जयपुर February 15, 2011
दिसंबर के आखिर और जनवरी की शुरुआत में पड़ी ठंड और पाले के कारण राजस्थान में चने की 10 से 25 फीसदी और सरसों की 5 से 10 फीसदी फसल खराब हो जाने का अनुमान है। व्यापारियों का कहना है कि ज्यादा बिजाई होने से इस खराबी का उत्पादन पर कोई असर नहीं रहेगा, लेकिन सटोरियों ने इसे हौवा बनाकर चने के भावों में तेजी ला दी है। राजस्थान देश में चने का सबसे बड़ा उत्पादक प्रदेश है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में चने की बिजाई का लक्ष्य 14 लाख हेक्टेयर रखा गया था, लेकिन बिजाई लक्ष्य से 10 से 15 फीसदी ज्यादा हुई। इस साल 11.90 लाख टन चने के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।बालाजी ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के श्याम नाटाणी का कहना है कि राजस्थान में इस साल लक्ष्य से भी ज्यादा चने की बिजाई हुई थी, लेकिन दिसंबर-जनवरी में पड़ी ठंड और पाले के कारण चने की 10 से 25 फीसदी फसल के नुकसान की संभावना है। बीकानेर और श्रीगंगानगर जिला राज्य में चने का बड़ा उत्पादक क्षेत्र है और यहां ठंड के कारण 10 से 20 फीसदी फसल खराब होने का अनुमान है। वहीं राज्य के जिन जिलों में तापमान नकारात्मक या इसके करीब आया, वहां चने की फसल में 20 से 25 फीसदी तक नुकसान होने की संभावनाएं है। कम तापमान वाले जिलों में जयपुर, सीकर, चूरू, टोंक, अजमेर, जोधपुर, बाड़मेर, पाली आदि आते हैं। इन क्षेत्रों में भी चने का काफी मात्रा में उत्पादन होता है।नाटाणी का कहना है कि राजस्थान में चने की फसल सबसे बाद में आती है। पाला पडऩे के कारण फसल में कुछ और देरी होगी। इस खराबी की वजह से चने के उत्पादन पर मामूली असर पड़ेगा क्योंकि इस वर्ष बिजाई ज्यादा हुई है। मरुधर ट्रेडिंग कंपनी के अनिल चतर का कहना है कि ठंड और पाले के कारण सरसों की फसल में 5 से 10 फीसदी का नुकसान हुआ है, लेकिन इस वर्ष सरसों की बिजाई पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा है, इस लिए इस खराबी का कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। सरसों की नई फसल 15 फरवरी से आनी शुरू हो जाएगी और मार्च में आवक और बढ़ेगी। आगे आने वाले समय में सरसों में मंदी दिखाई नहीं देती है। (BS Hindi)
16 फ़रवरी 2011
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