February 18, 2011
सरकार आवश्यक जिंसों की कालाबाजारी, जमाखोरी और कीमतों में बढ़ोतरी से खासी चिंतिंत है। संजय जोग को दिए एक विशेष साक्षात्कार में खाद्य, जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) और उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री के वी थॉमस ने इन मुद्दों पर सरकार का रुख स्पष्ट किया ।
आवश्यक जिंसों की कालाबाजारी, जमाखोरी और बढ़ती कीमतों से सरकार कैसे निपट रही है?कालाबाजारी और जमाखोरी निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। इन पर काबू पाने के लिए संप्रग सरकार राज्य सरकारों का सक्रिय सहयोग करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है। समय-समय पर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से कालाबाजारी रोकथाम एवं आपूर्ति अधिनियम 1980 के तहत उन्हें मिले अधिकारों का पूरा इस्तेमाल करने का अनुरोध किया जाता है। हमारी राय इस बारे में पूरी तरह साफ है कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले और उपभोक्ताओं को भी निश्चित तौर पर कृषि आधारित और अन्य आवश्यक वस्तुएं की आपूर्ति उचित मूल्यों पर सुनिश्चित हो। प्रतिकूल समय में बिचौलिये अवैध रूप से खासी कमाई करते हैं और जमाखोर व सटोरिये भी इसमें पीछे नहीं हैं। केंद्र और राज्य सरकार इन मुद्दों पर कड़ा रुख कायम करने के लिए पूरी तरह दृढ़ सकंल्प है।
मौजूदा जन वितरण प्रणाली में खामियां हैं। सरकार इन्हें दूर करने के लिए क्या कर रही है?जन वितरण प्रणाली की कार्यप्रणाली की समीक्षा का समय आ गया है। इसे ज्यादा सक्षम और तेजी से बदलते सामाजिक और आर्थिक माहौल के अनुकूल बनाने के लिए इसमें सुधार की जरूरत है। केंद्र सरकार पीडीएस में सुधार किए जाने पर जोर दे रही है। खाद्यान्न की खरीद, आवंटन और भारतीय खाद्य निगम के चिह्नित डिपो तक इसके परिवहन के लिए केंद्र सरकार की जवाबदेह होती है। हालांकि इसके क्रियान्वयन और वितरण की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों की है। पीडीएस (नियंत्रण) आदेश, 2001 में स्पष्टï तौर उल्लेख है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें पीडीएस का सही तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। केंद्र सरकार इसके लिए इन सरकारों को हर संभव सुविधाएं मुहैया कराएगी।
पीडीएस में खामियों को दूर करने और इसकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के पास क्या अधिकार हैं?राज्य सरकारों के पास दलहन, खाद्य तेल, चावल, धान और चीनी के खुदरा कारोबार की सीमा तय करने का अधिकार है। हालांकि चीनी की थोक बिक्री के मामले में राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा तय सीमा से अधिक सीमा तय कर सकती है।
खाद्यान्न के उत्पादन और इसकी खरीद के बारे में क्या जानकारी देना चाहेंगे?वर्ष 2004 और 2010 के दौरान गेहूं की सरकारी खरीद 92 लाख टन से बढ़ाकर 2.25 करोड़ टन कर दी गई। धान की खरीद की भी कमोबेश यही हालत है। केंद्रीय भंडार में पीडीएस और अन्य आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त खाद्यान्न हैं। कीमतें नियंत्रित करने के लिए 48 लाख टन गेहूं और 14 लाख टन चावल का आवंटन खुले बाजार में बिक्री की योजना के तहत किया गया। (BS Hindi)
19 फ़रवरी 2011
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