मुंबई February 01, 2011
सिकुड़ते-सिकुड़ते न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुके मुनाफे से परेशान चीनी मिलें दूसरे आकर्षक विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। इन विकल्पों में अल्कोहल युक्त शराब और ऊर्जा क्षेत्र शामिल है ताकि वे अपने मुनाफे के लिए हेजिंग कर सकें। एथेनॉल की बेंचमार्क कीमत 27 रुपये तय करने का सरकारी फैसला भी चीनी उद्योग को इस तरफ आगे बढऩे के लिए उत्साहित कर रहा है। उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि कच्चे माल व मजदूरों की बढ़ती लागत और चीनी की बिक्री से होने वाली वसूली स्थिर रहने से उनके पास शायद ही कुछ बचा हुआ है। यहां तक कि मिलें ऐसी स्थिति में भी नहीं हैं जहां उन्हें न तो घाटा हो और न ही मुनाफा (ब्रेक इवन)। वे उम्मीद कर रहे हैं कि भविष्य में चीनी की बिक्री से होने वाली वसूली में सुधार आएगा और उनकी वित्तीय स्थिति सुधरेगी। लेकिन, स्थिति दयनीय है।चीनी की बढ़ती कीमतों से गन्ना किसानों को गन्ने की ज्यादा कीमतें देने की मांग उठती है और ऐसा हर सीजन में होता है। सिंभावली शुगर्स लिमिटेड (एसएसएल) के निदेशक (वित्त) संजय तापडिय़ा ने कहा - जब तक मिलें दूसरे आकर्षक क्षेत्रों की तरफ विशाखन नहीं करती हैं तब तक इसका अस्तित्व में बने रहना मुश्किल होगा क्योंकि मुख्य कारोबार यानी चीनी ज्यादा से ज्यादा गैर-लाभकारी बनता जा रहा है। एथेनॉल एसोसिएशन के विश्लेषक दीपक देसाई ने बताया कि 750 मिलीलीटर की शराब की एक ब्रांडेड बोतल (45 फीसदी अल्कोहल वाली) की कीमत 250 से 400 रुपये केबीच होती है। ऐसे में चीनी मिलों को अपने प्रमुख कारोबार से होने वाले घाटे की भरपाई करने के लिए शराब व ऊर्जा क्षेत्र में काफी बड़ा मौका नजर आ रहा है। ऊर्जा दूसरा ऐसा क्षेत्र है जहां कंपनियां ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही हैं और अब ज्यादातर मिलों ने राज्य के ग्रिडों को अतिरिक्त बिजली आपूर्ति के लिए उनसे अनुबंध किया है, जिसके लिए उनकी वसूली 4 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंचती है।उत्तर प्रदेश में चीनी मिल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा - चीनी की बिक्री से कम वसूली ने मिलों के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है। इसलिए कई अन्य चीनी मिलें पीने योग्य शराब व ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने के लिए राज्य परामर्श मूल्य में 40 रुपये की बढ़ोतरी कर उसे 205 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, ऐसे में कच्चे माल की कीमतें इस सीजन में करीब 20 फीसदी बढ़ गई हैं। इसी तरह बढ़ती महंगाई और अन्य चीजों के साथ मजदूरी के वैकल्पिक स्रोत (नरेगा) उपलब्ध होने से मजदूरी की लागत इस सीजन मेंं 10 फीसदी बढ़ गई है। चीनी की एक्स-फैक्ट्री कीमत फिलहाल 2830-2850 रुपये प्रति क्विंटल है और उत्पादन लागत के मुकाबले यह मामूली ज्यादा है। ऐसे में चीनी मिलों ने स्थानीय साझेदारों के सहयोग से ब्रांडेड शराब के उत्पादन में विस्तार करने का फैसला किया है। एसएसएल ने अल्कोहल युक्त शराब के नए ब्रांड उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में लॉन्च करने की खातिर योजना तैयार की है। यह मौजूदा समय में आठ राज्यों में बिक रहे 15 स्थानीय ब्रांड के अतिरिक्त है। गन्ने की पेराई में 4 फीसदी से ज्यादा शीरा निकलता है और किण्वन के जरिए इसे रेक्टिफाइड स्पिरिट में बदला जाता है, जिसमें 94.68 फीसदी शराब होता है। (BS Hindi)
03 फ़रवरी 2011
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