अहमदाबाद February 02, 2011
अगले कुछ हफ्ते में सीमेंट की कीमतें 5 से 10 रुपये प्रति बोरी तक बढ़ सकती हैं क्योंकि सीमेंट बनाने वाली कंपनियां बढ़ती लागत का भार उपभोक्ताओं पर डालने का मन बना रही हैं। दीवाली के बाद यह चौथी बढ़ोतरी होगी और पहले हुई बढ़ोतरी से सीमेंट 10 से 12 फीसदी महंगा हो गया था। पिछले चार महीनों से उद्योग में सुधार आने लगा है। राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के दौरान बुनियादी ढांचा दुरुस्त करने के लिए सीमेंट का काफी इस्तेमाल हुआ था और खेलों के बाद कंपनियां स्थिर हो गई थीं और कीमतें भी करीब-करीब स्थिर थीं। आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए सीमेंट कंपनियां पिछले कुछ महीने से अपनी क्षमता का कम से कम इस्तेमाल कर रही थीं।जे. के. लक्ष्मी सीमेंट के निदेशक शैलेंद्र चोकसी ने कहा - पिछले साल के मुकाबले ईंधन की लागत में 50 फीसदी का इजाफा हो चुका है और ईंधन की कीमत बढऩे से ढुलाई की लागत भी बढ़ गई है, साथ ही रेलवे से भी ढुलाई महंगी हो गई है। उन्होंने कहा कि बिजली और र्ईंधन का हिस्सा परिवर्तनशील लागत में करीब 60 फीसदी होता है। उन्होंने कहा कि उद्योग को लागत में हुई बढ़ोतरी की भरपाई करने की दरकार है।दूसरी ओर मांग कुल मिलाकर स्थिर रही है। सीमेंट बिक्रेता और डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय लाडीवाला ने कहा - पिछली तिमाही में मांग में 9-9.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और तिमाही दर तिमाही के हिसाब से भी ऐसा ही है। साथ ही, जनवरी में दो बार कीमतें बढ़ चुकी हैं और जल्दी ही एक बार और कीमतें बढ़ेंगी।हालांकि नई क्षमता के लिए दो साल कोल लिंकेज का इंतजाम नहीं हुआ है और कंपनियां खुले बाजार से ऊंची कीमतोंं पर कोयला खरीदने और इसका आयात करने को बाध्य हैं। पिछली तिमाही में आयातित कोयले की कीमत में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और खुले बाजार में भी कीमतें बढ़ रही हैं। इसके अलावा रेल के किराया भी दिसंबर 2010 से 4 फीसदी बढ़ गया है। साथ ही जिप्सम, फ्लाई ऐश आदि की कीमतें भी साल दर साल के हिसाब से 10-13 फीसदी तक बढ़ चुकी है। विश्लेषकों का कहना है कि बढ़ती लागत से ऑपरेटिंग मार्जिन पर दबाव पड़ सकता है और अगले दो साल में 4 से 9 फीसदी का दबाव पड़ सकता है।ऐसे समय में हालांकि कंपनियां अपनी क्षमता का कम से कम इस्तेमाल कर रही हैं। मौजूदा वित्त वर्ष पहली तिमाही में जहां 80 फीसदी क्षमता का इस्तेमाल हुआ था, वहीं दूसरी तिमाही में यह घटकर 69 फीसदी पर आ गया जबकि तीसरी तिमाही में 71 फीसदी। मौजूदा वित्त वर्ष में औसत क्षमता इस्तेमाल 74 फीसदी का रहा है जबकि पिछले साल 85 फीसदी रहा था। इस समय देश में 26.5 करोड़ टन की क्षमता है और 3.5 करोड़ टन की नई क्षमता वित्त वर्ष 12-13 तक अस्तित्व में आने की उम्मीद है।रियल एस्टेट डेवलपर्स ने आरोप लगाया है कि अतिरिक्त क्षमता को देखते हुए सीमेंट विनिर्माता कृत्रिम रूप से कीमतें बढ़ाने के लिए कार्टल बना रहे हैं। दूसरी ओर सीमेंट विनिर्माताओं का कहना है कि राष्ट्रमंडल खेलों के बाद शायद ही कोई बड़ी परियोजना शुरू हुई है, ऐसे में क्षमता का इस्तेमाल मांग की स्थिति को देखते हुए ही किया जा रहा है।मुंबई में सीमेंट की कीमतें 258-260 रुपये प्रति बोरी है (50 किलोग्राम), वहीं महाराष्ट्र के बाकी हिस्सों में इसकी कीमतें 240-250 रुपये प्रति बोरी है। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में कीमतें फिलहाल 220-230 रुपये प्रति बोरिी है जबकि चेन्नई में 260 रुपये प्रति बोरी। पूर्वी हिस्से में यानी कोलकाता में सीमेंट की कीमतें 240 रुपये प्रति बोरी जबकि उत्तर भारत में 210 रुपये प्रति बोरी है।हालांकि मौजूदा समय में बुनियादी ढांचे से जुड़ी जिन परियोजनाओं पर काम चल रहा है उसे सीमेंट की बढ़ती कीमतों के असर से बचाया जा सकता है। ऐसी ज्यादातर परियोजनाओं में प्रमुख कच्चे माल मसलन स्टील व सीमेंंट की कीमतों में बढ़ोतरी का प्रावधान होता है और यह बुनियादी ढांचे से जुड़ी कंपनियों को बढ़ती कीमतों के असर से बचाएगा। आईवीआरसीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के निदेशक (वित्त) आर. बी. रेड्डी ने कहा कि सीमेंट की बढ़ती कीमतों से बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ज्यादातर परियोजनाओं में निर्माण अनुबंध के तहत कीमत में बढ़ोतरी वाला प्रावधान होता है। ये चीजें सीमेंट व स्टील जैसे प्रमुख कच्चे माल पर लागू होता है। (BS Hindi)
03 फ़रवरी 2011
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