सरकार ने कॉटन यार्न के निर्यात करने के लिए आवेदन आमंत्रित किए है। सरकार ने वर्ष २०१०-११ के दौरान कॉटन यार्न निर्यात करने के लिए ७२ करोड़ किलो का कोटा तय किया है। इस कोटे में से अभी तक निर्यात नहीं हो पाए कॉटन यार्न के लिए निर्यात परमिट जारी किए जाएंगे। ये आवेदन डीजीएफटी द्वारा 7 फरवरी तक स्वीकार किए जाएंगे। यह निर्यात ३१ मार्च २०११ से पहले पूरा किया जाना है।
बीते वर्ष दिसंबर माह में कपड़ा मंत्रालय ने 72 करोड़ किलो कॉटन यार्न निर्यात का कोटा तय कर दिया था। यह कदम वैश्विक बाजार में कॉटन यार्न के मूल्य ज्यादा होने के चलते घरेलू कपड़ा उद्योग की मदद देने के लिए उठाया गया था। मौजूदा आवेदन पहले से तय कोटे में से बचे कॉटन यार्न के निर्यात के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। हालांकि सरकार ने नए निर्यात परमिट के लिए कॉटन यार्न की मात्रा का खुलासा नहीं किया है। लेकिन अनुमान है कि करीब 6 करोड़ किलो कॉटन यार्न का कोटा बचा है।
वर्ष २०१०-११ के दौरान देश का कुल कॉटन यार्न उत्पादन ३४६ करोड़ किलो रहने का अनुमान है। जबकि इस अवधि में घरेलू खपत २६५ करोड़ किलो के आसपास रहने की संभावना है। कॉटन यार्न के दामों में भारी बढ़ोतरी हुई है। उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बीते वर्ष अप्रैल से दिसंबर के दौरान कॉटन यार्न के दामों में ८५ फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। कपड़ा उद्योग कॉटन और कॉटन यार्न के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की लगातार मांग कर रहा है। उद्योग का कहना है कि इनके दाम इतने बढ़ चुके है कि उत्पादन करना मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा सरकार ने ५५ लाख गांठ कॉटन के निर्यात की मंजूरी दी है। (Business Bhaskar)
03 फ़रवरी 2011
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