्त और उद्योग मंत्रालय को आयात से हो रही परेशानियों के मद्देनजर ज्ञापन सौंपने की योजना बना रहा है। अधिकारियों के अनुसार अमेरिका में बॉयोडीजल पर प्रति टन 550 डॉलर तक की छूट मिलती है। अमेरिका में कारोबारी इसका लाभ उठाते हैं और लागत से कम कीमतों पर बायोडीजल का निर्यात करते हैं। इस बारे में एक अधिकारी ने कहा, 'यह सीधा डंपिंग का मामला है।' पिछले एक साल में यूरोपीय संघ के देशों ने अमेरिका की डंपिंग नीति का संज्ञान लिया है और अमेरिका से संघ के देशों को होने वाले बायोडीजल निर्यात पर प्रति टन 450 यूरो तक का कर लगाने का प्रावधान किया है।घरेलू बायोडीजल उद्योग ने सालाना 12 लाख टन क्षमता के लिए 2,300 करोड़ रुपये का निवेश किया है। सरकार ने दिसंबर 2009 में बायोडीजल नीति की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य जैव-ईंधन के उत्पादन के लिए घरेलू बॉयोमास फीडस्टॉक के विकास को बढ़ावा देना था। इस नीति के तहत 2017 तक 20 फीसदी जैव-ईंधन की ब्लेंडिंग का लक्ष्य है। एथेनॉल ब्लेंडिंग 2006-2009 के बीच हुई और शुरुआत नवंबर 2010 में हुई वहीं बायोडीजल डीजल ब्लेंडिंग की अभी तक शुरुआत नहीं हो पाई है। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें