मुंबई February 18, 2011
देश में महंगी धातुओं की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार इस महीने की 28 तारीख को पेश होने वाले सालाना बजट में सोने और चांदी पर आयात शुल्क बढ़ा सकती है। उद्योग जगत के सूत्रों का मानना है कि प्रत्यक्ष स्रोतों से राजस्व में बढ़ोतरी के लिए सरकार सोने पर आयात शुल्क में प्रति 10 ग्राम 100 रुपये और चांदी पर आयात शुल्क में प्रति किलोग्राम 500 रुपये की बढ़ोतरी कर सकती है। अगर सरकार आगामी बजट में सोना और चांदी पर आयात पर शुल्क बढ़ाती है तो लगातार तीसरा साल होगा जब इन दो कीमती धातुओं पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की जाएगी।करीब पांच सालों तक धैर्य बरकरार रखने के बाद सरकार सोना और चांदी आयात क्षेत्र को राजस्व के एक बड़े स्रोत के तौर पर देखना शुरू कर दिया। कीमतों में कई गुना बढ़ोतरी के बावजूद वर्ष 2004 के बाद से 2009-10 के सालाना बजट तक आयात शुल्क की समीक्षा नहीं हुई थी। 2009-10 के सालाना बजट में सरकार ने चांदी पर प्रति किलोग्राम आयात शुल्क बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया। इसी तरह, 2009-10 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोने पर आयात शुल्क प्रति 10 ग्राम बढ़ाकर 200 कर दिया, जबकि सोने के दूसरे रूपों (आभूषण को छोड़कर) पर शुल्क प्रति 10 ग्राम बढ़ाकर 250 रुपये से 500 रुपये कर दिया। 2010 में भी शुल्क में बढ़ोतरी की गई। सरकार ने सोने पर आयात शुल्क प्रति 10 ग्राम 100 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया था। इसी तरह चांदी पर आयात शुल्क भी बढ़ाकर प्रति किलोग्राम 500 रुपये से 1500 रुपये कर दिया गया। इस बारे में इंडिया ऐंड मिड्ल ईस्ट ऑफ द वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के प्रबंध निदेशक अजय मित्रा कहते हैं 'अगर सरकार इस बजट में सोने और चांदी पर आयात शुल्क बढ़ाती है तो इस पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि 2010 में भी शुल्क बढ़ाए जाने के बाद ग्राहकों का इन कीमती धातुओं के प्रति आकर्षण कम नहीं हुआ था।Ó इन दोनों धातुओं पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी होने पर अगले साल 1000 टन सोने और 12000 टन चांदी के आयात के आधार पर सरकारी की झोली में 3000 करोड़ रुपये आ जाएंगे। डब्ल्यूजीसी का अनुमान के अनुसार 2010 में 918 टन सोने का आयात हुआ था जबकि बंबई बुलियन एसोसिएशन (बीबीए) का मानना है कि 2010 में 1200 टन चांदी का आयात हुआ। (BS Hindi)
19 फ़रवरी 2011
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