मुंबई February 24, 2011
केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने दालों व खाद्य तेलों पर 31 मार्च 2011 के बाद भी सब्सिडी जारी रखने की सिफारिश की है। इस बारे में एक उच्च अधिकारी ने बताया कि खाद्य तेलों के अलावा केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत राज्यों के लिए स्टॉक सीमा लगाने का प्रस्ताव रखा है।अधिकारी ने बताया कि एक ओर जहां दलहन का उत्पादन बेहतर रहने का अनुमान है, वहीं इस तरह की तैयारी अनावश्यक रूप से कीमतें बढऩे और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की योजना जारी रखने के लिए जरूरी है। साल 2008-09 में प्रस्तावित इस योजना का मकसद आयातित कीमतें या बाजार की उच्च कीमतों के बाद भी पीडीएस के तहत आवश्यक वस्तु की अबाध आपूर्ति सुनिश्चित करना था। दालों व खाद्य तेलों पर सब्सिडी की यह योजना 31 मार्च 2011 को समाप्त हो रही है। वैसे भारत खाद्य तेल खास तौर से पाम तेल व सोयाबीन का शुद्ध आयातक है। सब्सिडी की इस योजना के तहत खाद्य मंत्रालय दालों व खाद्य तेलों का वितरण पीडीएस के जरिए करता है और इस पर क्रमश: 10 रुपये प्रति किलोग्राम व 15 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देता है। दूसरे अग्रिम अनुमान के तहत कृषि मंत्रालय ने साल 2010-11 में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन (गेहूं व दाल) का संकेत दिया है। सूत्रों ने कहा कि हालांकि दालों के लिए अनुमान बेहतर है, लेकिन वित्त मंत्रालय द्वारा इस कदम पर सहमति जताया जाना अभी बाकी है, वहीं खाद्य मंत्रालय सब्सिडी को कम से कम छह महीने और जारी रखने पर जोर दे रहा है।वैश्विक बाजार में ऊंची कीमत के चलते खाद्य तेल का आयात प्रभावित हो रहा है, लिहाजा खाद्य मंत्रालय ने कच्चे खाद्य तेल के आयात पर शून्य आयात शुल्क व खाद्य पाम तेल पर 7.5 फीसदी आयात शुल्क जारी रखने की वकालत की है। दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, साल 2010-11 में दलहन का उत्पादन 165 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है। हालांकि खाद्य मंत्रालय ने दालों के आयात व खुले बाजार में उसका वितरण आयातित कीमत से कम पर करने के लिए ट्रेडिंग कॉरपोरेशन को दी जाने वाली सब्सिडी को जारी रखने का कोई प्रस्ताव नहीं सौपा है। इस सब्सिडी के तहत स्थानीय व वैश्विक कीमत में 15 फीसदी तक के अंतर की भरपाई की जाती है। पीडीएस के तहत वित्त वर्ष 2009-10 में सरकार ने दालों की मात्रा 3 लाख टन से बढ़ाकर 6 लाख टन कर दी थी। पिछले साल दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने दालों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के विरोध में अपनी सिफारिशें दी थी। बाजार कीमत के लिए एमएसपी बेंचमार्क की तरह काम करता है और मौजूदा समय में एमएसपी सबसे ज्यादा है। मंत्रालय ने दालों के निर्यात पर पाबंदी और शुल्क मुक्त आयात को जारी रखने की भी सिफारिश की थी। काबुली चने को छोड़कर दलहन के निर्यात पर पाबंदी पहले ही 31 मार्च 2011 तक बढ़ाई जा चुकी है। (BS Hindi)
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