निर्यातकों के साथ ही घरेलू मिलों की मांग बढऩे से कपास की कीमतों में और भी पांच से सात फीसदी तेजी आने की संभावना है। पिछले महीने भर में घरेलू बाजार में कपास के दाम 18.4 फीसदी बढ़ चुके हैं। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव बढ़कर शनिवार को 49,500-50,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए। 29 दिसंबर को इसका भाव 41,800-42,200 रुपये प्रति कैंडी था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस दौरान कपास की कीमतों में 20.40 फीसदी की तेजी आ चुकी है।
मुक्तसर कॉटन प्रा. लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर नवीन ग्रोवर ने बताया कि यार्न के निर्यात के लिए सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 72 करोड़ किलो का कोटा तय किया था। इसमें से अभी तक 67 करोड़ किलो यार्न का ही निर्यात हुआ है। यार्न के बकाया कोटे पर दस फरवरी को होनी वाली बैठक में फैसला होगा। इसीलिए घरेलू मिलों की खरीद पहले की तुलना में बढ़ गई है। जिससे इसकी कीमतों में और भी 2,500-3,000 रुपये प्रति कैंडी की तेजी आने की संभावना है।
एससीआईएल केपिटल इंडिया लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर नयन मीरानी ने बताया कि 19 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास निर्यात की समय सीमा 25 फरवरी को समाप्त हो जायेगी। इसीलिए इस समय निर्यातकों की खरीद बढ़ी हुई है। उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके दाम रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में मार्च वायदा अनुबंध का भाव बढ़कर 164.75 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ। पिछले एक महीने में ही इसमें 20.40 फीसदी की तेजी आ चुकी है। पिछले साल के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास के दाम 95.61 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। 28 जनवरी 2010 को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास का भाव 69.14 सेंट प्रति पाउंड था।
कमल कॉटन ट्रेडर्स प्रा. लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि बाढ़ से पाकिस्तान, चीन और आस्ट्रेलिया में कपास की फसल को नुकसान हुआ है। पाकिस्तान में कपास उत्पादन 1.27 करोड़ गांठ (एक गांठ-170 किलो) से घटकर 1.12 करोड़ गांठ होने का अनुमान है। चीन में उत्पादन घटकर 3 करोड़ गांठ और ऑस्ट्रेलिया में 38 लाख गांठ (चीन और आस्ट्रेलिया में एक गांठ-240 किलो) अनुमान है। चीन और पाकिस्तान प्रमुख उत्पादक देश है। इसीलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतों में भारी तेजी बनी हुई है।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक मंडियों में 180 लाख कपास की आवक हो चुकी है। कॉटन एडवाईजरी बोर्ड (सीएबी) का उत्पादन अनुमान 329 लाख गांठ का है जबकि सरकार का अनुमान 339 लाख गांठ का है। नई फसल के समय 40.50 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक बचा हुआ था जबकि पांच लाख टन का आयात हो जायेगा। घरेलू मिलों की सालाना खपत 275 लाख गांठ और 55 लाख गांठ निर्यात को मिलाकर 330 लाख गांठ बैठेगी। ऐसे में 2011-12 के नए सीजन के शुरू में बकाया स्टॉक 44.50-55.50 लाख गांठ बचने का अनुमान है।बात पते की :- बाढ़ से पाकिस्तान, चीन व ऑस्ट्रेलिया में कपास को नुकसान हुआ है। चीन और पाकिस्तान प्रमुख उत्पादक देश हैं। इसीलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतों में भारी तेजी बनी हुई है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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