मुंबई February 06, 2011
कीमती धातुओं मसलन सोने-चांदी, प्लैटिनम और पैलेडियम के कारोबार को सरल बनाने की खातिर सरकार ने चुनिंदा नामांकित एजेंसियों के लिए इनके आयात के नियमों को उदार बना दिया है। तत्काल प्रभाव से लागू होने वाली पिछले हफ्ते जारी अधिसूचना में विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) ने आयातित कीमती धातुओं का 15 फीसदी हिस्सा निर्यातकों को बेचने के अनिवार्य नियम को समाप्त कर दिया है। इसके अलावा महानिदेशक ने नामांकित एजेंसियों को उन नियमों में छूट दी है जिसके तहत इन एजेंसियों को आयातित माल के बारे में समय-समय पर रिटर्न दाखिल करना होता था।इस कदम के बारे में जानकारी देते हुए आधिकारिक सूत्र ने कहा - आयात की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है क्योकि सरकार की चिंता सिर्फ आयात शुल्क के भुगतान को लेकर है। अधिकारी इन एजेंसियों द्वारा आयात की बाबत समय-समय पर दाखिल रिटर्न पर नजर रखेंगे और इन एजेंसियों द्वारा आयात के दौरान घोषित तथ्यों की जांच करेंगे। नामांकित एजेंसियां अपनी मर्जी से इन्हें बेच सकेंगी।आभूषण निर्यातकों को अब पूरा कच्चा माल खुले बाजार से खरीदना होगा। इस तरह से इन आयातकों को सोने-चांदी की खरीद पर कीमतों के मामले में मिलने वाले लाभ का एक हिस्सा घट जाएगा। सूत्र ने यह भी बताया कि सोने की खपत के सिलसिले में भारत प्रमुख गंतव्य व प्रमुख बाजार के तौरपर उभर रहा है। पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि घरेलू बाजार में उचित कीमत पर सोना उपलब्ध हो।निगरानी व्यवस्था के तहत नामांकित एजेंसियों (बैंकों व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को छोड़कर) को हर साल स्टेटस सर्टिफिकेट का नवीनीकरण करवाना होता था। उन्हें हर महीने जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के जरिए डीजीएफटी के पास रिटर्न दाखिल करना होता था और उसमें घरेलू खपत की मात्रा और निर्यातकों को बेचे गए माल की जानकारी देनी होती थी।ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (एआईजीजेटीएफ) के अध्यक्ष विनोद हेग्रीव ने कहा - यह महज मामूली छूट है। हमने सरकार से उन आभूषण निर्माताओं व कारोबारियों को सोने का आयात करने की अनुमति देने की सिफारिश की थी जिनका सालाना टर्नओवर 50 से 100 करोड़ रुपये का हो।मौजूदा समय में नामांकित एजेंसियों का सुपुर्दगी केंद्र हर जगह नहीं है। उदाहरण के लिए पंजाब नैशनल बैंक ने सिर्फ एक सुपुर्दगी केंद्र की पहचान की है और बेंगलुरु में है। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। इसी तरह नोवा स्कोशिया बैंक (सोने के सबसे बड़े आयातकों में से एक) भी देश के उन इलाकों में पूरी तरह नहीं फैला है, जहां वास्तविक उपभोक्ता रहते हैं। इसलिए आभूषण निर्माताओं को खास तौर से ज्यादा मांग के दौरान सोने की अनुपलब्धता की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। विनोद ने कहा - चूंकि सरकार ने पहला कदम उठा लिया है, ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि बजट के दौरान हमारी बाकी मांगों को पूरा कर दिया जाएगा। एआईजीजेटीएफ ने सरकार यह भी गुजारिश की है कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से खरीदे-बेचे जाने वाले सोने पर लेन-देन शुल्क बढ़ाया जाए। इसके जरिए 725 टन के कुल खपत में से 300 टन से ज्यादा की बुकिंग निवेशकों के लिए होती है। विभिन्न एजेंसियों में कई बैंकों के अलावा एमएमटीसी, स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन, प्रोजेक्ट्स ऐंड इक्विपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड, हैंडीक्राफ्ट ऐंड हैंडलूम एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन, ईओयू ऐंड एसईजेड जेम्स ऐंड ज्वैलरी यूनिट्स, एसटीसीएल, एमएसटीसी, डायमंड इंडिया लिमिटेड, जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, प्रीमियर ट्रेडिंग हाउस और स्टार ट्रेडिंग हाउस शामिल हैं। (BS Hindi)
07 फ़रवरी 2011
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